स्टडी: ज्यादा स्क्रीन टाइम बन सकता है अर्ली प्यूबर्टी का कारण, जानें बच्‍चों को मोबाइल से दूर रखने के ट्रिक्स

हाल ही में हुई एक स्टडी के मुताबिक मोबाइल से निकलने वाली नीली लाइट बच्चों में अर्ली प्यूबर्टी का कारण बन सकती है।
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स्टडी: ज्यादा स्क्रीन टाइम बन सकता है अर्ली प्यूबर्टी का कारण, जानें बच्‍चों को मोबाइल से दूर रखने के ट्रिक्स


आज के समय में ज्यादातर बच्चे खिलौने के शौकीन न होकर मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करना पसंद करते हैं। वे पूरा समय स्मार्टफोन पर कार्टून, फिल्म देखने या फिर वीडियो गेम खेलते हैं। कई माता-पिता कम उम्र में ही बच्चों को पर्सनल फोन भी दिला देते हैं। क्या आप भी उन्हीं में से एक हैं? अगर हां, तो मोबाइल बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। हाल ही में 61वें एन्युअल यूरोपियन सोसाइटी फॉर पेड्रिएटिक एंड्रोक्रोनोलॉजी की मीटिंग में दिखाई गई एक स्टडी के मुताबिक स्मार्टफोन से निकलने वाली नीली लाइट बच्चों में अर्ली प्यूबर्टी का कारण बन सकती है।

क्या कहती है स्टडी? 

शोधकर्ताओं के मुताबिक बच्चों में लंबे समय तक मोबाइल चलाने की आदत उनके लिए नुकसानदायक हो सकती है। दरअसल, स्मार्टफोन, लैपटॉप या फिर टैबलेट की स्क्रीन से निकलने वाली नीली लाइट बच्चों में जल्दी प्यूबर्टी का कारण बनने के साथ ही टेस्टिस से जुड़ी समस्या का भी कारण बन सकता है। दरअसल, यह स्टडी चूहों पर आजमाई गई, जिसमें उन्हें कुछ दिनों तक स्मार्टफोन से निकलने वाली नीली लाइट के संपर्क में रखा गया। इसके बाद उनमें अर्ली प्यूबर्टी के लक्षण देखे गए। इस दौरान उनके टेस्टिकुलर टिशु भी डैमेज थे। 

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बच्चों में अर्ली प्यूबर्टी के लक्षण 

  • बच्चों में अर्ली प्यूबर्टी में शरीर में कई बदलाव देखे जा सकते हैं। 
  • अर्ली प्यूबर्टी में लड़कों में टेस्टिकल्स और प्राइवेट पार्ट का साइज बढ़ता है। 
  • इस अवस्था में बच्चों की आवाज में बदलाव होने के साथ ही चेहरे पर मुहासे भी निकलते हैं। 
  • वहीं लड़कियों में अर्ली प्यूबर्टी होने पर ब्रेस्ट का साइज बढ़ना और पीरियड्स का शुरू होना भी शामिल है। 

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बच्चों को मोबाइल से दूर रखने की ट्रिक्स 

  • बच्चों के मोबाइल की आदत छुड़ाने के लिए सबसे पहले उन्हें समझाएं और उससे होने वाले नुकसान के बारे में बताएं। 
  • इससे बचने के लिए उन्हें कम उम्र में फोन न दें। 
  • बच्चों को शुरू से ही खेल-कूद या फिर शारीरिक गतिविधियों में शामिल करें। 
  • रात में सोते समय बच्चों से मोबाइल ले लें। 
  • बच्चों के मोबाइल इस्तेमाल करने का एक सही समय निर्धारित करें। 
  • बच्चों से बात-चीत करें और उन्हें व्यस्त रखें। 

 

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