
Noise Pollution and Heart Disease: आजकल लोग इतना ज्यादा बिजी हो गए हैं कि उन्हें समझ ही नहीं आता कि सड़क से लेकर घर तक ट्रैफिक, गाड़ियों के हॉर्न, तेज म्यूजिक और मशीनों की तेज आवाजें सिर्फ कान को ही नहीं बल्कि हार्ट पर भी असर डालती है। अक्सर लोग यह समझ ही नहीं पाते कि तेज शोर शरीर के कई हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकता है और इसमें हार्ट भी महत्वपूर्ण अंग है। Noise Pollution से हार्ट पर कैसे असर होता है, इस बारे में हमने नई दिल्ली के पीएसआरआई अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. रवि प्रकाश (Dr. Ravi Prakash, Senior Consultant-Cardiology, PSRI Hospital, New Delhi) से बात की। उन्होंने बताया कि तेज शोर सिर्फ सिरदर्द ही नहीं करता, बल्कि हार्ट की बीमारियों का बड़ा कारण बन चुका है।
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तेज शोर क्यों नुकसान करता है?
डॉ. रवि प्रकाश कहते हैं, “तेज शोर का मतलब है कि ऐसी आवाजें जो सुनने की क्षमता से तेज हो और शरीर पर असर डालें। जब आवाज बहुत ज्यादा तेज होती है, तो शरीर खुद ही अलर्ट मोड में आ जाता है और इससे शरीर स्ट्रेस में रहता है और दिमाग भी धीरे-धीरे स्ट्रेस लेने लगता है। यह स्ट्रेस हार्ट पर भी असर डाल सकता है।”
Noise Pollution से हार्ट को नुकसान कैसे होता है?
डॉ. रवि प्रकाश ने बताया कि हार्ट को नुकसान होने के कई फैक्टर्स हो सकते हैं।
स्ट्रेस हार्मोन बढ़ाते हैं हार्ट का रिस्क
जब भी तेज शोर आसपास होता है, तो दिमाग तुरंत शरीर को अलर्ट कर देता है और इससे शरीर में स्ट्रेस हार्मोन बढ़ सकते हैं। कॉर्टिसोल और एड्रेनालिन हार्मोन बढ़ने से हार्ट बीट तेज हो जाती है और ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है और हार्ट पर एक्स्ट्रा स्ट्रेस पड़ता है। यही वजह है कि जो लंबे समय तक शोर में रहते हैं, उनमें हाई बीपी, हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का रिस्क बढ़ सकता है।

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नींद पूरी न होने पर हार्ट पर असर
जब तेज शोर होता है, तो नींद भी नहीं आती और अगर रात में तेज आवाज से गाड़ी का हार्न सुन जाए तो नींद खराब हो जाती है। लगातार नींद टूटने से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, हार्ट बीट रेगुलर नहीं रहती, शरीर में सूजन बढ़ सकती है और हार्ट की बीमारियों का रिस्क कई गुना बढ़ सकता है। दरअसल, नींद के दौरान शरीर रिपेयर होता है और अगर नींद पूरी न हो, तो इसका असर हार्ट पर पड़ता है।
शोर के कारण ब्लड वेसेल्स सिकुड़ना
लगातार तेज आवाज के कारण ब्लड वेसेल्स सिकुड़ जाती है और इससे ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है। इस वजह से हार्ट को पंप करने में ज्यादा मेहनत लगती है। अगर यह कंडीशन लगातार बनी रहती है, तो हार्ट के लिए नुकसानदायक हो सकती है।
मेंटल स्ट्रेस का हार्ट पर असर
तेज आवाज से चिड़चिड़ापन, गुस्सा, बेचैनी और स्ट्रेस बढ़ जाता है और इसका असर भी हार्ट पर पड़ता है। कई लोगों को माइग्रेन भी ट्रिगर हो जाता है। ऐसा लंबे समय तक हो, तो हार्ट की मांसपेशियों को कमजोर कर देता है और इससे हार्ट कमजोर हो जाता है।
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Noise Pollution से कैसे बचें?
डॉ. रवि कहते हैं कि तेज आवाजों का शोर सिर्फ हार्ट पर ही नहीं, बल्कि पूरे लाइफस्टाइल को बिगाड़ देता है। इससे फोकस होने में दिक्कत, मूड स्विंग्स और थकान महसूस होती है, इसलिए हार्ट को शोर प्रदूषण से बचाना जरूरी है।
- रात को बेडरूम में शांति रखने के लिए मोबाइल और टैब जैसे डिवाइस न लेकर जाएं।
- बाहरी शोर से बचने के लिए भारी पर्दे लगाएं।
- ट्रैफिक वाले रास्तों पर इयरप्लग का इस्तेमाल करें।
- खुद को तेज म्यूजिक से दूर रखें।
- पार्क या शांत जगहों पर समय बिताएं।
- रोजाना कम से कम 7–8 घंटे की नींद जरूर लें।
- स्ट्रेस कम करने के लिए योग और मेडिटेशन जरूर करें।
निष्कर्ष
डॉ. रवि कहते हैं कि शोर को कभी भी हल्के में न लें क्योंकि इससे हाई बीपी, हार्ट बीट रेगुलर न होना, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का रिस्क बढ़ सकता है। इसलिए अपने हार्ट की सेहत के लिए शोर से बचें और किसी भी तरह की दिक्कत होने पर डॉक्टर से सलाह लें।
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Nov 19, 2025 07:05 IST
Published By : Aneesh Rawat