Importance of Carrier Screening Test: तकनीकी में बदलाव आने के साथ बीमारियों का पता लगाना भी आसान हो गया है। अब किसी भी समस्या के लक्षण सही परीक्षण के जरिए पहले से पता लगाए जा सकते हैं। इसी प्रकार अब कैरियर स्क्रीनिंग टेस्ट भी काफी ज्यादा सुर्खियों में आ गया है। इस टेस्ट के जरिए कई गंभीर बीमारियों और विकारों को बढ़ने से रोका जा सकता है। लेकिन अब सवाल आता है कि इस टेस्ट के क्यों कराया जाता है? इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए हमने बात कि न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स के लैब प्रमुख डॉ. विज्ञान मिश्रा से। आइये इस लेख के माध्यम से समझे इस बारे में।
कैरियर स्क्रीनिंग टेस्ट किसे कराना चाहिए? For which individual is genetic carrier screening indicated?
कैरियर स्क्रीनिंग टेस्ट एक प्रकार के जेनेटिक टेस्ट होते हैं जो व्यक्ति में जेनेटिक और इनहेरिटेड डिसऑर्डर का पता लगाने के लिए किये जाते हैं। जो लोग बेबी प्लानिंग की सोच रहे होते हैं, खासकर उन लोगों को जिनके परिवार में किसी को जेनेटिक डिसऑर्डर रहा हो।
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किन डिसऑर्डर से ग्रस्त लोगों को यह टेस्ट कराना चाहिए? What diseases are carrier screening?
जिन लोगों की सिस्टिक फाइब्रोसिस, सिकल सेल एनीमिया, या टे-सैक्स जैसी बीमारियों या डिसऑर्डर की कोई फेमिली हिस्ट्री रही है, उन्हें कैरियर स्क्रीनिंग टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। इस टेस्ट के जरिए होने वाले बच्चे में खतरे का पता लगाया जा सकता है। इससे पैरेंट्स को कंसीव करने के सुरक्षित तरीके को चुनने में मदद मिल सकती है।
कैरियर स्क्रीनिंग कराने के फायदे- Benefits of Carrier Screening Test
कैरियर स्क्रीनिंग से सही समय पर बीमारी के बारे में जाना जा सकता है। इससे परिवार नियोजन निर्णयों में सहायता मिल सकती है। वहीं अगर दोनों साथी एक ही विकार के ग्रस्त हैं, तो होने वाले बच्चे में विकार होने की 25% संभावना बढ़ जाती है। यह परीक्षण कपल्स को सूचित विकल्प चुनने की अनुमति देता है, जैसे प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक परीक्षण, प्रसव पूर्व निदान, या यहां तक कि गोद लेने के साथ इन विट्रो निषेचन करना आदि।
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चलते-चलते
कैरियर स्क्रीनिंग टेस्ट मुख्य तौर पर जेनेटिक डिसऑर्डर से ग्रस्त व्यक्तियों को कराने की सलाह दी जाती है। यह पारिवारिक बीमारी को आने वाली पीढी में रोकने के लिए एक बेहतर तरीका है। इस परीक्षण से कपल्स को बेबी प्लानिंग से पहले सही तरीको को चुनने और सही समय पर इलाज लेने में मदद मिल सकती है। इससे होने वाले बच्चे में खतरे को कम किया जा सकता है।