
Negative Impact of Early Puberty in Girls In Hindi: प्यूबर्टी, जिसे यौवन भी कहा जाता है। यह वास्तव में, वह समय होता है, जब लड़का या लड़की यौन रूप से परिपक्व हो जाते हैं। आमतौर पर लड़कियां 10 से 14 साल उम्र और लड़के 12 से 16 साल के बीच इस प्रक्रिय से गुजरते हैं। प्यूबर्टी होने पर लड़कियां और लड़के, दोनों को कई तरह के बदलाव से गुजरना पड़ता है। यह पूरी तरह सामान्य है। लेकिन, जब प्यूबर्टी, उम्र से पहले हो जाए, तो उसे अर्ली प्यूबर्टी के नाम से जाना जाता है। अर्ली प्यूबर्टी को प्रीकोशियस प्यूबर्टी भी कहा जाता है। अर्ली प्यूबर्टी का लड़के-लड़कियों पर बहुत गहरा असर पड़ता है। खासकर, लड़कियों की बात करें, तो उन्हें कई तरह के भावनात्मक-शारीरिक बदलाव से होकर गुजरना पड़ता है। समय से पहले प्यूबर्टी के कारण लड़कियां, इसके लिए मानसिक रूप से तैयारी नहीं होती हैं, जिस वजह से इसका उन पर नकारात्मक असर पड़ता है। इस लेख में अपोलो स्पेक्ट्रा मुंबई के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. राणा चौधरी से जानें कि लड़कियों में समय से पहले प्यूबर्टी आने से किस तरह के नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं।
अर्ली प्यूबर्टी का कारण
एक्सपर्ट्स की मानें तो इन दिनों लड़कियों को अर्ली प्यूबर्टी होने के पीछे कई वजहें हैं। सबसे बड़ी वजह, फिजिकल एक्टिविटी का कम होना है। इसके अलावा खराब खानपान, जंक फूड भी इसके लिए जिम्मेदार है। साथ ही, हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि लड़कियां अक्सर मोबाइल फोन में बिजी रहती हैं, जिससे उनकी शारीरिक गतिविधियां न के बरारब हो गई हैं। यहां तक कि उनके सोने का पैटर्न भी खराब हो चुका है। नतीजतन, कम उम्र में ही उन्हें हार्मोनल बदलाव से गुजरना पड़ रहा है। इन्हीं सब कारणों की वजह से लड़कियों को अर्ली प्यूबर्टी का सामना करना पड़ रहा है। अर्ली प्यूबर्टी के लक्षण के तौर पर लड़कियों को अपने शरीर में कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं, जैसे ब्रेस्ट साइज में बदलाव, चेहरे पर कील-मुंहासे होना, हाइट रुकतना, प्यूबिक एरिया में बाल आना, बगलों (अंडरआर्म्स) में बाल आना आदि।
इसे भी पढ़ें: Early Puberty: मोटापे के कारण वक्त से पहले जवान हो रहे बच्चे, जानें बचाव के उपाय
अर्ली प्यूबर्टी के नकारात्मक प्रभााव
डिप्रेशन: आमतौर पर प्यूबर्टी के बाद लड़कियां अपने शरीर में हो रहे कई तरह की बदलावों को लेकर कंफ्यूज होती है। ऐसे में कभी-कभी तनाव होना लाजिमी है। लेकिन जब अर्ली प्यूबर्टी हो जाए, तो छोटी बच्चियों के लिए अपनी स्थिति संभालना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में उन्हें रह-रहकर अपने बदलाव परेशान करते हैं, जो एक समय बाद डिप्रेशन का रूप ले लेता है।
तालमेल बैठाने में दिक्कत: अर्ली प्यूबर्टी की वजह से लड़कियों में जो बदलाव आते हैं, वही बदलाव उनकी हमउम्र की लड़कियों में नहीं आते। ऐसे में अर्ली प्यूबर्टी से गुजर रही लड़कियों के बातचीत के तरीके और शारीरिक जरूरतें, सब बदल हमउम्र लड़कियों से अलग हो जाते हैं। ऐसे में उन्हें अन्य लड़कियों के साथ तालमेल बैठाने में दिक्कतें आती है, जो कि उनके लिए परेशानी का सबब बन जाती है।
सेक्शुअल एक्टिविटी में इंवॉल्वमेंट: इतनी कम उम्र में प्यूबर्टी होने की वजह से लड़कियों में शारीरिक जरूरतें बढ़ जाती हैं। विशेषज्ञों की मानें, तो शारीरिक जरूरत यानी नैचुरलर तरीके से सेक्शुअल रिक्वायरमेंट बढ़ जाती है, जिससे यह डर बना रहता है कि लड़कियां असुरक्षित सेक्स में इंवॉल्व हो जाए। इससे इन लड़कियों में सेक्स संबंधी बीमारियों की जोखिम यानी रिस्क बढ़ जाता है।
इसे भी पढ़ें: समय से पहले प्यूबर्टी (यौवन) के कारण बच्चों में हो रहे हैं कई बदलाव, जानें क्या है Precocious Puberty के लक्षण
बॉडी इमेज को लेकर एंग्जाइटी: प्यूबर्टी होने के बाद लड़कियों में अपनी बॉडी इमेज को लेकर अलग किस्म की एंग्जाइटी हो जाती है। वे अक्सर इस बात का ध्यान रखती हैं कि वे अच्छी लग रही हैं या नहीं, कोई उन्हें नोटिस कर रहा है या नहीं। ऐसा होने पर लड़कियां तनाव में आ जाती है। यहां तक कि अगर कोई लड़की मोटी या पतली है, उसे लगे कि वह सुंदर नहीं है, तो उसकी बॉडी एंग्जाइटी बढ़ने लगती है। ऐसी सिचुएशन में, कई बार लड़कियों ईटिंग डिसऑर्डर का शिकार हो जाती हैं।
पेरेंट्स के साथ मतभेत: प्यूबर्टी होने पर लड़कियां हों या लड़के, उनमें यह भावना कर जाती है कि वे अब बड़े हो गए हैं और अब वे खुद से जुड़े सभी फैसले कर सकते हैं। जबकि, पेरेंट्स के लिए वे तब भी छोटे ही रहते हैं। साथ ही बच्चों के लिए सही और गलत का फैसला भी पेरेंट्स ही करते हैं। इसी पॉइंट पर पेरेंट्स के साथ लड़कियों के मतभेद शुरू हो जाते हैं।
पेरेंट्स क्या करें
जब बेटी को अर्ली प्यूबर्टी हो जाए, तो पेरेंट्स को चाहिए की उसकी फीलिंग्स को समझें। उन्हें सही गलत के बारे में बताएं। साथ ही उनके शरीर में हो रहे बदलाव के बारे में भी उन्हें अवेयर करें और उनके खानपान, लाइफस्टाइल पर पूरा ध्यान रखें। अगर बेटी कभी अकेलापन महसूस करे, तो पेरेंट्स उनकी हालत को समझते हुए उनके साथ दोस्त की तरह पेश आएं।
image credit: freepik