Doctor Verified

हार्ट इंफेक्शन कितने प्रकार के होते हैं? डॉक्टर से समझें

शरीर के कार्य सुचारू होने के लिए हार्ट का हेल्दी होना बेहद आवश्यक होता है। आगे जानते हैं कि हार्ट में किस तरह के इंफेक्शन का जोखिम अधिक होता है।
  • SHARE
  • FOLLOW
हार्ट इंफेक्शन कितने प्रकार के होते हैं? डॉक्टर से समझें


Types Of Heart Infection: शरीर के अन्य अंगों की तरह ही हृदय का स्वस्थ होना बेहद आवश्यक होता है। हृदय ही पूरे शरीर में रक्त को पंप करता है। इससे शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन युक्त रक्त पहुंचता है और सभी अंग क्रियाशील होते हैं। यदि, हृदय काम करना बंद कर दें, तो ऐसे में व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। हृदय की बनावट जटिल होती है और इसमें कई प्रकार के संक्रमण हो सकते हैं जो स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। हृदय में होने वाले कुछ प्रमुख संक्रमण प्रकार को हम इस लेख में बता रहे हैं। वैसे, हृदय में एंडोकार्डाइटिस, मायोकार्डाइटिस, पेरिकार्डाइटिस, रयूमेटिक हृदय रोग, और कार्डियोमायोपैथी आदि संक्रमण का खतरा हो सकता है। यशोदा अस्पताल के प्रिंसिप्ल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ असित खन्ना से जानते हैं कि हृदय में किस तरह के इंफेक्शन हो सकते हैं?

हार्ट इंफेक्शन के कितने प्रकार के होते हैं? - Types Of Heart Infection In Hindi

मायोकार्डाइटिस (Myocarditis)

मायोकार्डाइटिस हृदय की मांसपेशियों में होने वाला एक संक्रमण है। इसके कारण मुख्य रूप से वायरस होते हैं, जैसे कि कोक्ससैकीवायरस और इन्फ्लुएंजा वायरस। इस संक्रमण से हृदय की पंप करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। इस दौरान व्यक्ति को सीने में दर्द, सांस लेने में परेशानी और थकान महसूस होती है।

types-of-heart-infection-in

रयूमेटिक हृदय रोग (Rheumatic Heart Disease)

यह भी प्रकार का हृदय संक्रमण है जो स्ट्रेप्टोकोकल गले के संक्रमण के बाद होता है। यह संक्रमण हृदय वाल्व को प्रभावित कर सकता है और इसे नुकसान पहुंचा सकता है। यह समस्या अधिकतर बच्चों और किशोरों में देखी जाती है। इसमें त्वचा पर रैशेज, थकान, जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है।

एंडोकार्डाइटिस (Endocarditis)

एंडोकार्डाइटिस हृदय की भीतरी परत या वाल्व में संक्रमण को कहा जाता है। यह तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस या फंगस ब्लड सर्कुलेशन के माध्यम से हृदय के अंदर पहुंच जाते हैं। यह स्थिति अधिकतर उन लोगों में देखी जाती है जिनके हृदय वाल्व में पहले से ही कोई डिफेक्ट होता है या जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है।

पेरिकार्डाइटिस (Pericarditis)

पेरिकार्डाइटिस में हृदय की बाहरी झिल्ली (पेरिकार्डियम) में सूजन और संक्रमण हो जाता है। यह स्थिति वायरल संक्रमण, चोट या ऑटोइम्यून रोगों के कारण हो सकती है। इसमें रोगी को बुखार, सूजन और सीने में तेज दर्द महसूस होता है।

कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy)

कार्डियोमायोपैथी में हृदय की मांसपेशियों के बनावट में समस्याएं आती हैं, जो कई बार संक्रमण के कारण भी हो सकती हैं। इसमें हार्ट की पंप करने की क्षमता कमजोर हो जाती है। यह रोग वायरल संक्रमण, जीन संबंधी विकार या अन्य कारणों से उत्पन्न हो सकता है। इसमें व्यक्ति को चक्कर आना, हार्ट बीट अनियमित होना, सांस लेने में दिकक्त आदि समस्याएं हो सकती है।

इसे भी पढ़ें : हृदय रोगों से बचने के लिए के लिए जरूरी है हेल्दी लाइफस्टाइल, डॉक्टर से जानें कैसी हो आपकी जीवनशैली

हृदय संक्रमण गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते हैं और समय पर डॉक्टर से सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। स्वस्थ जीवनशैली, नियमित व्यायाम, और संतुलित आहार से हृदय की सेहत को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। यदि कोई लक्षण महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

Read Next

महिलाओं को समय-समय पर क्यों करवानी चाहिए कार्डियोवैस्कुलर स्क्रीनिंग, डॉक्टर से जानें

Disclaimer