ज्यादातर लोगों को हेडफोन या इयरफोन पर गाने सुनना अच्छा लगता है। समय बिताने के लिए और मानसिक शांति के लिए संगीत एक अच्छा जरिया है। संगीत न सिर्फ हमें सुकून देता है बल्कि ये हमारे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। आज म्यूजिक थैरेपी के जरिये कई गंभीर रोगों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा रहा है। लेकिन कुछ लोगों की आदत होती है कि वो हेडफोन पर बहुत लाउड म्यूजिक सुनना पसंद करते हैं। हेडफोन पर तेज आवाज में गाने सुनने से हमारे कान और दिमाग को कई तरह के नुकसान हो सकते हैं।
सुनने की क्षमता हो सकती है कम
तेज आवाज में गाने सुनने से आपके सुनने की क्षमता वक्त के साथ कम हो सकती है। दरअसल ध्वनि हवा में कंपन्न से पैदा होती है और ये कंपन्न हमारे कान के पर्दों पर पड़ते हैं तो हमें शब्द या संगीत सुनाई पड़ता है। जब आप हेडफोन पर तेज आवाज में गाने सुनते हैं तो कान के पर्दों पर लगातार तेज आघात होता रहता है और आप बाहर की आवाज नहीं सुन पाते हैं। लगातार तेज आवाज में गाने सुनने से दिमाग तेज आघात को सहने की क्षमता विकसित कर लेता है जिसके बाद धीमे आघात को कई बार दिमाग पढ़ नहीं पाता और आप सामान्य आवाज नहीं सुन पाते हैं।
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कान का संक्रमण
हेडफोन लगाकर गाने सुनने से आपको कान के संक्रमण का खतरा होता है। दरअसल जिन्हें गाने सुनने का शौक होता है वो हेडफोन या इयरफोन लगाकर ही अपने ज्यादातर काम करते हैं और कभी-कभी तो टॉयलेट में भी लोग हेडफोन लगाकर जाते हैं। इससे उनके हेडफोन और फोन पर हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस चिपक जाते हैं जो कानों में इंफेक्शन पैदा कर सकते हैं और कानों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसी तरह अगर आप अपना हेडफोन या इयरफोन कई लोगों के साथ शेयर करते हैं तो इससे भी आपके कानों में इंफेक्शन का खतरा होता है।
कोशिकाएं खराब हो सकती हैं
कोशिकाएं हमारे शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। तेज आवाज में गाने सुनने से कान के बेसिलर में मौजूद संवेदनशील कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है। हमारे दिमाग तक ध्वनि तरंगों को पहुंचाने के लिए एक नर्व होती है, जिसे कोचलियर नर्व कहते हैं। जब हम तेज आवाज में गाने सुनते हैं तो इससे इस नर्व को भी नुकसान पहुंचता है और हमारे दिमाग तक ध्वनि तरंगें ठीक तरह से नहीं पहुंच पाती हैं। दरअसल 75 डेसिबल से कम की आवाज हमारे कानों के लिए सुरक्षित मानी जाती है और 85 डेसिबल से ऊपर की आवाज हमारे कानों के लिए हानिकारक है। सामान्य बातचीत में हमारी आवाज का स्तर 55 से 60 डेसिबल होता है।
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एकाग्रता की कमी हो सकती है
बहुत से लोगों का मानना होता है कि हेडफोन पर संगीत सुनते हुए काम करने से उनमें एकाग्रता बनती है। दरअसल शुरुआत में आपको ऐसा महसूस हो सकता है कि तेज संगीत आपको एकाग्र कर रहा है लेकिन लंबे समय तक यही आदत अपनाने से आप अपनी सामान्य एकाग्रता खो देते हैं। तब आप बिना संगीत के खुद को एकाग्र नहीं कर पाते और इससे कानों के साथ-साथ दिमाग को भी नुकसान पहुंचता है।
बुजुर्गों को पड़ सकता है दिल का दौरा
उम्र के साथ-साथ हमारे अंगों में भी कमजोरी आने लगती है। बुढ़ापे में हमारी मांसपेशियों, कोशिकाओं और हड्डियों में इतनी क्षमता नहीं रह जाती कि वो तेज आघात सह सकें। ऐसे में अगर आप तेज आवाज में संगीत सुनते हैं तो इससे नसों पर भी दबाव पड़ता है और आपका ब्लड प्रेशर प्रभावित हो सकता है। कई बार इसकी वजह से व्यक्ति को दिल का दौरा भी पड़ सकता है।
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