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समय से पहले प्यूबर्टी आने के जोखिम कारक क्या हैं? डॉक्टर से जानें

समय से पहले प्यूबर्टी आने से न सिर्फ बच्चों में शारीरिक बदलाव लाता है, बल्कि मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक स्तर पर भी बच्चों को प्रभावित करता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि समय से पहले प्यूबर्टी होने के क्या जोखिम कारक हैं? 
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समय से पहले प्यूबर्टी आने के जोखिम कारक क्या हैं? डॉक्टर से जानें


Risk Factors For Early Puberty in Hindi: आज के समय में बच्चों में समय से पहले यौवन (Early Puberty) की समस्या देखने को मिल रही है। बच्चों में समय से पहले प्यूबर्टी आना एक गंभीर समस्या है, जो न सिर्फ उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डाल रहा है, बल्कि ये मानसिक रूप से भी उन पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। प्यूबर्टी की सामान्य उम्र लड़कियों में 8 से 13 साल और लड़कों के लिए 9 से 14 साल की उम्र होती है। लेकिन जब यह प्रक्रिया इससे पहले शुरू हो जाती है, तो इसे जल्दी यौवन आना यानी अर्ली प्यूबर्टी के रूप में जाना जाता है। यह न सिर्फ बच्चों के शरीर में शारीरिक बदलाव लाता है, बल्कि मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक स्तर पर भी बच्चों को प्रभावित करता है। लेकिन, क्या आपको पता है कुछ ऐसे जोखिम कारक हैं, जो आजकल बच्चों में अर्ली प्यूबर्टी का कारण बनता है। तो आइए मुंबई के केटी क्लिनिक की बीएएमएस सीसीएच, सीजीओ डॉ. अंजू मनकानी (Dr Anju Mankani, BAMS CCH, CGO, Ketty Clinic, Mumbai) से जानते हैं बच्चों में अर्ली प्यूबर्टी के क्या जोखिम कारक हैं?

समय से पहले प्यूबर्टी के जोखिम कारक - Risk Factors For Early Puberty in Hindi

1. अधिक मात्रा में बड़ों के कॉस्मेटिक्स का इस्तेमाल

आजकल छोटे बच्चे भी बड़ों की तरह मेकअप, परफ्यूम, डियोड्रेंट, नेल पॉलिश, हेयर स्प्रे आदि मेकअप और हेयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करे लगे हैं। इन प्रोडक्ट्स में पाए जाने वाले केमिकल जैसे फेथलेट्स, पैराबेन और बिसफेनॉल-A (BPA) बच्चों के शरीर में हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकता है। ये केमिकल्स शरीर में एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन की नकल करते हैं, जिससे समय से पहले प्यूबर्टी आने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।

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2. पैकेज्ड जूस और जंक फूड्सका सेवन

बाजार में मिलने वाले पैकेज्ड फलों के जूस, कोल्ड ड्रिंक्स और जंक फूड जैसे चिप्स, पिज्जा, बर्गर, फ्रेंच फ्राइज और जंक फूड्स में ज्यादा मात्रा में चीनी, ट्रांस फैट और प्रिजर्वेटिव्स (Preservatives) होते हैं, जो शरीर में चयापचय (Metabolism) को बिगाड़ते हैं और मोटापे का कारण बनते हैं, साथ ही शरीर में हार्मोनल असंतुलन को बढ़ाते हैं। कई पैकेज्ड फूड में हार्मोन एक्टिव तत्व मिलाए जाते हैं, जो बच्चों के शारीरिक विकास को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।

3. मोटापा और खराब लाइफस्टाइल

आज के समय में बढ़ती मोटापे की समस्या प्यूबर्टी का एक बड़ा कारण है। फैट टिशू शरीर में ज्यादा एस्ट्रोजन बढ़ने का कारण बनता है, जो लड़कियों में प्यूबर्टी की प्रक्रिया को समय से पहले शुरू कर सकता है। साथ ही, शारीरिक गतिविधियां की कमी जैसे खेलकूद न करना, घर में ही बैठे रहना, बाहर कम निकलने आदि जैसी आदतें भी बच्चों के शरीर में हार्मोनल असंतुलन का कारण बनता है।

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4. ज्यादा स्क्रीन टाइम और अनियमित नींद

आज के समय में बच्चे अपने दिन का ज्यादातर समय टीवी, मोबाइल, टैबलेट और कंप्यूटर पर गुजारते हैं। लेकिन, ज्यादा स्क्रीन टाइम के न सिर्फ मानसिक रूप से प्रभाव बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है, बल्कि ये उनके स्लीप साइकिल को भी प्रभावित करती है। बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त मात्रा में नींद लेना बहुत जरूरी है। लेकिन, नींद में कमी और ज्यादा स्क्रीन टाइम के कारण बच्चे देर रात तक जागते हैं, जिससे उनका स्लीप साइिकल बिगड़ जाता है। नींद की कमी से उनके शरीर में मेलाटोनिन जैसे हार्मोन का उत्पादन कम हो जाता है, जो प्यूबर्टी को देर से शुरू करने में मदद करता है, इस कारण कम उम्र में बच्चों में प्यूबर्टी की समस्या देखने को मिलती है।

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5. परिवार में जल्दी प्यूबर्टी का इतिहास

अगर माता-पिता या परिवार के किसी अन्य सदस्य को जल्दी प्यूबर्टी शुरु हुआ था तो इस बात की संभावना ज्यादा होती है कि आने वाली पीढ़ी में भी अर्ली प्यूबर्टी का जोखिम बढ़ जाता है। यह जेनेटिक कारणों से होता है और इसमें बहुत कुछ बच्चे के शारीरिक प्रक्रिया पर भी निर्भर करता है।

6. हार्मोनल असंतुलन

कुछ बच्चों में हार्मोन उत्पादक ग्रंथियां, जैसे पिट्यूटरी ग्रंथि या थायराइड में असंतुलन हो सकता है। इसके कारण बच्चों के शरीर में कुछ हार्मोन समय से पहले एक्टिव हो जाते हैं, जो समय से पहले बच्चों में प्यूबर्टी का कारण बनते हैं।

निष्कर्ष

जल्दी प्यूबर्टी आना न सिर्फ शरीर पर बल्कि बच्चे के मेंटल हेल्थ पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। इसके कारण, बच्चों में आत्मविश्वास की कमी, तनाव, शर्मिंदगी और सामाजिक दबाव बढ़ सकात है। लेकिन, इन जोखिम कारकों के बारे में जानकर और बच्चों को एक हेल्दी लाइफस्टाइल, पोषक तत्वों से भरपूर डाइट, मेकअप प्रोडक्ट्स से दूर रखकर और बेहतर स्लीप शेड्यूल फॉलो करके अर्ली प्यूबर्टी को रोकने की कोशिश की जा सकती है।
Image Credit: Freepik

FAQ

  • महिलाओं में यौवन की शुरुआत कब होती है?

    महिलाओं में यौवन यानी किशोरावस्था की शुरुआत आमतौर पर 8 साल से 13 साल की उम्र के बीच शुरू होती है। इस प्रक्रिया के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं।
  • जल्दी यौवन के कारण क्या हैं?

    समय से पहले यौवन आने के पीछे कई कारण हैं, जिसमें जेनेटिक, मेडिकल से जुड़ी समस्या, पर्यावरणीय कारक और खराब लाइफस्टाइल शामिल हैं।
  • प्यूबर्टी के क्या लक्षण हैं?

    प्यूबर्टी, जिसे हिंदी में यौवन के नाम से जाना जाता है, यह एक ऐसी अवस्था है, जिसमें बच्चों के शरीर में कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं, जिससे वे बच्चे से किशोरावस्था की ओर बढ़ता है।

 

 

 

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