पालतू जानवर भी बढ़ा सकते हैं इन बीमारियों का खतरा

आजकल लोगों में जानवरों और पक्षियों को पालने का फैशन चल पड़ा है। लोग घर के पालतू जानवर को अपने घर के मेंबर की तरह मानते हैं और उसका ख्याल रखते हैं। घर में पालतू जानवर रखना अच्‍छी बात है। लम्‍बे समय तक साथ रहने के कारण, हमें अपने जानवरों से बहुत लगाव हो जाता है। जिसकी वजह से घर के बच्‍चे ही नहीं बल्कि बड़े भी जानवरों को हाथ में उठाते हैं, खिलाते हैं और उनके साथ खेलते हैं। कई बार ये जानवर आपके स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। आइए आपको बताते हैं ऐसी कौन सी गंभीर बीमारियां हैं, जो आपको आपके पालतू जानवर और पक्षियों से हो सकती हैं।
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पालतू जानवर भी बढ़ा सकते हैं इन बीमारियों का खतरा

 

आजकल लोगों में जानवरों और पक्षियों को पालने का फैशन चल पड़ा है। लोग घर के पालतू जानवर को अपने घर के मेंबर की तरह मानते हैं और उसका ख्याल रखते हैं। घर में पालतू जानवर रखना अच्‍छी बात है। लम्‍बे समय तक साथ रहने के कारण, हमें अपने जानवरों से बहुत लगाव हो जाता है। जिसकी वजह से घर के बच्‍चे ही नहीं बल्कि बड़े भी जानवरों को हाथ में उठाते हैं, खिलाते हैं और उनके साथ खेलते हैं। लोग अलग-अलग तरीके से जानवरों के प्रति अपना प्‍यार दिखाते हैं। कुछ लोग तो अपने जानवरों को अपने साथ सुलाते तक हैं और उनकी देखभाल करते हैं। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि आपके घर में पल रहा जानवर, घर के सदस्यों को कई गंभीर बीमारियां दे सकता है। ज्यादातर लोग घरों में जानवर और पक्षी जैसे- कुत्‍ते, बिल्‍ली, कबूतर, तोता आदि पालते हैं। कई बार ये जानवर आपके स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। आइए आपको बताते हैं ऐसी कौन सी गंभीर बीमारियां हैं, जो आपको आपके पालतू जानवर और पक्षियों से हो सकती हैं।

कुत्ते, बंदर और बिल्ली से रेबीज का खतरा

कुत्‍तों को इंसान के सबसे वफादार जानवरों में से एक माना जाता है। इसलिए बहुत से लोग घरों में कुत्ता पालना पसंद करते हैं। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि कुत्‍ता आपकी सेहत के लिए खतरा साबित भी हो सकता है? कुत्‍ते के मूत्र से लेप्‍टोस्‍पाइरोसिस नामक घातक रोग फैल सकता है। इस बीमारी का समय पर इलाज न होने की वजह से व्‍यक्ति की किडनी और लिवर को भी नुकसान पहुंच सकता है। यह रोग विशेषकर बारिश में फैलता है। इसके अलावा आपको बता दें, कुत्‍ते के काट लेने से रेबीज जैसी घातक बीमारी हो सकती है, जिसमें व्‍यक्ति की मौत भी हो सकती है। कई बार रेबीज के लक्षण सालों बाद दिखाई देते हैं। रेबीज के मुख्य लक्षण आंख व नाक से पानी निकलना, सिरदर्द, आंखों का लाल होना, बुखार व उल्‍टी आना आदि हैं। कई बार पालतू जानवर आपको काटते नहीं हैं मगर आपके शरीर में पहले से मौजूद किसी खरोंच या कटे हुए स्थान पर उनका लार लग जाने से भी रेबीज का खतरा होता है। इसलिए छोटे बच्चों को चोट, खरोंच या कटने-छिलने पर पालतू जानवरों से दूर रखना चाहिए। खास बात यह है कि रेबीज सिर्फ कुत्तों के काटने से ही नहीं, बल्कि बिल्‍ली और बंदर के काटने से भी हो सकता है। रेबीज व्‍यक्ति के नर्वस सिस्‍टम पर प्रभाव डालता है। ऐसे में व्‍यक्ति के पागल होने व मानसिक संतुलन खोने का खतरा भी होता है। 

इंटेरेसटीशियल लंग डिजीज का खतरा  

घर में कबूतर, तोता जैसे अन्‍य पक्षियों को पालने में भी सावधानी बरतनी जरूरी है, क्योंकि इन पक्षियों से आपको फेफड़ों (लंग्स) के रोग हो सकते हैं। कबूतर समेत अन्‍य पक्षियों की वजह से घर में रह रहे लोगों को सांस संबंधी गंभीर रोग इंटेरेसटीशियल लंग डिजीज (आईएलडी) का खतरा होता है। इस बीमारी के होने पर व्‍यक्ति को सांस लेने में दिक्‍कत होती है। इसके अलावा व्‍यक्ति को जोड़ों में दर्द की समस्‍या भी हो सकती है। कबूतरों के पंखों में पाए जाने वाले रूसी (डैंड्रफ), गंदगी या फफूंद के कारण यह बीमारी होती है। आईएलडी 140 बीमारियों का समूह है इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है। सूखी खांसी आना, नाखूनों में सूजन, जोड़ों मे दर्द और सांस फूलना इसके कुछ विशेष लक्षण हैं।

कैट स्‍क्रैच फीवर (बार्टोनेलॉसिस का खतरा)

बार्टोनेलॉसिस आमतौर पर बिल्लियों से होने वाली बैक्‍टीरियल बीमारी है। बार्टोनेलॉसिस बिल्‍ली के काटने या उसके पंजों के खरोंच से होती है। व्‍यक्ति को इस बीमारी के होने से इंफेक्‍शन और फ्लू जैसी स्थिति हो सकती है। इसके अलावा इस बीमारी से इंसान को दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है, क्‍योंकि यह दिल के वाल्‍व को नुकसान पंहुचा सकता है। अगर आप घर में बिल्ली पाल रहे हैं, तो सावधानी रखनी जरूरी है। बिल्ली को बच्चों की पहुंच से दूर रखें। अगर कभी खेलते हुए उसके पंजों से खरोंच लग जाती है या आपको घाव हो जाता है, तो तुरंत चिकित्सक से मिलकर सलाह लें।

पैरेट फीवर (क्‍लेमिडोफेलिया सिटासी)

पैरेट फीवर पक्षियों में फैलने वाली बीमारी है, जिसके वायरस के संपर्क में आने से इंसान भी बीमार हो सकते हैं। यह बच्‍चों और व्‍यस्‍कों दोनों को प्रभावित कर सकती है। इसकी चपेट में ऐसे लोग जल्दी आते हैं, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) कमजोर हो। इस वायरस का नाम क्‍लेमिडोफेलिया सिटासी है। ये वायरस पक्षियों के बीट में पाए जाते हैं। घर में पालतू जानवर होने पर पक्षी की बीट से ये वायरस हवा के जरिए आपके फेफड़ों तक पहुंच कर आपको बीमार कर सकते हैं।

लाइम डिजीज

लाइम डिजीज एक विशेष कीड़े से होती है, जिसे टिक्‍स भी कहते हैं। यह बीमारी आपके पालतू जानवरों के आवारा या बा‍हरी जानवरों के संपर्क में रहने से होती है। टिक्‍स में ऐसे बैक्‍टीरिया होते हैं, जो लाइम डिजीज के लिए जिम्‍मेदार होते हैं। सबसे जरूरी बात कि लाइम डिजीज के कोई विशेष लक्षण नहीं दिखाइ देते हैं। लाइम डिजीज के कारण शरीर में थकावट महसूस होना और बुखार जैसे सामान्‍य लक्षण महसूस हो सकते हैं।

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इबोला वायरस

इबोला वायरस भी स्‍वाईन फ्लू और बर्ड फ्लू जैसी ही खतरनाक बीमारी है। इस बीमारी की संभावना बरसात के मौसम में ज्‍यादा होती है। बरसात के पानी में कीटाणु होने की ज्‍यादा संभावना होती है। समय पर इलाज न मिलने के कारण इस बीमारी से व्‍यक्ति की जान भी जा सकती है। इसलिए सावधानी ही बचाव है।

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जानवरों या पक्षियों को पालने में बरतें सावधानी

  • यदि आप अपने घर में कोई भी पालतू जानवर रखते हैं, तो उससे थोड़ी दूरी बनाकर रखिए।
  • अपने जानवर या पक्षी को समय समय पशु चिकित्‍सक के परामर्श से टीके लगवाएं।
  • अपने पालतू जानवर के अलावा अपने स्‍वास्‍थ्‍य को भी नजर अंदाज न करें। खासकर बच्‍चों को जानवरों से दूर रखें, क्‍योंकि कई बार बच्‍चे कुछ ऐसा करते हैं जिससे सं‍क्रमण की ज्‍यादा संभावना होती है।

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