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60 के बाद बोन डेंसिटी कैसे बढ़ाएं? खुद एक्सपर्ट से जानें

60 के बाद अक्सर हड्डियों कमजोर होने लगती हैं और इनसे जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ने लगता है। ऐसे में जानते हैं इस उम्र के बाद नेचुरली लोग अपनी बोन डेंसिटी कैसे बढ़ा सकते हैं और क्या है इसका हेल्दी तरीका।
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60 के बाद बोन डेंसिटी कैसे बढ़ाएं? खुद एक्सपर्ट से जानें


60 की उम्र के बाद शरीर की स्थिति वैसी नहीं रहती जैसी कि इस उम्र से पहले होती है। 60 के बाद बॉडी के कई अंगों का कामकाज प्रभावित होने लगता है और कई हिस्सों पर आप इसका असर देख सकते हैं जैसे कि हमारी हड्डियां। दरअसल, होता ये है कि जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ने लगती है शरीर में पोषक तत्वो को अवशोषितकरने की क्षमता घटने लगती है। इतना ही नहीं, मेटाबॉलिज्म भी कुछ इस तरह से प्रभावित होता है कि शरीर खाने को पूरी तरह से पचाकर इससे पोषक तत्वों को नहीं ले पाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि 60 की उम्र के बाद बोन डेंसिटी कैसे बढ़ाएं? क्या है इसका तरीका जानते हैं इस बारे में डॉ. अभिषेक मिश्रा सीनियर कंसलटेंट ऑर्थोपेडिक्स एंड स्पाइन अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल, दिल्ली से।

60 के बाद बोन डेंसिटी कैसे बढ़ाएं-How to increase bone density after 60 in hindi?

 डॉ. अभिषेक मिश्रा बताते हैं कि 60 साल के बाद हड्डियां कमजोर होना और बोन डेंसिटी कम होना आम समस्या है, लेकिन कुछ उपायों से इसे बेहतर किया जा सकता है। सबसे पहले खानपान पर ध्यान देना जरूरी है, साथ ही उन चीजों को फॉलो करना जरूरी है जो कि शरीर में विटामिन डी की मात्रा बढ़ा सकते हैं और हड्डियों को मजबूती बढ़ाने में मददगार हैं। जैसे कि

1. डाइट में शामिल करें ये फूड्स

डॉ. अभिषेक मिश्रा बताते हैं कि अगर आप चाहते हैं कि आप कैल्शियम की कमी से हड्डियों को कमजोर होने से बचाएं तो आपको अपनी डाइट में दूध, दही, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियां, बादाम और तिल जैसे कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ को शामिल करना होगा। आप इन्हें अपनी डाइट में रेगुलेट करें जैसे कि हर दिन नाश्ते से लेकर रात तक के खाने में इनमें से कोई न कोई चीज जरूर खा लें। जैसे नाश्ते में दही या पनीर को शामिल कर रहे हैं तो रात में सोने से पहले गर्म दूध ले लें। दिन के समय स्नैक्स में बादाम और तिल से बनी चीजों को शामिल कर लें। इसके अलावा कैल्शियम से भरपूर हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे कि केल, कोलार्ड ग्रीन्स, पालक, शलजम, सरसों और ब्रोकली जैसी सब्जियों को खाएं। इनके सेवन से हड्डियों को मजबूती मिलती है और इनसे जुड़ी समस्याओं में कमी आती है।

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2. विटामिन डी लेना जरूरी है

साथ ही, सूरज की रोशनी से विटामिन-डी लेना या जरूरत पड़ने पर सप्लीमेंट्स का इस्तेमाल करना भी फायदेमंद है, क्योंकि विटामिन-डी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है। हालांकि, बिना डॉक्टर की राय के आपको अपने मन से विटामिन डी सप्लीमेंट नहीं लेना चाहिए। इससे सेहत को कुछ नुकसान हो सकते हैं। इसकी जगह आप रोज सुबह 6 से 8 बजे के बीच की धूप लें जो आपकी हड्डियों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

नियमित रूप से हल्की कसरत जैसे पैदल चलना, योग और वेट-बियरिंग एक्सरसाइज हड्डियों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाती हैं। धूम्रपान और ज्यादा शराब पीने से हड्डिया कमजोर होती हैं, इसलिए इनसे बचना चाहिए। अगर पहले से ऑस्टियोपोरोसिस या हड्डियों की कमजोरी है तो डॉक्टर से बोन डेंसिटी टेस्ट करवाकर सही दवा और सप्लीमेंट लेना चाहिए।

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सही डाइट, एक्सरसाइज़ और जीवनशैली में बदलाव से 60 की उम्र के बाद भी हड्डियों को मजबूत रखा जा सकता है और फ्रैक्चर का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है लेकिन इस उम्र में जाकर सबसे ज्यादा जरूरी है आप अपनी डाइट का खाल ख्याल रखें और एक्टिव लाइफस्टाइल फॉलो करें जो कि हड्डियों को हेल्दी रखने में मददगार हो।

FAQ

  • मरीज को कैसे पता चलेगा कि उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस है?

    अचानक से हड्डियों में फ्रैक्चर की समस्या आ रही है और हड्डियां पहले की तुलना कमजोर हो गई हैं तो आपको ऑस्टियोपोरोसिस की दिक्कत हो सकती है। ऐसे में जरूरी है कि आप बोन डेंसिटी टेस्ट करवाएं और फिर आप एक्स-रे का उपयोग करके भी अपने हड्डियों में कैल्शियम और अन्य खनिजों की कितनी मात्रा माप सकते हैं।
  • ऑस्टियोपोरोसिस से कौन सा अंग सबसे ज्यादा प्रभावित होता है?

    ऑस्टियोपोरोसिस में लोगों की हड्डियां टूटने लगती हैं और कई बार कारण इतना बड़ा नहीं होता जितना हड्डियों को नुकसान हो जाता है खासकर रीढ़ की हड्डी या कूल्हे में फ्रैक्चर की समस्या। ऐसे में जैसे ही आप 60 के पार हों अपना बोन डेंसिटी टेस्ट करवाएं।
  • कैल्शियम की कमी से शरीर में कहां दर्द होता है?

    कैल्शियम की कमी से गले की मांसपेशियां में ऐंठन, हड्डियां में कमजोरी के साथ दर्द और कभी-कभी हाथ-पैरों में झुनझुनी लंबे समय तक रहने वाली दर्द भी इसका संकेत हो सकती है। साथ ही दांतों से जुड़ी समस्याएं भी इसका कारण हो सकती हैं।

 

 

 

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  • Current Version

  • Sep 29, 2025 16:02 IST

    Published By : Pallavi Kumari

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