कम या ज्यादा खाना खाने की आदत हो सकता है ईटिंग डिसऑर्डर, जानें इसके 5 प्रकार

आपकी कम या ज्यादा खाना खाने की आदत हो सकती है ईटिंग डिसऑर्डर। हालिया अध्ययन बताते हैं कि खाने के इन विकारों के कुछ महत्‍वपूर्ण संकेत हो सकते हैं। आइए हम आपको बताते हैं, इस स्थिति के सबसे सामान्य प्रकारों के बारे में, जो कि सभी उम्र और लिंग के

Sheetal Bisht
Written by: Sheetal BishtUpdated at: Jul 02, 2019 17:32 IST
कम या ज्यादा खाना खाने की आदत हो सकता है ईटिंग डिसऑर्डर, जानें इसके 5 प्रकार

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हमारे और आपके समाज के मापदंडों के अनुसार, 'कोई भी सही नहीं है'। इसलिए कभी भी अपने आप से यह सवाल व शिकायत न करें कि आप सही नहीं हैं या आप कौन हैं? आप अपने तरीके से बाकी लोगों से अलग हैं। समाज को कभी भी अपनी पसंद के आड़े न आनें दें। आप मोटे या गोल-मटोल, पतले या कमजोर हो सकते हैं। यह अस्‍वस्‍थ मानसिकता व सोच बहुत से लोगों में ईटिंग डिसऑर्डर का शिकार बनाने का मुख्‍य कारण है। ईटिंग डिसऑर्डर, यह एक व्यक्ति में असामान्य भोजन की कुछ आदतें हैं।

अध्‍ययन के अनुसार 

ब्रिटेन के स्वानसी विश्वविद्यालय के एक नए अध्ययन ने असामान्य भोजन (ईटिंग डिसऑर्डर) की आदतों के महत्वपूर्ण संकेतों की खोज की गई है। यह शोध ब्रिटिश जर्नल ऑफ साइकेट्री में प्रकाशित हुआ, जिसमें यह पता चला कि ईटिंग डिसऑर्डर वाले लोगों में अन्य परिस्थितियों में भी पीड़ित रहने का खतरा रहता है, जो आमतौर पर कई वर्षों तक होता है।

ईटिंग डिसऑर्डर के कारण

ईटिंग डिसऑर्डर के पीछे बहुत से कारण हो सकते हैं, जिनमें से एक कारण आनुवंशिकता हो सकता है, जो कि बच्‍चों में उनके माता-पिता से स्‍थानान्‍तरित हो सकता है। दूसरा कारण मसितष्‍क को संदेश देने वाले जैसे सेरोटोनिन और डोपामाइन हो सकते हैं। इसके अलावा, कई व्यक्तित्व लक्षणों भी ईटिंग डिसऑर्डर के लिए जिम्‍मेदार हो सकते हैं। हालांकि, इसके लिए समाजिक दबाव भी एक बड़ा और विशेष कारण हो सकता है। जी हां स्लिम-फिट दिखने के लिए सामाजिक दबाव (विशेषकर लड़कियों के लिए) इस तरह के विकारों के पीछे प्रमुख कारण होता है। यही कारण हैं कि इनमें से कुछ विकार उन संस्कृतियों में भी मौजूद नहीं हैं जहां पतलेपन के पश्चिमी आदर्श अभी तक नहीं हुए हैं। आइए जानते हैं ईटिंग डिसऑर्डर के आम प्रकारों के बारे में। 

बिंज ईटिंग डिसऑर्डर (Binge Eating Disorder) 

Binge Eating Disorder यानि कि ठूस-ठूस कर खाना या लगातार खाना। यह आमतौर पर किशोरावस्था या युवावस्‍था की आयु वर्ग के लोगों में पाया जाता है। हालांकि यह इस उम्र के बाद भी पाया जा सकता है। इस तरह खाने की आदत से पीड़ित लोग, अधिक मात्रा में भोजन करते हैं और शारीरिक व्यायाम के माध्यम से कैलोरी बर्न करने की कोशिश भी नहीं करते हैं। यही कारण होता है कि इस आदत से मोटापा और उससे जुड़ी बीमारियां होती हैं।

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एनोरेक्सिया नर्वोसा (Anorexia Nervosa)

एनोरेक्सिया नर्वोसा, खाने से जुड़ा यह भी एक आम और प्रसिद्ध विकार है, जो ज्यादातर महिलाओं को प्रभावित करता है। यह ऐसा विकार है, जिसमें वजन के बढ़ने और वजन के घटने, दोनों डर बने रहते हें। सामान्‍य तौर पर यह विकार वजन कम करने को लेकर चिंतित लोगों में देखने को मिलता है, जो वजन को लेकर डाइटिंग करते है, कैलोरी की मात्रा कम कर देते हैं। इसके अलावा, वह लोग, जो कि पतला होने पर भी वजन कम करने का प्रयास करते हैं। वजन बढ़ने और घटने के साथ एनोरेक्सिया नर्वोसा आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए कई गंभीर समसयाएं पैदा कर सकता है, जैसे कि  हड्डियों की कमजोरी, बांझपन और बालों व नाखून पर भी इसका असर हो सकता है। 

रुमिनेशन डिसऑर्डर (Rumination Disorder)

रुमिनेशन डिसऑर्डर, इस विकार में व्यक्ति पहले से ही निगले भोजन को मुंह दुबारा मुंह में लाता है और इसे फिर से चबाता है या तो इसे एक बार फिर से निगलता है या बाहर थूकता है। यह छोटे बच्‍चों में बचपन या वयस्कता के दौरान विकसित हो सकती है। नवजात बच्‍चों यानि यह तीन से बारह महीनों के बीच ज्‍यादा होता है और अपने आप ठीक हो सकता है। हालांकि, इस स्थिति वाले बड़े बच्चों और वयस्कों को चिकित्सक से सलाह और इलाज पर विचार करना चाहिए। यदि कोई इस स्थिति से समय पर निपटता नहीं है, तो इस विकार से कुपोषण और असामान्य रूप से शरीर का कम वजन हो सकता है।

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बुलिमिया नर्वोसा (Bulimia Nervosa)

यह एक ऐसा खाने से जुड़ा विकार है, जो पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक पाया जाता है। बुलिमिया नर्वोसा आमतौर पर किसी व्यक्ति की किशोरावस्था या वयस्कता के दौरान विकसित होता है। इस विकार वाले लोग कम समय में अधिक मात्रा में भोजन खाते हैं। जहां वह खुद को खाने से नहीं रोक पाते। वह तब तक खाते रहते हैं, जब तक कि उनका पेट भारी या दर्द महसूस न होने लगे। इस ईटिंग डिसऑर्डर से पीड़ित लोग आमतौर पर पतले रहते हैं। वे मुश्किल से अधिक वजन वाले हो जाते हैं। इसके अलावा, कैलोरीज कम करने के लिए उल्टियां करते हैं और अनियमित मासिक धर्म और थकान महसूस करते हैं। 

पिका डिसऑर्डर (Pica)

पिका डिसऑर्डर, इस स्थिति से पीड़ित लोगों में गैर-खाद्य पदार्थों की लालसा होती है। जैसे बर्फ, मिट्टी, चॉक, पत्‍थर, साबुन, कागज, बाल, कपड़े, कंकड़ खाने की आदत होती है। पिका डिसऑर्डर वयस्कों, बच्चों और यहां तक कि किशोरों सहित सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, यह छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं या मानसिक विकलांग लोगों में अधिक आम है। पिका डिसऑर्डर, घातक भोजन विषाक्तता, संक्रमण या आंतों में दर्द, पथरी जैसे समस्‍याओं को जन्म दे सकता है।

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