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प्रेग्नेंसी में जेनेटिक डिसऑर्डर का पता लगाने के लिए कौन-से टेस्ट किए जाते हैं? डॉक्टर से जानें

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के गर्भ में पल रहे भ्रूण में किसी भी तरह की समस्या का पता लगाने के लिए कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं, आइए जानते हैं वो कौन-से जांच हैं? 
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प्रेग्नेंसी में जेनेटिक डिसऑर्डर का पता लगाने के लिए कौन-से टेस्ट किए जाते हैं? डॉक्टर से जानें


What is The Test For Genetic Abnormalities in Fetus?: प्रेग्नेंसी की जर्नी हर महिला के लिए काफी मुश्किल होती है, जिसमें उन्हें शारीरिक और मानसिक समस्याओं से गुजरना पड़ता है। ऐसे में गर्भ में पल रहे बच्चे के सही विकास को लेकर भी महिलाएं परेशान रहती हैं। दरअसल पोषण की कमी या अन्य जेनेटिक कारणों से गर्भ में शिशु का विकास कई बार सही तरह से नहीं हो पाता है। जिस कारण कुछ शिशुओं को जन्म के बाद शारीरिक या मानसिक समस्याएं हो सकती हैं। लेकिन, जन्म से पहले ही कुछ टेस्ट की मदद से भ्रूण में होने वाली समस्याओं का पता लगाया जा सकता है। आइए गयनेकोलॉजिस्ट और प्रसूति विशेषज्ञ डॉ. चांदनी सहगल से जानते हैं कि प्रेग्नेंसी से पहले महिलाओं को कब, कौन-से टेस्ट करवाने चाहिए, जो भ्रूण में होने वाली समस्याओं का पता लगाने में मदद कर सके।

भ्रूण की स्थिति का पता लगाने के लिए टेस्ट

पहली तिमाही में भ्रूण की जांच के लिए टेस्ट

प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में भ्रूण में किसी तरह के दोष का पता लगाने के लिए एनटी स्कैन (न्यूकल ट्रांसलूसेंसी स्कैन) कराया जा सकता है। इस स्कैनिंग में भ्रूण की गर्दन के पीछे फ्लूइड का आकलन किया जाता है, जो क्रोमोसोमल असामान्यताएओं के बारे में पता लगाने में मदद करता है। इसके अलावा एक ब्लड टेस्ट भी किया जाता है, जिसे डुअल मार्कर टेस्ट कहा जाता है, जो डाउन सिंड्रोम जैसी क्रोमोसोमल स्थितियों का पता लगाने का काम करता है। पहली तिमाही में गैर-इनवेसिव प्रीनेटल स्क्रीनिंग (एनआईपीएस) भी करवाई जाती है, जिसमें जेनेटिक से जुड़ी समस्याओं की पहचान करने के लिए मां के ब्लड में भ्रूण के डीएनए का एनालिसिस किया जाता है।

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दूसरी तिमाही में भ्रूण की जांच के लिए टेस्ट

प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही के दौरान भ्रूण में किसी भी तरह की समस्या का पता लगाने के लिए एनॉमली स्कैन किया जाता है, जिसे विसंगति स्कैन या लेवल 2 अल्ट्रासाउंड भी कहा जाता है। यह स्कैनिंग भ्रूण के शारीरिक विकास का आकलन करने और शरीर में होने वाली समस्याओं का पता लगाने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही डॉक्टर क्वाड्रुपल मार्कर टेस्ट भी करवाने की सलाह देते हैं, जो न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट जैसी स्थितियों का पता लगाने में मदद करता है।

Test For Fetus

एमनियोसेंटेसिस टेस्ट

अगर प्रेग्नेंसी के पहली और दूसरी तिमाही में स्कैनिंग या टेस्ट के जरिए किसी तरह की समस्या का पता लगता है तो भ्रूण का एमनियोसेंटेसिस किया जाता है। इसमें भ्रूण के क्रोमोसोमल का एनालिसिस करने के साथ, एमनियोटिक फ्लूइड की थोड़ी मात्रा निकालकर जांच की जाती है।

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निष्कर्ष

प्रेग्नेसी के दौरान गर्भ में पल रहे भ्रूण की स्थिति की जांच करने के लिए और उनमें किसी तरह की जेनेटिक समस्याओं का पता लगाने के लिए इन टेस्ट को करवाना जरूरी है। इन टेस्ट की मदद से भ्रूण में होने वाली किसी भी समस्या को दूर करने के साथ मां और शिशु की सही देखभाल करने में मदद करता है।
Image Credit: Freepik

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