Ataxia: इन 7 वजहों से हो सकता है अटैक्सिया? जानें लक्षण, कारण और इलाज

अटैक्सिया एक ऐसा दिमागी विकार है, जिससे मांसपेशियों के काम प्रभावित होते हैं। ऐसे में इस समस्या के लक्षण, कारण और बचाव को समझना बेहद जरूरी है।
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Ataxia: इन 7 वजहों से हो सकता है अटैक्सिया? जानें लक्षण, कारण और इलाज


अटैक्सिया (Ataxia) यानी कि जो लोग अपनी मांसपेशियों पर नियंत्रण नहीं रखते, अपनी इच्छानुसार काम नहीं कर पाते, चलने में, बैठने में, उठने में असमर्थ महसूस करते हैं वे अटैक्सिया बीमारी से ग्रस्त होते हैं। इसके लक्षणों में बोलने में मुश्किलें, आंखों की गतिविधि में समस्या, निगलने में परेशानी आदि भी आते हैं। ऐसे में इसका समय पर उपचार होना बेहद जरूरी है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि अटैक्सिया के लक्षण क्या हैं? साथ ही हम कारण और इससे बचाव के बारे में भी जानेंगे। पढ़ते हैं आगे...

अटैक्सिया के लक्षण (symptoms of ataxia)

बता दें कि अटैक्सिया अचानक से विकसित हो सकता है। ऐसे में कई न्यूरोलॉजिकल समस्याएं सामने आती हैं। जानते हैं इसके निम्न लक्षणों के बारे में...

1 - निगलने में परेशानी महसूस करना।

2 - मांसपेशियों का सुचारू रूप से काम न करना। उदाहरण के तौर पर खुद पर नियंत्रण न रख पाना जैसे- खाने में, लिखने में दिक्कत महसूस करना आदि।

3 - अपनी चाल का असंतुलित होना। बार बार ठोकर खाना या अपनी चाल पर नियंत्रण खो देना।

4 - अपने दिमाग पर संतुलन ना कर पाना।

5 - आंखों की गतिविधियों का असंतुलित हो जाना।

6 - बोलने में दिक्कत महसूस करना

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अटैक्सिया का खतरा कब बढ़ता है?

जब निम्न परिस्थिति महसूस हो तो समझ जाएं कि खतरा ज्यादा बढ़ रहा है, ऐसे में निम्न समस्या हो सकती है-

1 - चलने में नियंत्रण खो देना

2 - बोलने से संबंधित समस्याओं का बढ़ना

3 - शरीर पर, सोचने समझने पर संतुलन खो देना

4 - हाथों पैरों या बाजू में तालमेल ना बैठ पाना

5 - निगलने में ज्यादा परेशानी महसूस करना

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अटैक्सिया के कारण (causes of ataxia)

हमारे दिमाग में एक ऐसा हिस्सा होता है जहां मांसपेशियों का नियंत्रण रहता है। ऐसे में उस हिस्से की तंत्रिका कोशिकाओं को क्षति पहुंचने पर अटैक्सिया जैसी बीमारी पैदा हो सकती है। बता दें इसे दो भागों में बांटा जाता है, जिसमें दायां वाला भाग शरीर के दाएं तरफ के हिस्से को नियंत्रित करता है और बायां वाला भाग शरीर के बाएं हिस्से को नियंत्रित करता है। ऐसे में कई रोग अटैक्सिया के कारण बन सकते हैं। जानते हैं इनके बारे में...

1 - चेचक की समस्या

बता दें कि चिकनपॉक्स या अन्य वायरल संक्रमण के कारण अटैक्सिया हो सकता। लेकिन जब संक्रमण ठीक होने की कगार पर होता है तब इस तरह के सिम्टम्स खत्म हो जाते हैं और अटैक्सिया ठीक हो जाता है।

2 - सेरेब्रल पाल्सी के कारण

बच्चे के दिमाग में शुरुआती विकास के वक्त, बच्चे के जन्म से पहले, जन्म के वक्त, या जन्म के तुरंत बाद शरीर की गतिविधियों को नियंत्रण करने वाली कोशिकाओं को सेरेब्रल प्रभावित कर सकता है, जिसके कारण अटैक्सिया जैसे समस्या उत्पन्न हो सकती है।

3 - स्ट्रोक के कारण

जब मस्तिष्क के किसी एक हिस्से में खून सही से नहीं पहुंच पाता तो उस हिस्से में गंभीर रूप से कमी आ जाती है। ऐसी स्थिति में दिमाग की कोशिकाएं सही से ऑक्सीजन नहीं ले पाती हैं और व्यक्ति अटैक्सिया का शिकार हो जाता है।

4 - सिर की चोट लगने के कारण

जब दिमाग में या रीढ़ की हड्डी पर कोई चोट झटके से लगी होती है तो उससे एक्यूट सेरेब्रल अटैक्सिया कहते हैं

5 - पैरानियोप्लास्टिक सिंड्रोम के कारण

आमतौर पर ओवेरियन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, फेफड़ों का कैंसर आदि के कारण शरीर में डिजनरेटिव विकार पैदा होता है, जिसके कारण अटैक्सिया की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है। कैंसर के पता लगने से पहले इसके लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

6 - विटामिन ए की कमी या विटामिन b12 की कमी के कारण

बता दें कि अगर शरीर में विटामिन ए या विटामिन b12 की कमी हो जाए तब अटैक्सिया जैसे लक्षण नजर आते हैं।

7 - टॉक्सिक रिएक्शन के कारण

बता दें कि कभी-कभी कुछ दवाएं भी दुष्प्रभाव के तौर पर अटैक्सिया जैसी बीमारी दे जाती हैं। इन दवाओं में शराब नशीली दवाएं, पेट पतला करने जैसी दवाएं आदि इस बीमारी का कारण बन सकते हैं।

अटैक्सिया का इलाज (treatment of ataxia)

वैसे तो इसका कोई खास इलाज नहीं है। कई मामलों में ये खुद ब खुद दूर हो जाता है और कई मामलों में निम्न तरीकों को अपनाना पड़ता है। जानते हैं इन तरीकों के बारे में...

1 - अगर अटैक्सिया सेरेब्रल पाल्सी के कारण हुआ है तो इलाज संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर कुछ उपकरणों का इस्तेमाल करने की सलाह दे सकते हैं। इसके अंदर डॉक्टर बोलने के लिए अलग से उपकरण, पैदल चलने के लिए वॉकर, खाने के लिए अलग बर्तनों का इस्तेमाल करने की सलाह दे सकते हैं।

2 - इसके अलावा थेरेपी से भी फायदा मिल सकता है। ऐसे में डॉक्टर स्पीच थेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी और फिजिकल थेरेपी की सलाह देते हैं। फिजिकल थेरेपी के माध्यम से गतिशीलता बढ़ाने और ताकत बनाने में मदद मिलती है। जबकि ऑक्यूपेशनल थेरेपी में दैनिक जीवन के कार्य में मदद मिलती है जैसे कि खुद से खाना खाना, नहाना, धोना, बोलना। स्पीच थेरेपी में निगलने की समस्याओं के साथ बोलने की क्षमता को भी बढ़ाया जाता है।

नोट - अटैक्सिया विशेष तौर पर तब होती है जब शरीर किसी बीमारी से ग्रस्त होता है या किसी चोट का शिकार हो जाता है। लेकिन इसके लक्षण काफी खतरनाक होते हैं। ऐसे में समय रहते इलाज बेहद जरूरी है। अगर ऊपर दिए लक्षणों में से आपके अंदर एक भी लक्षण नजर आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, जिससे इलाज तुरंत शुरू हो सके। इसके लक्षण अन्य समस्याओं को पैदा कर सकते हैं ऐसे में लापरवाही ठीक नहीं है।

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