Intrahepatic Ectopic Pregnancy in Hindi: प्रेग्नेंसी किसी भी महिला के लिए एक सुखद और खुशी के सबसे अहम पलों में से एक होता है। लेकिन, उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में प्रेग्नेंसी का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने हर किसी को हैरान कर दिया है। दरअसल, 30 साल की एक महिला के पेट में लगातार दर्द की समस्या होने पर जब इलाज के दौरान जांच की गई तो टेस्ट की रिपोर्ट ने डॉक्टर्स को भी चौंका दिया है। महिला के पेट में दर्द का कारण उनकी प्रेग्नेंसी थी, लेकिन ये गर्भावस्था आम नहीं, थी, क्योंकि महिला के बच्चा उसके गर्भाशय में नहीं बल्कि लिवर (pregnancy in liver) में था। यह एक मेडिकल कंडीशन है, जिसे इंट्राहेपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहा जाता है। जानलेवा भी है। आइए NIIMS मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. काजल सिंह (Dr Kajal Singh, Associate Professor, Obstetrics and Gynaecology Department, NIIMS Medical College and Hospital) से जानते हैं कि इंट्राहेपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी क्या है और इसके कारण और लक्षण क्या है?
इंट्राहेपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी क्या है?
लिवर में भ्रूण का होना एक दुलर्भ और गंभीर स्थिति है, जिसे इंट्राहेपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहा जाता है। इसमें भ्रूण लिवर (fetus in liver) के टिशू के अंदर ट्रांसप्लांट और विकसित होता है। इस स्थिति में भ्रूण लिवर पैरेन्काइमा (आमतौर पर लिवर के राइट लोब) में ट्रांसप्लांट होता है। यह रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट के बाहर प्रेग्नेंसी है, जिसे नॉन-ट्यूबल एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के रूप में जाना जाता है।
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इंट्राहेपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के कारण
इंट्राहेपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिसमें-
- ट्यूबल डैमेज होना या डिसफंक्शन होना
- असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजीज की समस्या
- पेट की सर्जरी के कारण बढ़ा हुुआ जोखिम
- पेल्विक सर्जरी भी इस समस्या का एक कारण हो सकता है
- हाई पेरिटी यानी कई प्रेग्नेंसी होना
- पेरिटोनियल एडहेशन्स
- एम्ब्रियो ट्रांसलोकेशन

इंट्राहेपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के लक्षण
- पेट के दाहिने ऊपरी क्वाड्रेंट में दर्द
- हेमोपेरिटोनियम या पेट के अंदर ब्लीडिंग होना
- अमेनोरिया के साथ पॉजिटिव β-hCG
- रप्चर केस में हाइपोवोलेमिक शॉक
- ट्रांसवेजिनल सोनोग्राफी (TVS) पर इंट्रायूटरिन गर्भावस्था का दिखना
- अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन या एमआरआई पर असामान्य इमेजिंग, जो लिवर तक सीमित हों
इंट्राहेपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के ट्रीटमेंट
- हेपेटेक्टोमी या वेज एक्सिशन में सर्जिकल रिसेक्शन
- इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी
- मेथोट्रेक्सेट थेरेपी
इंट्राहेपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के जोखिम
- पेट के अंदर बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना
- हेमोरेजिक शॉक
- लिवर का डैमेज होना
- हाई मैटरनल मॉर्बिडिटी और मौत का खतरा
क्या कोई बच्चा लिवर में बढ़ते हुए जीवित रह सकता है?
डॉ. काजल सिंह के अनुसार, "लिवर में बढ़ते हुए भ्रूण का जीवित रहना संभव नहीं है क्योंकि यह एक दुर्लभ और जानलेवा तरह की प्रेग्नेंसी है, जिसमें भ्रूण लिवर के दाहिने लोब में चला जाता है। लिवर में भ्रूण का विकास नॉर्मल नहीं हो सकता है, क्योंकि लिवर सेल्स प्रेग्नेंसी को सपोर्ट देने के लिए जरूरी डेसिडुअलाइजेशन प्रक्रिया को सपोर्ट नहीं करते हैं। इस स्थिति के शुरुआती चरणों में ही मिसकैरेज या इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा ज्यादा होता है। अभी तक दुनियाभर में होने वाले हेपेटिक प्रेग्नेंसी के मामलों में भ्रूण का जीवीत रहना संभव नहीं हो पाया है और मां की जान बचाने के लिए सर्जरी की जरूरत होती है।
निष्कर्ष
इंट्राहेपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें भ्रूण लिवर में बढ़ता है। यह एक गंभीर समस्या है, जो महिला के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करता है।एक्टोपिक प्रेग्नेंसी से बचने का कोई तरीका नहीं है, लेकिन समय पर टेस्ट करवाकर इसके जान के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकता है।
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FAQ
क्या लिवर में एक्टोपिक प्रेगनेंसी हो सकती है?
जब भ्रूण गर्भाशय की जगह शरीर के किसी और हिस्से में बड़े होने लगते हैं तो उसे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहा जाता है। आमतौर पर प्रेग्नेंसी फैलोपियन ट्यूब में होती है, लेकिन कुछ मामलों में ये पेट, ओवरी या लिवर में भी हो सकती है।एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के बाद क्या करें?
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के बाद, शारीरिक और इमोशनल दोनों तरीके से ठीक होने में समय लग सकता है। इसलिए, नियमित स्वास्थ्य की जांच करवाएं, हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं और अपने मेंटल हेल्थ को बेहतर रखें।एक्टोपिक गर्भावस्था का इलाज कैसे किया जाता है?
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का इलाज दवा और सर्जरी की मदद से किया जाता है। दवा में एक इंजेक्शन दिया जाता है, जो प्रेग्नेंटी के विकास को रोकता है, जबकि सर्जरी के दौरान एक्टोपिक टिशू को हटाया जाता है।