Vitamin D Jyada Hone Ke Nuksan In Hindi: आज के समय में ज्यादातर लोग शरीर में विटामिन-डी की कमी की समस्या से परेशान रहते हैं। इसके कारण लोगों को हड्डियों और मांसपेशियों के कमजोर होने और स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन शरीर में विटामिन-डी का स्तर न सिर्फ कम होना बल्की अधिक होने के कारण भी लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में शरीर में इसके कारण होने वाली परेशानियों को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ऐसे में आइए एनआईटी फरीदाबाद में स्थित संत भगत सिंह महाराज चैरिटेबल हॉस्पिटल के जनरल फिजिशियन डॉ. सुधीर कुमार भारद्वाज (Dr. Sudhir Kumar Bhardwaj, General Physician, Sant Bhagat Singh Maharaj Charitable Hospital, NIT Faridabad) से जानें शरीर में विटामिन-डी का स्तर बढ़ने के कारण क्या परेशानियां हो सकती हैं?
विटामिन-डी का स्तर बढ़ने पर क्या होता है? - What Happens When Vitamin D Levels Increase?
शरीर में विटामिन-डी का स्तर बढ़ने पर इसका स्तर शरीर में बढ़ने लगता है, जिसके कारण यह शरीर में टॉक्सिन्स के बढ़ने की संभावना को बढ़ा देता है, जिसको हाइपरविटामिनोसिस डी के नाम से भी जाना जाता है।
यह समस्या आमतौर पर विटामिन-डी सप्लीमेंट का अधिक मात्रा में सेवन करने से होता है। इसके कारण लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में इसका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।
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FAQ
बहुत अधिक विटामिन डी के लक्षण क्या हैं?
शरीर में विटामिन-डी का स्तर बढ़ने की समस्या होने पर लोगों को मुंह सूखने, कमजोरी होने, उल्टी आने, जी मिचलाने, आंतों को नुकसान होने, कमजोरी होने, घबराहट होने, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने, भूख कम लगने, लंग्स में क्रिस्टल्स बनने और कैल्शियम का स्तर बढ़ने की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।विटामिन D कितना होना चाहिए?
विटामिन-डी शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों में से एक है। शरीर में इसकी कमी होने या इसका स्तर बढ़ने के कारण लोगों को कई परेशानियां हो सकती हैं। बता दें, शरीर में विटामिन-डी का स्तर 30-50 ng/mL के बीच होना चाहिए।विटामिन डी के लिए क्या खाएं?
शरीर में विटामिन-डी के स्तर को बेहतर करने के लिए संतरे का जूस, बादाम, सोया मिल्क, दूध और साबुत अनाज जैसे पोषक तत्वों से युक्त फूड्स को डाइट में शामिल करें। इससे स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने और विटामिन-डी के स्तर को बैलेंस बनाए रखने में मदद मिलती है।