Sneezing Benefits for Health: छींक आना सेहत के लिए कैसे फायदेमंद है? छींक आना एक सामान्य या आम प्रक्रिया है। यह किसी भी व्यक्ति को किसी भी समय आ सकती है। दिनभर में 2-3 बार छींक आना आम है, लेकिन अगर बार-बार छींक आती है तो इससे व्यक्ति परेशान हो सकता है। छींक आने पर हमाने श्वसन तंत्र या नाक में मौजूद कण, कीटाणु निकल जाते हैं और हमारी शरीर की रक्षा होती है। तो क्या छींक आना शरीर के लिए जरूरी होता है? क्या छींक आना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है? इस बारे में जानने के लिए हमने कामिनेनी हॉस्पिटल, हैदराबाद के वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डॉक्टर एन अपूर्वा रेड्डी से बातचीत की-
छींक क्यों आती है?
छींक आना प्राकृतिक क्रिया है। यह प्रत्येक व्यक्ति को आती है। छींक आने पर हमारे नाक में मौजूद कीटाणु, बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं। दरअसल, जब नाक के जरिए कोई बाहरी चीज हमारे शरीर में प्रवेश करता है, तो इससे हमारे श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचता है। छींक आने से बैक्टीरिया, कीटाणु पहले ही बाहर निकल जाते हैं और श्वसन तंत्र सुरक्षित रहता है। सुबह के समय सभी लोगों को छींक आती है। लेकिन रात को सोते हुए छींक नहीं आती है, क्योंकि सोते समय छींकने वाली नसें भी आराम करती हैं। कुछ लोगों को सर्दी के कारण छींक आती है। जब बाहरी वस्तुएं नासिका में प्रवेश करती हैं तो दूसरों की नाक बहने लगती है।
क्या छींकना शरीर के लिए फायदेमंद प्रक्रिया है?
छींकने की प्रक्रिया सेहत के लिए फायदेमंद होती है। छींक बैक्टीरिया और वायरस को नाक से साफ करके शरीर की रक्षा करता है। दरअसल, जब धूल-मिट्टी या गंदगी नाक में प्रवेश करती है या आपको ट्रिगर करती है, तो इससे छींक केंद्र बंद हो जाता है। इस स्थिति में गले, आंखों और मुंह को कसकर बंद करने के लिए संकेत तेजी से भेजे जाते हैं। इसके बाद छाती की मांसपेशियां गले की मांसपेशियों को सिकोड़ती हैं। इस दौरान आपको छींक आती है। कई लोगों को सुबह उठने के बाद छींक आती है।
क्या कहते हैं डॉक्टर
डॉक्टर एन अपूर्वा रेड्डी बताती हैं कि छींक नाक या मुंह के माध्यम से आती है। छींक नासिका मार्ग को साफ करता है। जब आपकी नाक में डिटेक्टर परेशान हो जाते हैं, तो शरीर बैक्टीरिया और संक्रमणों के आपके वायुमार्ग को स्वचालित रूप से साफ करने का प्रयास करता है। यह अड़चन धूल, अजीब गंध, पालतू जानवरों की रूसी, काली मिर्च को छूने से हो सकती है।
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छींक कैसे आती है
छींक हर किसी को आती है। ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल आता है कि आखिर छींक कैसे आती है? दरअसल, नाक में म्यूकस झिल्ली होती है। म्यूकस झिल्ली के उत्तक और कोशिकाएं (Cells) काफी सेंसिटिव होती हैं। ऐसे में जब नाक में धूल, कण, मिट्टी, गंदगी जाती है या नाक किसी तेज गंध के संपर्क में आता है, तो छींक आती है। जब नाक में ऐसी कोई चीज जाती है, तो हमें गुदगुदी महसूस होती है। इस दौरान हमारे दिमाग या मस्तिष्क में संदेश जाता है और मस्तिष्क मांसपेशियां बाहरी कणों को बाहर निकालने का संदेश देती है। जैसे ही मस्तिष्क संदेश देता है, हमें छींक आती है।
छींक आने के लक्षण (sneezing symptoms)
छींकना एक सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन अगर आपको बार-बार छींक आती है, तो आप कुछ लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं। जानें छींक आने के लक्षण (sneezing symptoms)-
- नाक में खुजली लगना
- सिरदर्द
- भारीपन
- चिड़चिड़ापन
- सूंघने की शक्ति कम होना
- आंखों का लाल होना
- नाक से पानी बहना
छींक को ट्रिगर करने वाली चीजें (sneezing triggers)
- आईब्रो को तोड़ने से छींक ट्रिगर हो सकता है। दरअसल, जब प्लकिंग चेहरे की एक नस को बंद कर देता है। यह नस नासिका मार्ग से जुड़ी होती है। इसलिए भौहें तोड़ने पर छींक आती है।
- अत्यधिक परिश्रम हाइपरवेंटिलेट का कारण बनता है। इससे नाक और मुंह सूखता है। इसमें आपको नाक बहने की समस्या हो सकती है और छींक आती है।
- धूप भी छींक को ट्रिगर कर सकता है। धूप और तेज रोशनी से छींक आ सकती है। हर तीन में से एक व्यक्ति धूप और तेज रोशनी की प्रतिक्रिया में छींकता है। छींक आने पर आप काली मिर्च, आंवला, अदरक और लहुसन का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये छींक को रोकने के उपाय हैं।
छींकना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है। छींकने से शरीर बैक्टीरिया और वायरस को बाहर निकालकर आपकी रक्षा करता है। छींक आने से आप स्वस्थ रहते हैं। छींक 100 मील प्रति घंटे से अधिक तेज गति करता है। छींकने से हवा में एक लाख से अधिक जीवाणु निकलते हैं। इसलिए आपको छींकते समय हमेशा नाक पर हाथ, रूमाल जरूर लगाना चाहिए। इससे आपके शरीर के कीटाणु या जीवाणु दूसरों को हानि नहीं पहुंचाते हैं। लेकिन छींक आते समय आपको हमेशा रूमाल का नाक या मुंह पर लगाना चाहिए। छींक आने पर सामने वाले व्यक्ति से थोड़ी दूरी बनानी चाहिए। इससे आपके कीटाणु दूसरे व्यक्ति तक नहीं पहुंचते हैं।