मेडिकल साइंस में कई रहस्यमयी और दुर्लभ स्थितियां देखने को मिलती हैं, लेकिन हाल ही में महाराष्ट्र में सामने आया एक मामला डॉक्टरों के लिए भी किसी आश्चर्य से कम नहीं था। सोनोग्राफी के दौरान एक नवजात शिशु के पेट में भ्रूण पाया गया, जिसने सभी को हैरान कर दिया। यह स्थिति ‘फीटस इन फीटू’ (Fetus in Fetu) कहलाती है, जो बहुत दुर्लभ है। दुर्लभ जन्मजात विसंगति का पता कुछ दिन पहले चला जब 32 वर्षीय महिला नियमित जांच के लिए बुलढाणा जिला महिला अस्पताल गई। जिस वक्त इस स्थिति का पता चला तब महिला गर्भवस्था के नौवें महीने में थी, जांच के बाद डॉक्टरों ने इलाज शुरू कर दिया। इस लेख में हम जानेंगे फीटस इन फीटू क्या है और इस स्थिति के पीछे छुपे संभव कारण। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के डफरिन हॉस्पिटल की वरिष्ठ गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ लिलि सिंह से बात की।
क्या है फीटस इन फीटू?- What is Fetus in Fetu
‘फीटस इन फीटू’ एक दुर्लभ मेडिकल कंडीशन है, जिसमें गर्भावस्था के दौरान एक भ्रूण दूसरे भ्रूण के अंदर विकसित हो जाता है। आमतौर पर यह स्थिति मोनोज़ायगोटिक (एक ही भ्रूण से बने) जुड़वा बच्चों में देखी जाती है, जहां एक भ्रूण पूरी तरह विकसित होता है, जबकि दूसरा भ्रूण उसके अंदर ही फंस जाता है और उसी के शरीर से पोषण लेने लगता है।
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कितना दुर्लभ है यह मामला?
फीटस इन फीटू की घटना दुनिया में बहुत दुर्लभ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दुनियाभर में अब तक ऐसे केवल 200 से 300 मामले ही सामने आए हैं। इनमें से 15 से 20 मामले भारत के हैं। इसका मतलब है कि यह स्थिति लाखों में से किसी एक शिशु को प्रभावित कर सकती है।
क्यों होती है फीटस इन फीटू जैसी दुर्लभ स्थिति?- Fetus in Fetu Causes
- फीटस इन फीटू की स्थिति तब होती है जब गर्भ में जुड़वा भ्रूण का विकास प्रारंभिक अवस्था में होता है, लेकिन किसी कारणवश एक भ्रूण पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता और दूसरे भ्रूण के शरीर के अंदर शामिल हो जाता है। ऐसा भ्रूण आमतौर पर शिशु के पेट में या रीढ़ की हड्डी के पास पाया जाता है।
- ऐसी स्थिति अपर्याप्त ब्लड फ्लो के कारण भी होती है। जब छोटे भ्रूण को पर्याप्त ब्लड फ्लो नहीं मिल पाता, जिससे वह विकसित भ्रूण के शरीर में रह जाता है।
- कुछ मामलों में अनुवांशिक कारणों से भी यह स्थिति हो सकती है।
फीटस इन फीटू के लक्षण- Fetus in Fetu Symptoms
यह स्थिति बहुत ही दुर्लभ है और आमतौर पर जन्म के बाद ही इसका पता चलता है। इसके कुछ लक्षण इस प्रकार हैं-
- नवजात के पेट में असामान्य सूजन होना।
- पाचन संबंधी समस्याएं जैसे उल्टी, कब्ज और भूख न लगना।
- पेट में गांठ महसूस होना।
- कभी-कभी सांस लेने में कठिनाई होना।
फीटस इन फीटू का पता कैसे चलता है?
इस स्थिति का पता आमतौर पर सोनोग्राफी, सीटी स्कैन या एमआरआई के जरिए चलता है। सोनोग्राफी के दौरान अगर डॉक्टर को पेट में कोई असामान्य हलचल दिखती है, तो वे आगे की जांच करने की सलाह देते हैं।
इलाज और सर्जरी की जरूरत होती है
फीटस इन फीटू का इलाज केवल सर्जरी की मदद से संभव है। डॉक्टर शिशु के पेट में मौजूद भ्रूण को सर्जरी के जरिए निकाल देते हैं, ताकि आगे कोई समस्या न हो। इस सर्जरी में आमतौर पर सफलता मिलती है और नवजात को कोई समस्या नहीं होती।
महाराष्ट्र में सामने आया यह मामला न सिर्फ चिकित्सा जगत के लिए चौंकाने वाला है, बल्कि यह एक दुर्लभ मेडिकल घटना का उदाहरण भी है। ‘फीटस इन फीटू’ जैसी स्थितियां बहुत ही कम देखने को मिलती हैं, लेकिन ऐसे मामलों में जल्द से जल्द पहचान और सही इलाज जरूरी होता है, ताकि नवजात शिशु का स्वास्थ्य बेहतर बना रहे।
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