
Noise Pollution and Pregnancy: प्रेग्नेंसी में महिलाएं अपने खाने-पीने से लेकर नींद और एक्सरसाइज हर चीज का ध्यान रखती है। स्ट्रेस मैनेज करने के लिए प्रेग्नेंट महिलाएं मेडिटेशन और योग भी करती है। खास बात तो यह है कि आजकल प्रेग्नेंट महिलाएं अपनी बीमारियों को लेकर भी बहुत सजग है और रेगुलर डॉक्टर से सलाह लेती हैं, लेकिन खास बात यह है कि गर्भवती महिलाएं जिस बात का सबसे ज्यादा इग्नोर करती हैं, वो है noise pollution यानी की ट्रैफिक का शोर, लाउड स्पीकर से लेकर खुद कानों पर हेडफोन लगाकर तेज आवाज से म्यूजिक सुनना। इस तेज शोर का असर शायद कुछ समय के लिए महिला को परेशान कर सकता है, लेकिन इसका असर भ्रूण पर क्या पड़ता है, इससे महिलाएं अनजान होती है। इसलिए हमने दिल्ली के क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के गायनेकोलॉजिस्ट और ऑब्सटेट्रिशन विभाग की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मीनाक्षी बनर्जी (Dr Meenakshi Banerjee, Senior Consultant – Gynecologist and Obstetrician at Cloudnine Group of Hospitals, Kailash Colony, New Delhi) से बात की।
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तेज शोर प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए क्यों खतरनाक है?
डॉ. मीनाक्षी बनर्जी कहती हैं, “सबसे पहले यह समझना होगा कि जिन आवाजों को हम कंट्रोल नहीं कर सकते, जैसेकि लगातार ट्रैफिक की आवाज, लाउडस्पीकर, कहीं कंस्ट्रशन के दौरान होने वाली आवाजें, इन्हें ही noise pollution की कैटेगरी में रखा जाता है। इसलिए प्रेग्नेंसी में तेज आवाज या शोर को हल्के में लेना सही नहीं है क्योंकि इसे इग्नोर करने से मां और बच्चे दोनों के लिए रिस्की हो सकता है। दरअसल, लगातार तेज आवाज प्रेग्नेंट महिला में कार्टिसोल हार्मोन बढ़ा देती है। ये हार्मोन स्ट्रेस से जुड़ा है और जब कार्टिसोल हार्मोन बढ़ता है, तो इसका असर भ्रूण तक पहुंचने वाले न्यूट्रिशन और ऑक्सीजन की सप्लाई पर हो सकता है।”

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Noise Pollution का भ्रूण पर क्या असर पड़ता है?
डॉ. मीनाक्षी ने बताया कि CDC की रिपोर्ट के अनुसार, 85 decibels (dBA) से ज्यादा शोर किसी भी व्यस्क की सुनने की क्षमता के लिए खतरनाक है और तेज शोर प्रेग्नेंट महिलाओं के भ्रूण के विकास को धीमा कर सकता है। noise pollution से भ्रूण पर कई तरह के असर हो सकते हैं।
- हार्ट बीट पर असर - अगर शोर बहुत ज्यादा तेज होता है, तो भ्रूण की हार्ट बीट बहुत तेज हो सकती है और बार-बार ऐसा होने पर बच्चे की ग्रोथ पर भी असर पड़ सकता है।
- नींद पर असर - प्रेग्नेंसी में भी बच्चे के सोने और जागने का पैटर्न होता है। अगर शोर लगातार रहता है, तो इससे बच्चे की नींद टूट सकती है और उनका दिमागी विकास पर भी असर पड़ सकता है।
- सुनने की क्षमता पर असर - प्रेग्नेंसी के आखिरी ट्राईमेस्टर में बच्चों के कान और सुनने की ग्रोथ हो चुकी होती है। अगर उस समय 85 decibels से ज्यादा शोर होता है, तो इससे बच्चे की सुनने की क्षमता पर भी असर पड़ सकता है।
- स्ट्रेस होना - अगर मां शोर की वजह से लगातार स्ट्रेस में रहेगी, तो इससे चिड़चिड़ापन, फोकस करने में दिक्कत और इमोशनल बैलेंस बिगड़ता है।
Noise Pollution से जन्म के समय बच्चे पर असर
NCBI की रिपोर्ट के अनुसार, जो प्रेग्नेंट महिलाएं शोर वाले इलाके में रहती है, उन्हें कई बार डिलीवरी के समय कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसमें डिलीवरी के समय सर्जरी होना, जन्म के समय बच्चे का वजन कम होना, हाई ब्लड प्रेशर होना और कई मामलों में शिशु की सुनने की क्षमता कम होना शामिल है। इसलिए डॉक्टर हमेशा प्रेग्नेंट महिलाओं को शोर से दूर रहने की सलाह देते हैं।
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प्रेग्नेंट महिलाएं शोर से बचने के लिए किन बातों का ध्यान रखें?
डॉ. मीनाक्षी ने noise pollution से बचने के लिए कुछ बातों पर ध्यान रखने की सलाह दी है।
- प्रेग्नेंट महिलाएं खुद को शांत वातावरण में रखें।
- टीवी और मोबाइल की आवाज कम रखें।
- अगर बाहर शोर हो रहा हो, तो ईयरप्लग या नॉइज कैंसिलिंग हेडफोन का इस्तेमाल करें।
- रोजाना कम से कम 10-15 मिनट मेडिटेशन या योगा करें।
- अगर प्रेग्नेंट महिलाएं काम करती है, तो वर्क प्लेस पर शोर से बचकर रहें।
- प्रेग्नेंट महिलाओं को अपनी नींद पर ध्यान देना चाहिए। शांत वातावरण में ही सोएं।
निष्कर्ष
डॉ. मीनाक्षी कहती हैं कि प्रेग्नेंट महिलाओं को अपने भ्रूण के फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर ध्यान देना चाहिए। इसलिए महिलाओं को शोर से बचना चाहिए और अगर शोर ज्यादा हो, तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें। प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को शांत वातावरण और स्ट्रेस फ्री रहना चाहिए।
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Nov 11, 2025 19:47 IST
Modified By : Aneesh RawatNov 11, 2025 19:47 IST
Published By : Aneesh Rawat