आजकल लोग पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लेने के लिए मल्टीग्रेन आटे को प्राथमिकता देने लगे हैं। हालांकि, कई लोग बिना सीजन का ध्यान दिए किसी भी मौसम में कोई भी आटा खा लेते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकता है। खासकर, जब बात आती है मल्टीग्रेन आटे और नॉर्मल आटे के बीच के अंतर की, तो यह समझना बहुत जरूरी है कि किस आटे का सेवन कब और क्यों करना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार, हर ऋतु में शरीर की जरूरत अलग होती है, और उसी के अनुसार आहार भी होना चाहिए। उदाहरण के लिए, सर्दियों में हमें अधिक कैलोरी और गर्म तासीर वाले आहार की जरूरत होती है, जबकि गर्मी में हल्का, ठंडा आहार शरीर के लिए उपयुक्त होता है। इस लेख में राम हंस चैरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, क्या मल्टीग्रेन आटा नॉर्मल आटे से बेहतर है?
कौन सा आटा बेहतर है, मल्टीग्रेन या होल व्हीट - Is Multigrain Atta Better Than Normal Atta
मल्टीग्रेन आटा स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इसमें विभिन्न प्रकार के अनाजों का मिश्रण होता है, जो विभिन्न पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इनमें फाइबर, प्रोटीन, विटामिन और खनिज अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर को मजबूती और ताजगी प्रदान करते हैं। इसके अलावा यह ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में भी मदद करता है और हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाता है।
आयुर्वेद के अनुसार, विभिन्न ऋतुओं के अनुसार भोजन के प्रकार और उनके गुण बदलते हैं। गर्मियों में ठंडे अनाज जैसे गेहूं और जौ का सेवन करना फायदेमंद होता है, लेकिन सर्दियों में गेहूं से बचने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह ठंडा अनाज है, जो शरीर को अधिक ठंडा कर सकता है। सर्दियों में शरीर को गर्म रखने के लिए रागी, बाजरा, और मक्का जैसे गर्म तासीर वाले अनाज अधिक उपयुक्त होते हैं।
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डॉक्टर श्रेय इस बारे में बताते हैं कि मल्टीग्रेन आटा नॉर्मल गेहूं के आटे से बेहतर होता है और इसे खाना चाहिए लेकिन हमें इकट्ठा ज्यादा आटा पिसवाकर नहीं (Is multigrain better than regular) रखना चाहिए मतलब पूरा साल का आटा एक बार में पिसवाकर नहीं खाना चाहिए। मल्टीग्रेन आटे के अनाजों को मौसम के अनुरूप मिलाकर पिसवाना चाहिए।
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नॉर्मल आटा और मल्टीग्रेन आटे में अंतर
नॉर्मल आटा या गेहूं का आटा केवल एक प्रकार के अनाज से तैयार होता है, जबकि मल्टीग्रेन आटा कई प्रकार के अनाजों का मिश्रण होता है। इस मिश्रण में अधिक पोषण तत्व होते हैं और यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। मल्टीग्रेन आटा फाइबर से भरपूर होता है, जिससे पाचन क्रिया में मदद मिलती है और कब्ज की समस्या नहीं होती। यह आटा ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक होता है, जबकि गेहूं का आटा मधुमेह रोगियों के लिए उतना उपयुक्त नहीं होता।
आयुर्वेद के दृष्टिकोण से, नॉर्मल आटे का सेवन ऋतु के अनुसार नियंत्रित किया जाना चाहिए। गर्मियों में गेहूं का सेवन बढ़ सकता है, लेकिन सर्दियों में इसे सीमित किया जाना चाहिए। इस प्रकार, मल्टीग्रेन आटा को आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से और ऋतु के अनुसार लिया जाए तो यह अधिक प्रभावी होगा।
निष्कर्ष
मल्टीग्रेन आटा नॉर्मल आटे से अधिक लाभकारी है, लेकिन यह जरूरी है कि इसका सेवन सही ऋतु और शरीर के संतुलन के हिसाब से किया जाए। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर की प्रकृति और मौसम के अनुसार अनाज का चयन करना चाहिए।
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