वर्तमान समय में कई युवा और 35-40 की उम्र पार कर चुके लोग स्पॉन्डिलाइटिस जैसी गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। स्पॉन्डिलाइटिस व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी यानी स्पाइन को प्रभावित करती है। ये समस्या सबसे ज्यादा उन लोगों में देखने को मिलती है, जो लंबे समय तक एक ही पोजीशन में बैठकर काम करते हैं या उन्हें कभी चोट लगी हो। इसके अलावा जिन महिलाओं और पुरुषों की उम्र 35-40 के पार हो चुकी है और बोन डेंसिटी कम हो चुकी है, उन्हें भी स्पॉन्डिलाइटिस की दिक्कत हो सकती है। इस समस्या में व्यक्ति की गर्दन, कमर और पीठ में जोरों का दर्द होता है, जिसके कारण उठना-बैठना भी मुश्किल होने लगता है। इस लेख में नोएडा के कैलाश अस्पताल के सीनियर फिजीशियन डॉक्टर संजय महाजन (Sr. Consultant Physician & Intensivist Dr. Sanjay Mahajan, Kailash Hospital, Noida) स्पॉन्डिलाइटिस होने के कारण और बचाव के तरीके बता रहे हैं।
स्पॉन्डिलाइटिस क्या है? - What Is Spondylitis
स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या में व्यक्ति को रीढ़ की हड्डी, गर्दन और कमर में दर्द की शिकायत रहती है। स्पॉन्डिलाइटिस एक प्रकार से आर्थराइटिस का ही एक रूप है, जो युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है। स्पॉन्डिलाइटिस के कई प्रकार हैं, इस समस्या में व्यक्ति को दर्द और स्टिफनेस की शिकायत हो सकती है। यह समस्या अक्सर युवा वयस्कों में पाई जाती है, लेकिन इसका प्रभाव किसी भी उम्र में हो सकता है।
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स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण - Spondylitis Symptoms
1. स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या होने पर व्यक्ति को पीठ और गर्दन तेज दर्द की शिकायत रहती है, जो कि रात में सोते समय बढ़ सकती है।
2. यह दर्द अक्सर लोगों को पीठ, कमर या गर्दन में महसूस होता है। यह दर्द अचानक शुरू हो सकता है या धीरे-धीरे बढ़ सकता है।
3. सुबह उठने के समय या लंबे समय तक बैठे रहने के बाद, शरीर के ऊपरी हिस्से में स्टिफनेस महसूस हो सकती है।
4. स्पॉन्डिलाइटिस के शुरुआती लक्षणों में थकान का एहसास होता है और लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठने में तकलीफ होती है।
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स्पॉन्डिलाइटिस से बचाव के तरीके - How To Prevent Spondylitis
- एक ही पोजीशन में लंबे समय तक बैठने से बचें और समय-समय पर उठकर वॉक करें। ताकि स्पॉन्डिलाइटिस की शिकायत कम हो।
- नियमित रूप से एक्सरसाइज करना और योगासनों का अभ्यास करना स्पॉन्डिलाइटिस को कम करने में मदद कर सकता है।
- डाइट में हेल्दी फूड्स को शामिल करें और प्रोटीन, कैल्शियम, और विटामिन D जैसे पोषक तत्वों का सेवन करें। रोजाना धूप में भी कुछ समय गुजारें ताकि आपके शरीर को धूप से विटामिन D प्राप्त हो सके।
- वजन को कंट्रोल में रखें, कई बार बढ़ा हुआ वजन भी स्पॉन्डिलाइटिस का कारण बनता है। ज्यादा वजन स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षणों को बढ़ा सकता है।
- स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या में फिजियोथेरेपी भी कारगर साबित हो सकती है।
- स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या में डॉक्टर से परामर्श करें और उचित इलाज को फॉलो करें।
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