Can You Decrease Amniotic Fluid In Hindi: एमनियोटिक फ्लूइड वह तत्व होता है, जिसमें भ्रूण विकसित करता है और सुरक्षित रहता है। एमनियोटिक फ्लूइड गर्भ में पल रहे शिशु को बाहरी पदार्थों और टॉक्सिंस से बचाने का काम करता है। गर्भ में शिशु 9 महीने एमनियोटिक फ्लूइड में ही रहता है। इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि एमनियोटिक फ्लूइड शिशु के शारीरिक-मानसिक विकास के लिए कितना उपयोगी है। अगर गर्भवती महिला को किसी वजह से एमनियोटिक फ्लूइड से जुड़ी कोई समस्या हो जाती है, तो इससे शिशु का विकास बाधित हो सकता है। यह उसके लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसीलिए, गर्भावस्था के दौरान हर महिला को जरूरी सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। इसके बावजूद, देखने में आता है कुछ महिलाओं को एमनियोटिक फ्लूइड से संबंधित समस्या हो जाती है। जैसे एमनियोटिक फ्लूइड का बढ़ना। यह गंभीर कंडीशन है। अगर किसी कारणवश एमनियोटिक फ्लूइड बढ़ जाता है, तो यह शिशु के लिए खतरा बन सकता है। सवाल है कि क्या गर्भ में एमनियोटिक फ्लूइड को कम किया जा सकता है? अगर हां, तो इस संबंध में क्या किया जाना जरूरी है? आइए, इस लेख में आगे जानते हैं। इस बारे में हमने वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से बात की।
क्या एमनियोटिक फ्लूइड को कम किया जा सकता है?- Can You Decrease Amniotic Fluid In Hindi
जब एमनियोटिक सैक में एमनियोटिक फ्लूइड का स्तर बढ़ने लगता है, तो उसे हम पॉलिहाइड्रेमनियोस (polyhydramnios) के नाम से जानते हैं। यह स्थिति गर्भवती महिला और बच्चा, दोनों के लिए जोखिम भरी होती है। यही कारण है कि हर महिला को गर्भावस्था के दौरान हर माह डॉक्टर के पास जाकर अपना चेकअप करवाना चाहिए, ताकि किसी तरह की समस्या का पहले से ही पता लगाया जा सके। बहरहाल, यहां सवाल है कि क्या एमनियोटिक फ्लूइड को कम किया जा सकता है? इस संबंध में एक्सपर्ट कहती हैं, "आमतौर पर गर्भावस्था में होने वाली डायबिटीज, भ्रूण में असामान्य समस्याएं आदि कारणों एमनियोटिक फ्लूइड का स्तर बढ़ सकता है। एमनियोटिक फ्लूइड को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर्स सबसे पहले गर्भवती महिला की जांच करते हैं। जब यह पता चलता है कि एमनियोटिक फ्लूइड का स्तर बढ़ा हुआ है, तो इसे कंट्रोल करने के लिए कुछ विशेष दवाइयां दी जाती हैं। इसके अलावा, एमनियोसेंटेसिस टेस्ट किया जाता है। इस प्रक्रिया के तहत सुई की मदद सेबढ़े हुए एमनियोटिक फ्लूइड से थोड़ा सा द्रव बाहर निकाल लिया जाता है, ताकि एमनियोटिक सैक में एमनियोटिक फ्लूइड का स्तर सामान्य बना रहे।" डॉक्टर आगे कहती हैं, "डाइट में कुछ बदलाव करके भी एमनियोटिक फ्लूइड के स्तर को बैलेंस करने में मदद मिल सकती है।"
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एमनियोटिक फ्लूइड बढ़ने पर होने वाली जटिलताएं
एमनियोटिक फ्लूइड का स्तर बढ़ने से महिला को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे-
- महिला को लंबे समय तक लेबर पेन होने का रिस्क रहता है।
- प्रीमैच्यारे कॉन्ट्रैक्शन हो सकता है, जिससे प्रीटर्म डिलीवरी का जोखिम बढ़ता है।
- समय से पहले ही वॉटर ब्रेक हो सकता है।
- सांस लेने में तकलीफ होने लगती है।
- लेबर के दौरान अनियंत्रित ब्लीडिंग हो सकती है।
- गर्भ में शिशु की पोजिशन बदल सकती है, जिससे डिलीवरी के दौरान मुश्किलें बढ़ जाती है।
- एमनियोटिक फ्लूइड की अधिकता के कारण शिशु गर्भनाल में फंस सकता है, जिससे उसे ऑक्सीजन की कमी हो सकती है।
- कई गंभीर मामलों में शिशु की मृत्यु तक हो सकती है।
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