कई लोगों को आपने देखा होगा कि वो एक-एक कर कई बार छींकते ही जाते हैं। इस समस्या को एलर्जिक राइनाइटिस भी कहा जाता है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्दिति में इसका इलाज भी है। जमशेदपुर के बारीडीह में प्रैक्टिस कर रही आयुर्वेदिक चिकित्सक वैद्य अंकिता पाठक बताती हैं कि आयुर्वेदिक नुस्खों और योगा को आजमाकर इस समस्या से निजात पाया जाता है। तो आइए इस आर्टिकल में हम लगातार छींक आने की समस्या से आयुर्वेदिक तरीके से कैसे निजात पाएं उसके बारे में जानते हैं।
आयुर्वेद में इसके कहा जाता है वात कफ प्रतिशयाय
वैद्य बताती हैं कि एलर्जिक राइनाइटिस को आयुर्वेद में वात कफ प्रतिशयाय कहा जाता है। इसे नाक की एलर्जी भी कहा जाता है। इसके बारे में जानने से पहले एलर्जी के बारे में जानना बेहद ही जरूरी होता है। जब हम बाहर होते हैं वहीं हमारा शरीर बाहर के वातावरण में अलग प्रतिक्रिया करता है तो उसे एलर्जी कहते हैं। यदि यह प्रतिक्रिया नाक से होती है तो उसे नाक की एलर्जी - एलर्जिक राइनाइटिस कहा जाता है। इसमें बाहर तत्व नाक की मेंब्रेन को छूता है तो हमें छींक आना, नाक से पानी, नाक में ब्लॉकेज, आंखों में खुजली जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
ज्यादातर किसे होती है यह समस्या
एक्सपर्ट बताती हैं कि यह बीमारी ज्यादातर उन लोगों में देखने को मिलती है जिनका पेट (हाजमा) खराब रहता है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम रहती है, वैसे लोग जो ज्यादा उदास रहते हैं, वैसे लोग जिनमें कम ऊर्जा होता है या फिर पुरानी बीमारी की वजह से, डस्ट -पॉलेन ग्रेन आदि की वजह से, नमी वाले तापमान में जो ज्यादा रहते हैं ऐसे में उनके नाक की मेंब्रेन को बाहरी तत्व छूता है इस वजह से नाक की म्यूकस मेंब्रेन रिएक्शन देती है और लोग छींकते हैं। जब म्यूकस मेंब्रेन में प्रतिक्रिया होती है तो नाक में इरीटेशन, जलन होने के साथ सूजन की समस्या आती है। इन्हीं कारणों की वजह से उन्हें छींके आती हैं।
अक्सर सुबह उठकर लोग छींकने लगते हैं
एक्सपर्ट बतातीं हैं कि कई लोग सुबह उठने के साथ ही छींकने लगते हैं। लोग बार-बार छींकने लगते हैं। आपके अपने घर में या फिर ऑफिस जैसी जगहों पर यह नोटिस भी किया होगा। ऐसे लोगों को छींक आते-आते बुखार भी होने लगता है। यह एलर्जिक राइनाइटिस के सीवियर केस में कुछ ऐसे ही लक्षण देखने को मिलते हैं।
ऐसी स्थिति में आयुर्वेदिक इन जड़ी बुटियों का करें इस्तेमाल
1. सोंठ यानि सूखी हुई अदरक का करें इस्तेमाल
एक्सपर्ट बताती हैं कि इस समस्या से निजात पाने के लिए आप आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। घर में सूखा अदरक जिसे सोंठ कहते हैं आसानी से मिल जाता है, इसका पाउडर बना लें। इसका आधा-आधा चम्मच शहर में मिलाकर या फिर सीधे हल्के गुनगुने पानी में मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें तो मरीज को काफी फायदा पहुंचता है।
2. अजवाइन के पानी का लें भांप
यदि किसी को बार बार छींके आ रही हैं। छींके रुक ही नहीं रही हैं तो ऐसे में एक्सपर्ट बतातीं हैं कि उसे अजवाइन का एक चम्मच लेकर पानी में डालकर गर्म करना चाहिए। फिर उसका भांप लेना चाहिए। यह करना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। सिर के ऊपर चादर रखकर नाक से भांप लेना चाहिए। ताकि अजवाइन का पानी का भाप म्यूकस मेंब्रेस को छूता हुआ जाएगा। इससे वहां का सूजन और इरीटेशन खत्म होगा।
3. अदरक-पुदीना की चाय के साथ गर्म चीजों का करें सेवन
यह बीमारी वात और कफ से जुड़ी होती है, ऐसे में रोग से बचाव के लिए गर्म खाद्य पदार्थों का सेवन करना ज्यादा फायदेमंद होता है। लगातार छींक आने के कारण यदि नाक से पानी का बहना नहीं रुक रहा तो उस स्थिति में एक्सपर्ट बतातीं हैं कि मरीज को जितना संभव हो गर्म खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। जैसे सूप, अदरक की चाय, मिंट टी- पुदीना की चाय, सूप, गर्म पानी, तुलसी आदि का सेवन करें।
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बीमारी से बचाव के लिए योग का है बड़ा योगदान
एक्सपर्ट बतातीं हैं कि बार-बार छींक आने की समस्या से छुटकारा पाने के लिए योग का काफी बड़ा योगदान है। रोजमर्रा की जीवनशैली में इन योगासन को अपनाकर बीमारी से बचाव कर सकते हैं। आप इन आसनों को जीवन शैली में कर सकते हैं शामिल,
- वीरभद्रासन
- अर्धचंद्रासन
- सेतुबंध आसन
- प्राणायाम
वीरभद्रासन करने की विधि
- सबसे पहले जमीन पर मैट बिछाकर उसपर खड़े हो जाएं
- अब गहरी सांस लें और अपने बाएं पैर को अंदर की तरफ मोड़े
- दाहिने पैर को बाहर की तरफ मोड़े
- अब दोनों हाथों को ऊपर की ओर लेकर जाएं और नजरों को हाथों के ऊपरी छोर पर टीकाकर रखें
- इस दौरान गहरी लंबी सांसे लेते रहें
- आपके दोनों पैर एक ही रेखा में होने चाहिए
- इस मुद्रा पर 30 से 40 सेकंड तक रहें
- अब विश्राममुद्रा में आने के लिए हाथों को धीरे धीरे नीचे करें
- सिर को भी नीचे की ओर ले जाएं
- अब यही प्रक्रिया को दूसरे पैर से भी दोहराएं
अर्ध चंद्रासन को ऐसे करें
- इसे करने के लिए सबसे पहले जमीन पर सीखे खड़े होना है
- दाएं पैर को बाएं पैर से दो फिट दूर लेकर जाना है
- इस दौरान अपने हाथ को सीधे ही रखना है
- अब हाथों और पैरों को हिलाते हुए ट्रायंगल मुद्रा में ले जाएं
- अब दाएं हाथ के पंजे को जमीन से थोड़ा ऊपर रखें। अपने दाएं हाथ के पंजे को दाएं पैर के बीच करीब डेढ़ फीट की दूरी होनी चाहिए
- एक हाथ को ऊपर ले जाएं और दूसरे पैर को उसी पुजिशन में ऊपर ले जाएं
नोट- बिना एक्सपर्ट के निर्देशन में और इन आसनों को कतई न करें। कोशिश करें कि शुरुआत में एक्सपर्ट के साथ में ही इन आसनों को दोहराएं। तब जाकर आप इन आसनों को परफॉर्म कर सकते हैं।
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आयुर्वेदिक चिकित्सक के अनुसान इन चीजों का करें परहेज
वैद्य बतातीं हैं कि इस बीमारी के होने पर यदि मरीज कुछ परहेज करे तो उसे छींके कम आएंगी या नहीं आएंगी। वहीं समस्या कंट्रोल में होगा। एक्सपर्ट बताती हैं कि इस बीमारी की स्थिति में इन चीजों का सेवन करने की सलाह इसलिए नहीं दी जाती है क्योंकि ये खाद्य पदार्थ रोग को बढ़ाने का काम करते हैं। इसलिए कोशिश यही होनी चाहिए कि इम्युनिटी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का ही सेवन करना चाहिए।
- ठंडी चीजों का सेवन न करें
- बर्फीली चीजें जैसे आइसक्रीम आदि का सेवन करने से बचें
- खमीर युक्त चीजों का सेवन करने से बचें
- दही, लस्सी, चना, रूखी और ठंडी चीजों का सेवन नहीं करना ही उचित होता है
डॉक्टरी सलाह लें
एक्सपर्ट बताती हैं कि इन उपाय को आजमाने में समस्या का समाधान हो जाता है। बावजूद इसके इस बीमारी से जूझ रहे लोगों को इसका समाधान जानने के लिए अपने नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। उसके बाद ही इन तरकीब को आजमाना चाहिए। बिना एक्सपर्ट की सलाह के इसे आजमाने की सलाह चिकित्सक नहीं देते हैं। एक्सपर्ट की सलाह लेकर आयुर्वेदिक नुस्खों को आजमाने के साथ दवा का सेवन किया जाए तो समस्या का समाधान तुरंत हो जाएगा।
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