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वक्त से पहले जवान (Early Puberty) होने के कारण बच्चों पर पड़ता है बुरा असर, जानें डॉक्टर की राय

Impact Of Early Puberty On Kids In Hindi: आजकल बच्चे वक्त से पहले जवान (Early Puberty) हो रहे हैं।  इसका बच्चों पर क्या असर पड़ता है, इस लेख में जानें।

Meera Tagore
Written by: Meera TagoreUpdated at: Apr 17, 2023 11:06 IST
वक्त से पहले जवान (Early Puberty) होने के कारण बच्चों पर पड़ता है बुरा असर, जानें डॉक्टर की राय

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Impact Of Early Puberty On Kids In Hindi: जब बच्चा 10 या 11 साल का होता है, तब उसे प्यूबर्टी होती है। लड़कियां, लड़कों की तुलना में जल्दी जवान हो जाती हैं, जबकि लड़कों को प्यूबर्टी के लिए कुछ साल और इंतजार करना पड़ता है। लड़कियां 10 से 14 साल की उम्र के बीच और लड़के 12 से 16 साल के बीच प्यूबर्टी की इस प्रक्रिया  से गुजरते हैं। अगर इस तय  उम्र से पहले ही बच्चों में प्यूबर्टी आ जाए, तो इसे अर्ली प्यूबर्टी के नाम से जाना जाता है। इसे असामयिक यौवन भी कह सकते हैं। अर्ली प्यूबर्टी की वजह से बच्चों को कई तरह के नकारात्मक असर झेलने पड़ते हैं। आइए, जानते हैं इसके बारे में  नई दिल्ली के मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की  चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता की क्या राय है।

Impact Of Early Puberty On Kids

अर्ली प्यूबर्टी के लक्षण

  • लड़कियों मेंः स्तनों का विकास, प्यूबिक हेयर, बगलों में बाल, माहवारी का शुरू होना, मुंहासे होना शरीर से पसीने की तीव्र बदबू आना आदि।
  • लड़कों मेंः गुप्तांग का बढ़ना, प्यूबिक हेयर, चेहरे और अंडरआर्म के बाल बढ़ना, आवाज का भारी होना, मुंहासे होना और शरीर से पसीने की बदबू आना।

बच्चों पर अर्ली प्यूबर्टी का प्रभाव

जब बच्चे जल्दी जवान होने लगते हैं, तो इसका शारीरिक, भावनात्मक और सामाजिक असर उन पर देखने को मिलता है। हालांकि, हर बच्चा अलग-अलग तरह के अनुभव महसूस करता है। फिर भी जो सामान्य प्रभाव हैं, वे इस प्रकार हैं-

लंबाई का रुक जाना

संभवतः आपका बच्चा पहले अपने दोस्तों के बीच सबसे लंबा था। लेकिन, अर्ली प्यूबर्टी के कारण उसकी लंबाई रुक जाती है। इसका मतलब यह है कि असामयिक यौवन वाला बच्चे का विकास बाधित होता है क्योंकि उसकी हड्डियों का विकास सामान्य से कम उम्र में ही रुक जाता है।

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बिहेवियर में बदलाव

अर्ली प्यूबर्टी के कारण लड़कियों और लड़कों में अलग-अलग तरह के बिहेवियरल चेंजेस यानी व्यवहार में बदलाव देखने को मिलते हैं। जैसे, लड़कों की बात करें, तो वे गुस्सैल, आक्रामक हो जाते हैं और विपरीत लिंगी की ओर उनका झुकाव बढ़ने लगता है। जबकि लड़कियों में, चिड़चिड़ापन, ओवर इमोशनल होना और बार-बार मेंटल स्टेटस में बदलाव आता है।

सामंजस्य बैठाने में दिक्कत होना

जिन बच्चों के साथ अर्ली प्यूबर्टी की समस्या होती है, उन्हें अपने हमउम्र बच्चों के साथ सामंजस्य बैठाने में परेशानी होती है। दरअसल, उनके शरीर में हो रहे बदलाव, दूसरे बच्चों के लिए असहज होते हैं। उनके व्यवहार में प्यूबर्टी न होने के कारण बचपना होता है, जबकि अर्ली प्यूबर्टी हो चुके बच्चों के व्यवहार और बातचीत के तरीके में अचानक बदलाव आने लगता है। इन बच्चों को अपने हमउम्र  बच्चे ही छोटे लगने लगते हैं और अपने दोस्तों के सर्कल में वे खुद को अनफिट महसूस करते हैं।

तनाव का बढ़ना

अर्ली प्यूबर्टी के कारण कुछ बच्चे अपनी स्थिति को समझ नहीं पाते। उन्हें लगता है कि उनके दोस्तों के साथ ऐसा क्यों नहीं हो रहा है और उन्हीं के साथ ये बदलाव क्यों हो रहा है? यह सवाल उन्हें गहरे तक परेशान करती है। चूंकि अर्ली प्यूबर्टी के शिकार बच्चे अपने साथियों के साथ तारतम्य नहीं बैठा पाते, तो वे ज्यादातर समय अकेले बिताना पसंद करने लगते हैं और उन्हें यह भी लगता है कि उन्हें कोई समझ नहीं सकता। वे खुद को दूसरों से अलग-थलग रखते हैं, जिस वजह से उनका तनाव का स्तर बढ़ जाता है।

आत्मविश्वास में कमी

अर्ली प्यूबर्टी के कारण लड़कियां काफी नेगेटिव हो जाती हैं और  उनके आत्मविश्वास को ठेस पहुंचाती है। असल में, अर्ली प्यूबर्टी के कारण कुछ लड़कियों में महावारी जल्दी शुरू हो जाते हैं। स्कूल में पीरियड  होने पर खुद को सही तरह से संभाल न पाना और क्लास के अन्य छात्र-छात्राओं  द्वारा मजाक उड़ाना, ये सब स्थितियां लड़कियों को बहुत ज्यादा आहत करती हैं। बतौर परिणाम बच्चे का आत्मविश्वास पूरी तरह टूट जाता है।

पैरेंट्स क्या करें

अगर आप उन पैरेंट्स में से हैं, जिनका बच्चा अर्ली प्यूबर्टी से गुजर रहा है, तो आपके लिए अपने बच्चे की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। उनकी मनःस्थिति को समझें, हमेशा उन्हें भावनात्मक सपोर्ट दें और कभी उन्हें अकेला न छोड़ें। इस तरह आप अपने बच्चे को अर्ली प्यूबर्टी की सिचुएशन से डील करने में मदद कर सकते हैं।

image credit: freepik

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