आजकल अधिकतर लोगों के पेट के आसपास के हिस्से पर मोटापे का असर दिखाई देता है पर वे इस समस्या को गंभीरता से नहीं लेते। यह केवल अनाकर्षक फिगर का मामला नहीं है बल्कि कोलेस्ट्रॉल बढऩे का भी लक्षण है, जो व्यक्ति की सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचाता है। इसकी वजह से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बता रहे हैं, गुरुग्राम स्थित आर्टिमिज़ हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट इंडोक्रॉनोलॉजिस्ट डॉक्टर धीरज कपूर।
क्या है कोलेस्ट्रॉल (What is Cholesterol)
कालेस्ट्रॉल की अधिकता के कारण होने वाले नुकसान के बारे में जानने से पहले यह समझना ज़रूरी है कि वास्तव में यह क्या है? दरअसल एक तरह का चिपचिपा तैलीय पदार्थ होता है, जो पानी में नहीं घुल पाता। यह लिपोप्रोटीन कणों के रूप में रक्त प्रवाह के ज़रिये शरीर के सभी अंगों तक पहुंचता है। यह मानव शरीर के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य करता है। मसलन, हॉर्मोन्स को नियंत्रित करना, कोशिकाओं की दीवारों और विटमिन डी का निर्माण करना।
इसके अलावा यह तत्व कुछ खास तरह के विटमिंस को पचाने में भी मददगार होता है। 80 प्रतिशत कोलेस्ट्रॉल लिवर के ज़रिये शरीर में खुद ही बनता है और शेष 20 प्रतिशत भोजन के ज़रिये प्राप्त होता है। शरीर में दो तरह के कोलेस्ट्रॉल पाए जाते हैं-एलडीएल, लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन यानी बैड कोलेस्ट्रॉल और एचडीएल यानी हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन यानी गुड कोलेस्ट्रॉल।
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कैसे होता है नुकसान (Side effects Of Cholesterol)
जब भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की बात होती है तो इसका मतलब एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की वृद्धि से होता है। एचडीएल का बढ़ना सेहत के लिए हमेशा अच्छा माना जाता है। अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो बैड कोलेस्ट्रॉल खून में मिला हुआ फैट होता है, जो रक्तवाहिका नलियों में जमा होने लगता है, जिससे वे संकरी हो जाती हैं। सबसे बड़ी दिक्कत तब आती है, जब यह हार्ट की ब्लड वेसल्स में जमा होने लगता है, इससे ब्लड की पंपिंग के लिए हार्ट को बहुत ज्य़ादा मेहनत करनी पड़ती है। अगर सही समय पर ध्यान न दिया जाए तो दिल का दौरा पडऩे की आशंका बढ़ जाती है।
आजकल अधिकतर लोगों के पेट के आसपास चर्बी जमा हो जाती है, जिसे विसरल फैट कहा जाता है। इसकी वजह से इंसुलिन सही ढंग से काम नहीं कर पाता और व्यक्ति को डायबिटीज़ की समस्या हो जाती है। इसकी अधिकता से ब्रेन की कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है और स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है। इसकी अधिकता के कारण पेरिफेरल नसों में ऑक्सीजन की सप्लाई सही ढंग से नहीं हो पाती। इससे हाथ-पैरों में झनझनाहट और दर्द की समस्या हो सकती है। गर्दन और कंधे में सूजन के साथ दर्द भी हो सकता है।
वज़न बढऩे लगता है, थोड़ा चलने पर सांस फूलने और पसीना आने जैसी समस्याएं परेशान करती हैं। जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है तो पलकों के ऊपर सफेद रंग के निशान दिखाई देते हैं। दरअसल यह बैड कोलेस्ट्रॉल का संग्रह होता है, इससे दृष्टि को कोई नुकसान नहीं होता पर यह देखने में अच्छा नहीं लगता।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की वजह (Causes of High Cholesterol)
रोज़ाना के भोजन में घी-तेल और मिर्च-मसालों का अत्यधिक इस्तेमाल। खासतौर पर सैचुरेटेड फैट, ट्रांस फैट और कोलेस्ट्रॉल वाली चीज़ों जैसे-नॉनवेज, मक्खन, घी-तेल का अधिक मात्रा में सेवन। मेनोपॉज़ के बाद हॉर्मोन संबंधी असंतुलन के कारण स्त्रियों में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढऩे लगता है। वज़न बढऩे के साथ शरीर कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी बढ़ जाता है। थायरॉयड, किडनी या लिवर संबंधी समस्या होने पर भी ऐसा हो सकता है। आनुवंशिकता भी इसकी एक प्रमुख वजह है। सिगरेट और एल्कोहॉल का अधिक सेवन भी इस समस्या के लिए जि़म्मेदार है। कुछ खास तरह की स्टेरॉयड दवाओं के साइड इफेक्ट के कारण भी शरीर में इसका लेवल बढ़ जाता है।
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कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से कैसे रोकें (How to Prevent Cholesterol Problems)
- मक्खन और घी-तेल का सेवन सीमित मात्रा में करें। जंक और सी फूड से दूर रहें। कुकिंग के लिए नॉनस्टिक बर्तनों का इस्तेमाल करें।
- स्मोकिंग से दूर रहें। सिगरेट का धुआं रक्तवाहिका नलियों की भीतरी दीवारों को संकुचित कर देता है, इससे वहां कोलेस्ट्रॉल जमा होने की आशंका बढ़ जाती है।
- दलिया, ओट्स और चोकरयुक्त आटे के अलावा पपीता, संतरा, अमरूद जैसे रेशेदार फलों और हरी सब्जि़यों को अपने खानपान में प्रमुखता से शामिल करें। इनमें मौज़ूद फाइबर बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को घटाने में मददगार होता है।
- बादाम, अखरोट और चिया सीड्स को अपनी डाइट में प्रमुखता से शामिल करें। रिसर्च से यह साबित हो चुका है कि इनका सेवन सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
- अगर अंडे खाना पसंद हो तो केवल उसके सफेद हिस्से का सेवन करें। मेथी, हल्दी और लहसुन जैसी चीज़ें भी शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर घटाने में मददगार होती हैं।
- संतरा, चकोतरा, नाशपाती और आंवले में मौज़ूद विटमिन सी खून की नलियों में मौज़ूद बैड कोलेस्ट्रॉल को घटाने का काम करता है।
- विटमिन बी और विटमिन ई भी कोलेस्ट्रॉल का स्तर घटाने में सहायक होता है। इसके लिए हरी मटर, सेम, लोबिया, शलजम, टमाटर और अंगूर को अपने भोजन में प्रमुखता से शामिल करें।
- सादगीपूर्ण खानपान से अपने बढ़ते वज़न को नियंत्रित रखें लेकिन क्रैश डाइटिंग से बचें। मॉर्निंग वॉक, योग और एक्सरसाइज़ को अपनी दिनचर्या का ज़रूरी हिस्सा बनाएं।
- अगर कोई समस्या न हो तो भी चालीस साल की आयु के बाद साल में एक बार लिपिड प्रोफाइल टेस्ट ज़रूर करवाएं। खास तौर पर मेनोपॉज़ के बाद स्त्रियों को यह जांच ज़रूर करवानी चाहिए।
- टेस्ट के बाद अगर डॉक्टर दवा लेने की सलाह देते हैं, उनके निर्देशानुसार दवाओं का नियमित सेवन करें। हर छह महीने के अंतराल पर जांच करवा के डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें। अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए तो इस समस्या को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
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