
Sneezing in Hindi: अरे, मैं तो अच्छे काम के लिए बाहर जा रहा था और तुमने छींक मारकर सब खराब कर दिया। अगर कोई किसी अच्छे काम के लिए निकले और तुरंत छींक आ जाए, तो यह बेहद अशुभ होता है। क्या आप भी इस मिथ पर यकीन करते हैं? दरअसल, हमारे समाज में अधिकतर लोगों का मानना है कि जब कोई किसी यात्रा पर निकलता है और अचानक से छींक आ जाती है, तो यह अशुभ होता है। लोग प्राचीनकाल से ही इन मान्यताओं को मानते हुए आ रहे हैं। प्राचीन समय से ही, छींक को एक बुरे काम का चेतावनी संकेत माना जाता है। खासकर, अगर किसी शुभ काम के दौरान छींक आ जाए, तो इसे सही नहीं माना जाता है। माना जाता है कि छींक आना, नकारात्मक ऊर्जा का संकेत होता है। या फिर यह किसी अशुभ घटना का प्रतीक हो सकता है। यह धारणा सदियों से चली आ रही है। हालांकि, आज भी कई लोग इसे मानते हैं।
हालांकि, सिर्फ छींक से जुड़ा ही नहीं, इसके अलावा भी कई ऐसे अंधविश्वास हैं, जिन्हें आजतक लोग सच मानते आ रहे हैं। इसलिए, सेहत और खानपान से जुड़े ऐसे ही मिथकों और अंधविश्वास के पीछे छिपे साइंस के बारे में बताने के लिए ओन्लीमायहेल्थ "अंधविश्वास या साइंस" सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के तहत हम आपको ऐसे ही अंधविश्वासों से जुड़े साइंस और वैज्ञानिक तथ्य बताने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इस सीरीज में आज हम फैमिली फिजिशियंस ऑफ इंडिया के जनरल फिजिशियन डॉ. रमन कुमार से जानते हैं कि छींक आने के पीछे के वैज्ञानिक कारण क्या होते हैं। यानी छींक आने के पीछे का साइंस क्या है?
क्या यात्रा पर निकलते समय किसी दूसरे का छींकना अशुभ होता है?
भारत में छींक को लेकर अलग-अलग तरह की कई मान्यताएं प्रचलित हैं। समाज में कई लोगों का मानना है कि अगर किसी जरूरी काम को शुरू करने से पहले छींक आ जाए, तो इसे टाल देना चाहिए। वहीं, कुछ जगहों पर सुबह या रात के समय छींकना भी अशुभ माना जाता है। अगर आप किसी यात्रा पर जा रहे हैं और कोई दूसरा व्यक्ति छींक देता है, तो इसे भी गलत संकेत समझा जाता है। माना जाता है कि यह छींक किसी तरह की घटना का संकेत है। लेकिन, आज के आधुनिक समय में वैज्ञानिक तथ्यों ने अंधविश्वासों को पीछे छोड़ दिया है। अब लोग समझने लगे हैं कि छींकने का संबंध शुभ या अशुभ से नहीं होता है। बल्कि, छींकना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
डॉ. रमन कुमार कहते हैं कि छींकना एक सामान्य शारीरिक प्रतिक्रिया है। इसका किसी शुभ या अशुभ कार्य से कोई संबंध नहीं है। दरअसल, छींक नाक के अंदर मौजूद नर्वस सिस्टम के उत्तेजित होने की वजह से आती है। यह प्रतिक्रिया, नाक में धूल-मिट्टी, कण या पराग जैसे तत्वों के जाने पर हो सकती है। इसके अलावा, इंफेक्शन या फ्लू आदि होने पर भी व्यक्ति को छींक आ सकती है।
छींक क्यों आती है?
एलर्जी
अगर आपको किसी चीज से एलर्जी है, तो इसके संपर्क में आने से आपको छींक आ सकती है। खासकर, धूल-मिट्टी, पराग या प्रदूषण आदि से एलर्जी हो सकती है। कुछ लोगों को जानवरों के बालों से भी एलर्जी हो सकती है। इनके संपर्क में आने से छींक आ सकती है।
सर्दी-जुकाम
कई बार सर्दी-जुकाम होने पर आपको छींक आ सकती है। वायरस या बैक्टीरिया से संक्रमित होने की वजह से आपको छींक आ सकती है। खासकर, जिन लोगों को फ्लू है, उन्हें छींक ज्यादा परेशान कर सकती है।
तेज गंध
किसी-किसी व्यक्ति को तेज गंध की वजह से भी छींक आ सकती है। परफ्यूम, गैस या धुआं की गंध की वजह से नाक में जलन पैदा हो सकती है। इससे छींक आ सकती है।
मौसम में बदलाव
कुछ मामलों में लोगों को मौसम में बदलाव की वजह से छींक आ सकती है। ठंडा-गर्म होने पर छींक आ सकती है। कुछ लोगों को बदलते मौसम में छींक अधिक आती है।
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नाक की सफाई न करना
नाक की सफाई न करना भी, छींक आने के पीछे का एक कारण हो सकता है। दरअसल, जब नाक में गंदगी या बैक्टीरिया जमा हो जाती है, तो इन्हें बाहर निकालने के लिए छींक आ सकती है।
इस लेख में आपने जाना कि छींक आना अशुभ नहीं होता है, बल्कि इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण हैं। ऐसे ही अंधविश्वास के पीछे छिपे साइंस के बारे में जानने के लिए हमारी इस सीरीज से जुड़े रहें।
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