आपका आत्मविश्वास कब बन जाता है आपके लिए परेशानी? जानें अति आत्मविश्वास (ओवर कॉन्फिडेंस) से निपटने के टिप्स

 आत्मविश्वास आंतरिक सुरक्षा तो अति आत्मविश्वास परेशानी की जड़। अति आत्मविश्वास को पहचानकर इससे निपटा जा सकता है।
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आपका आत्मविश्वास कब  बन जाता है आपके लिए परेशानी? जानें अति आत्मविश्वास (ओवर कॉन्फिडेंस) से निपटने के टिप्स


आत्मविश्वास भीतर की सुरक्षा का एहसास है। एक ऐसा बिंदु जहां से हम खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। इसे ही आत्मविश्वास कहा जाता है। आत्मविश्वास के कारण ही आप सफलता प्राप्त कर पाते हैं और इसी के कारण आत्मरक्षा होती है, लेकिन यही आत्मविश्वास जब अति आत्मविश्वास बन जाता है तब परेशानी का सबब बन जाता है। हमें यह मालूम ही नहीं पड़ता कि आत्मविश्वास कब अति आत्मविश्वास बन गया है। टीएमएस माइंडफुल जीके 2 में क्लिनिकल साइकॉलोजिस्ट डॉ. प्रज्ञा मलिक से हमने जाना कि अति आत्मविश्वास को कैसे पहचानते हैं और इससे बाहर कैसे निकलना है। 

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अति आत्मविश्वास क्या है?

जब आपको यह लगने लग जाए कि ‘आप ही भगवान हैं।’ आपके जितना बलवान, ज्ञानवान, बुद्धिमान कोई नहीं है। आपके सभी फैसले सही होते हैं। कोई फैसला करने से पहले किसी की राय की भी जरूरत नहीं पडती तब वह अति आत्मविश्वास कहलाता है। इस तरह का अति आत्मविश्वास आपको मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से नुकसान पहुंचाता है। 

अति आत्मविश्वास की पहचान क्या है?

कोई आपसे पूछे कि आप अतिआत्मविश्वासी हैं, तो आपका जवाब होगा न। यहां कुछ लक्षण बताए जा रहे हैं जिनसे आप पहचान सकते हैं कि आप अतिआत्मविश्वासी हैं या नहीं-

  • अतिआत्मविश्वासी व्यक्ति को खुद में बदलाव की जरूरत महसूसन नहीं होती।
  • अहमं हावी रहता है। 
  • ऐसे लोगों को लगता है कि वे सबकुछ जानते हैं।
  • ऐसे लोगों को लगता है उन्हें किसी भी इंसान के सलाह की जरूरत नहीं है।
  • ऐसे लोग दूसरे लोगों को हतोत्साहिसत (discourage) करते हैं। 
  • ऐसे लोगों की ये सोच होती है कि वे कभी भी गलत नहीं कर सकते हैं।
  • उन्होंने जो भी प्लान बनाया है वो कभी फेल नहीं हो सकता।

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अति आत्मविश्वास से खुद को कैसे निकालें?

जोखिमों के बारे में सोचें

जब भी आप कोई फैसला लें तो उस फैसले का दूसरों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। उस फैसले आपको क्या नुकसान होगा। उदाहरण के लिए अगर आपको गुस्सा आ रहा है और गुस्से में आपने अपना फोन तोड़ दिया। उस गुस्से में आपने अपना फोन तोड़ा और जिसकी वजह से तोड़ा उसको भावनात्मक धक्का लगा। ऐसी परिस्थितियों में जब आपका गुस्सा उतरेगा तब आप अपराध बोध में चले जाएंगे, ये सोचकर कि आपने ठीक नहीं किया। अपराध बोध से बाहर निकलने में आपको दिक्कत होगी। इसलिए कोई भी काम करने से पहले उसके जोखिमों के बारे में सोच लें। यदि आप कहीं स्टॉक मार्केट में पैसा लगा रहे हैं तो उसके जोखिमों को भी देख लें। अति आत्मविश्वास में आकर पैसा फंसा न दें।

वास्तविक दृष्टिकोण रखें

अपने सपनों को अपनी योजनाओं को वास्तविक यानी रियलिस्टिक एप्रोच रखें। सच्चाई को ध्यान में रखकर अपनी योजनाओं को बनाएंगे तो आपको खुद पर गुस्सा नहीं आएगा। इससे आपको खुद को गुस्से से बाहर निकालने में भी मदद होगी। खुद के साथ आप जबरदस्ती भी नहीं करेंगे। उदाहरण के लिए आपकी जितनी तनख्वाह है उतने में आप एक किराए का घर ले सकते हैं, लेकिन आप सपना देख रहे हैं कि मुझे चांद पर घर लेना है, तो यह रियल नहीं है। कहते हैं जितनी चादर हो उतने ही पैर पसारने चाहिए। खुद के लिए उतने ही टास्क तैयार करें जिन्हें आप पूरा कर सकें।

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कुछ नया सीखें

जिस व्यक्ति में इतना लचीलापन होता है कि वह नया सीखने को तैयार होता है, तो वह कभी मुसीबतों से नहीं घबराता। हमेशा नया सीखने वाला व्यक्ति हर परिस्थिति के लिए तैयार रहता है। अति आत्मविश्वास से बाहर निकलने के लिए अपनी दिनचर्या में कुछ नया जोड़ें। जो आपको आता है वह तो आता ही है, लेकिन उसके अलावा कुछ नया सीखें। इससे आपको यह एहसास नहीं होगा कि आपको सबकुछ आता है। जब आप कुछ नया सीखने निकलेंगे तब आपको लगेगा कि अभी तो दुनिया में बहुत कुछ है सीखने के लिए। ऐसे में आप में अति आत्मविश्वास नहीं आएगा।

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खुद से सवाल करें

अति आत्मविश्वास से निकलने की सबसे आसान कड़ी है कि जब भी आप कोई फैसला ले रहे हैं तो खुद से सवाल करें। खुद से पूछें कि जो काम आप शुरू करने जा रहे हैं उसमें ऐसा क्या नया है, जिसकी वजह से लोग आपके इस काम को पसंद करेंगे। आप किसी काम को कैसे बेहतर बना सकते हैं। इन सभी सवालों के जवाब खुद से लें। 

फीडबैक पर ध्यान दें

दिन भर में कई तरह के लोगों से मिलते हैं। वे आपके बिहेवियर को भी देखते हैं। आपको कुछ बातें कहते भी हैं पर हम ध्यान नहीं देते हैं। लेकिन एक जैसे ही फीडबैक जब सभी से मिलने लग जाएं तो उस पर ध्यान देना जरूरी है। उदाहरण के लिए अगर आपको कोई कहता है कि तुम बिनो सोचे समझे फैसला ले लेते हो, तुम गुस्सा बहुत करते हो, तुम किसी की सुनते नहीं हो आदि..फीडबैक आपको मिल रहे हैं तो उन पर ध्यान दें। इस तरह आप अतिम आत्मविश्वास से बाहर निकलने में खुद की मदद कर सकते हैं। 

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अति आत्मविश्वासी व्यक्ति से कैसे बचें?

ऊपर हमने आपको बताया कि वे लोग जो अति आत्मविश्वासी हैं, वे खुद को इस इमोशन से बाहर निकलने में खुद की कैसे मदद कर सकते हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं कि आपके आसपास या आपके सर्किल में जब ऐसे लोग आपको मिलते हैं, तब आप खुद कैसे उनसे खुद को बचा सकते हैं।

  • अतिआत्मविश्वासी व्यक्ति को हमेशा उसके बिहेवियर के बारे में बताते रहें। उन्हें फीडबैक देते रहें। 
  • अतिआत्मविश्वासी व्यक्ति की शब्दावली (Dictionary) में तुम्हें नहीं आता, तुम्हें नहीं आता, तुमसे न हो पाएगा...ऐसे शब्द होते हैं। इन शब्दों को प्वॉइंटआउट करें। उस व्यक्ति को बताएं कि आप ऐसे शब्द इस्तेमाल करते हैं।  
  • अगर आप अतिआत्मविश्वासी व्यक्ति के साथ चर्चा कर रहे हैं तो खुद का धैर्य बनाए रखे। अगर किसी बात पर बहस बढ़ रही है तो उस विषय को नजरअंदाज करें या विषय बदल दें। क्योंकि अतिआत्मविश्वासी व्यक्ति खुद को कभी गलत नहीं बताएगा। ऐसे में आप उससे जीत नहीं सकते। इसलिए बेहतर है कि विषय बदल दें। 
  • अतिआत्मविश्वासी के साथ शांति से बात करें। उसकी बातों को सुनें। अपना काम होने के बाद वहां से चले जाएं। 
  • अगर आप ऐसे व्यक्ति से बात कर रहे हैं तो उसके साथ धैर्यपूर्वक बात करें। दूसरा अपनी और उसकी बाउंड्री का ध्यान रखें। 
  • ऐसे लोगों को उनके काम के प्रति फीडबैक देना चाहिए। 
  • अतिआत्मविश्वासी व्यक्ति से ज्यादा बहस न करें। 

अति आत्मविश्वास इंसान को मानसिक बीमार भी बना देता है। क्योंकि उस व्यक्ति को लगता है कि वह जो कर रहा है वह सही कर रहा है, ऐसे में जब काम बिगड़ता है या कोई काउंटर क्वेशन करता है तो उस व्यक्ति से यह दखलअंदाजी सहन नहीं होती है। इसिलए कहा जाता है कि आत्मविश्वास अच्छा है, पर अति किसी भी चीज की अच्छी नहीं होती।

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