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आपको PCOS या PCOD है, तो अपनी बेटी को इससे बचाने के लिए अपनाएं डॉक्टर के बताए ये 5 टिप्स

मां को पीसीओएस और पीसीओडी होने पर बेटी को भी इन समस्याओं का खतरा हो सकता है। जानें बेटी को इन समस्याओं से कैसे बचाना है।
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आपको PCOS या PCOD है, तो अपनी बेटी को इससे बचाने के लिए अपनाएं डॉक्टर के बताए ये 5 टिप्स


How To Reduce The Risk of Pcos: बढ़ती उम्र के साथ लड़कियों के शरीर में कई बदलाव आते हैं। जब कोई भी लड़की किशोरावस्था में आती है, तो उसके शरीर में कई हार्मेनल बदलाव होते हैं। ऐसे में हर मां को डर रहता है कि बेटी को हार्मोनल इंबैलेंस से कैसे बचाया जाए। पीसीओएस और पीसीओडी हार्मोन्स इंबैलेंस से जुड़ी समस्याएं हैं, जो लंबे समय तक अनहेल्दी लाइफस्टाइल के कारण होती हैं। लेकिन अगर मां को ये हार्मोनल इशुज हैं, तो बेटी को भी भविष्य में इन समस्याओं का खतरा हो सकता है। अगर डाइट और लाइफस्टाइल ठीक न रखा जाए, तो पीसीओएस और पीसीओडी जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। ये समस्याएं कम उम्र की लड़कियों को भी हो सकती है। अगर समय रहते इन्हें कंट्रोल न किया जाए, तो भविष्य में समस्याएं बढ़ने का खतरा हो सकता है। लेकिन अगर लाइफस्टाइल और डाइट में कुछ बदलावों को अपनाया जाए, तो कम उम्र की लड़कियों को भविष्य में पीसीओएस और पीसीओडी होने का खतरा कम हो सकता है। इस बारे में जानने के लिए हमने बात कि नई दिल्ली के न्यूबेला सेंटर फॉर वूमेन हेल्थ की डायरेक्टर डॉ. गीता श्रॉफ से।

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पीसीओएस और पीसीओडी का खतरा कम करने के लिए अपनाएं ये टिप्स- Tips To Reduce The Risk of PCOS and PCOD

डाइट पर ध्यान दें

हार्मोनल इशुज का खतरा कम करने के लिए डाइट पर ध्यान देना जरूरी है। इसलिए डाइट को हमेशा बैलेंस्ड रखें। अपनी बेटी की डाइट में कॉम्पलेक्स कार्ब्स, हेल्दी फैट्स और फाइबर जरूर एड करें। इसके अलावा, डाइट में ताजे फल और सब्जियां जरूर एड करें। जंक और प्रोसेस्ड फूड कम से कम करवाएं, क्योंकि ये चीजें शरीर में इंफ्लेमेशन बढ़ाती हैं जिससे हार्मोन्स इंबैलेंस होते हैं।

एक्सरसाइज की आदत डालें

पीसीओएस और पीसीओडी से बचने के लिए हेल्दी वेट मेंटेन रखना जरूरी है। क्योंकि वेट गेन होने की वजह से भी हार्मोन्स इंबैलेंस होने का खतरा रहता है। इसलिए रोज एक्सरसाइज करने की आदत बनाएं। इससे हार्मोन्स को बैलेंस रखने में भी मदद मिलेगी।

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इमोशंस मैनेज करना सिखाएं

किशोरावस्था के दौरान लड़कियों की इमोशनल हेल्थ में भी बदलाव आता है। ऐसे में पढ़ाई के प्रेशर के कारण बच्चे अक्सर स्ट्रेस में आ जाते हैं। लेकिन स्ट्रेस और एंग्जायटी ज्यादा होने के कारण भी हार्मोन्स इंबैलेंस हो सकते हैं। इसलिए बच्चों को इमोशंस मैनेज करना सिखाएं। स्ट्रेस मैनेजमेंट टेक्निक्स सिखाएं जिससे हार्मोन्स भी बैलेंस रहें।

डॉक्टर से कंसल्ट करें

डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें। क्योंकि आपको हार्मोनल इशुज के कारण आपकी बेटी को भी खतरा हो सकता है। डॉक्टर से संपर्क करें कि आपको डाइट और लाइफस्टाइल किस तरह रखना है। अगर आपकी बेटी के पीरियड्स साइकिल में कोई भी बदलाव आता है, तो इस पर ध्यान जरूर दें।

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हर छोटे बदलाव पर ध्यान दें

अगर आप अपनी बेटी की हेल्थ में कुछ बदलाव देख रहे हैं, तो उन्हें नजरअंदाज न करें। पीरियड्स साइकिल ट्रैक करना सिखाएं, क्योंकि यह हार्मोन्स इंबैलेंस से जुड़ा हो सकता है। अगर आपको कोई भी बड़ा बदलाव नजर आता है, तो डॉक्टर से संपर्क करें। पीरियड्स को रेगुलर करने के लिए सीड्स डाइट में शामिल करें।

अगर इन टिप्स को फॉलो किया जाए, तो आप अपनी बेटी में पीसीओएस और पीसीओडी का खतरा कम कर सकते हैं। अगर आपको इस समस्या से जुड़ा कोई भी संकेत नजर आता है, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।

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