Kyasanur Forest Disease Symptoms : क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज यानी मंकी फीवर एक बार फिर देश की जनता के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। पिछले दिनों क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज से कर्नाटक में 2 लोगों की मौत हो गई। कर्नाटक में इस बीमारी से 2 लोगों की मौत होने के बाद केंद्र सरकार ने कई राज्यों में इसको लेकर अलर्ट जारी कर दिया है। अपने अलर्ट में सरकार ने लोगों से अपील की है कि अगर किसी व्यक्ति में इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं, तो जल्द से जल्द इसका इलाज शुरू करें। सरकार के अलर्ट के बाद इस बीमारी के बारे में जानना बहुत जरूरी है। आज इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज और इसके लक्षणों के बारे में।
क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज क्या है?- What is Kyasanur Forest Disease
अमेरिकी सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज एक जूनोटिक बीमारी है। यह बीमारी बंदरों में पाई गई थी। यही वजह है इसे मंकी डिजीज के नाम से जाना जाता है। भारत में इस बीमारी की पहचान पहली बार 1950 में कर्नाटक में हुआ था। इसके बाद से कर्नाटक में इससे संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। हर साल इसके 400 से 500 मामले दर्ज किये जा रहे हैं। सीडीसी के अनुसार, यह बीमारी संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से इंसानों में फैलती है।
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क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज के लक्षण- Kyasanur Forest Disease Symptoms in Hindi
क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज संक्रमण के शुरुआती 3 से 8 दिनों में अचानक ठंड लगना, बुखार और सिरदर्द महसूस होता है।
- 3 से 5 दिनों के बाद उल्टी
- मसूड़ों से खून आना
- मांसपेशियों में गंभीर दर्द
- अचानक से ब्लड प्रेशर का कम होना
- मरीज का प्लेटलेट्स कम होना
- व्हाइट सेल्स और रेड सेल्स में गिरावट आना
- आंखों में लालिमा आने के साथ ही जुकाम और कफ भी हो सकता है।
क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज का इलाज क्या है?
सीडीसी के अनुसार फिलहाल इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। हालांकि लक्षण दिखाई देने पर अगर मरीज को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जाए, तो थेरेपी और दवाओं से इसे ठीक किया जा सकता है।
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इसकी वैक्सीन उपलब्ध है क्या?
वर्तमान में क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, लेकिन इसका भारत के हर क्षेत्र में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट इस संक्रमण की वैक्सीन सिर्फ जंगल वाले इलाकों के लोगों को ही देने की सिफारिश करते हैं।
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