
Kaun Banega Crorepati (कौन बनेगा करोड़पति) के हाल ही में आए एपिसोड के बाद हर तरफ 10 के ईशित भट्ट के व्यवहार की चर्चा हो रही है। दरअसल, शो में 10 साल के ईशित भट्ट ने जिस तरह बिग बी अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) से बात की उसे बदतमीजी के दायरे में देखा जाता है। सोशल मीडिया पर बच्चे के इस व्यवहार को लेकर काफी बहस चल रही है। कोई बच्चे को नादान बता रहा है तो कोई इसे माता-पिता की गलती बता रहा है तो कुछ लोग इसे ओवरकॉन्फिडेंस बता रहे हैं। इसी बीच इस बात पर भी चर्चा हो रही है कि बच्चे की परवरिश बेहद खराब तरीके से की गई। इसी कड़ी में लोग इस बच्चे को सिक्स पॉकेट सिंड्रोम (Six Pocket Syndrome) का शिकार बता रहे हैं। ऐसे में जो लोग इस बारे में नहीं जानते हैं उन्हें इस बात की जिज्ञासा है कि ये है क्या? साथ ही हमने इस बारे में चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट Dr. Sushma Gopalan, Child Psychologist - Child Life Specialist, Aster CMI Hospital, Bangalore से भी बात की।
Six Pocket Syndrome क्या है?
Six Pocket Syndrome' यह शब्द चीन में वन चाइल्ड पॉलिसी (one child policy china) के दौरान उभरा। इसके तरह हर कपल को एक ही बच्चा करने के लिए प्रेरित किया जा रहा था। परिवारों के आकार में कमी के साथ, हर बच्चे पर घरों में छह वयस्क यानी दो माता-पिता और चार ग्रैंड पेरेंट्स होते हैं। इसलिए इसका नाम सिक्स पॉकेट रखा गया। यह पहले तो अच्छा लगा लेकिन इसकी वजह से एक ऐसी पीढ़ी तैयार हुई जो अपनी मनमानी करने की आदी हो गई है और कुछ भी साझा करने, आलोचना सहने और असफलता से जूझती है। समय के साथ, "सिक्स-पॉकेट सिंड्रोम" ज्यादा सुख पाने का संक्षिप्त रूप बन गया है जब एक बच्चा स्नेह और तमाम आराम से घिरा हुआ बड़ा होता है, लेकिन उसके पास कोई सीमाएं या जिम्मेदारियां नहीं होतीं।
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इसी कड़ी में बात करने पर डॉ. सुषमा गोपालन बताती हैं कि "सिक्स पॉकेट सिंड्रोम" एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल कभी-कभी ऐसे बच्चे के लिए किया जाता है जो अति आत्मविश्वासी, आत्मकेंद्रित होता है, या यह मानता है कि वह बिना किसी सीमा के कुछ भी कर सकता है। यह नाम इस विचार से आया है कि बच्चा अपनी क्षमताओं, विचारों और अहंकार से भरे "छह पॉकेट" रखता है, जिससे दूसरों से सीखने, टीम वर्क या गलतियों को स्वीकार करने की गुंजाइश कम हो जाती है। इस मानसिकता वाले बच्चे अक्सर अधिकार को चुनौती देते हैं, मार्गदर्शन का विरोध करते हैं, और जब चीजें उनके अनुसार नहीं होती हैं तो निराश हो सकते हैं। हालांकि आत्मविश्वास सकारात्मक होता है लेकिन अति आत्मविश्वास व्यक्तिगत विकास, सामाजिक कौशल और सीखने में बाधा डाल सकता है।

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ओवरकॉन्फिडेंट बच्चे को कैसे सुधारें-How to deal with an overconfident child
डॉ. सुषमा गोपालन बताती हैं कि अति आत्मविश्वासी बच्चे से निपटने के लिए धैर्य, मार्गदर्शन और संतुलन की जरूरत होती है। सबसे पहले, माता-पिता और शिक्षकों को आत्म-सम्मान बढ़ाने के लिए बच्चे की खूबियों को स्वीकार करना चाहिए, लेकिन विनम्रता सिखाने के लिए स्पष्ट सीमाएं भी निर्धारित करनी चाहिए। बच्चे को दूसरों की बात सुनने, साझा करने और टीम में काम करने के लिए प्रोत्साहित करें क्योंकि सहयोग सहानुभूति और सामाजिक कौशल विकसित करने में मदद करता है। वास्तविक जीवन के उदाहरणों या हल्की चुनौतियों का उपयोग करके यह दिखाएं कि गलतियां सीखने का एक हिस्सा हैं और उनकी क्षमताओं को कम नहीं करतीं।
इतना ही नहीं, परिणामों से ध्यान हटाकर प्रक्रिया पर केंद्रित करने के लिए, केवल सफलता को ही नहीं, बल्कि प्रयास को भी पुरस्कृत करें। सीधी आलोचना करने के बजाय, "अगली बार आप क्या अलग कर सकते हैं?" जैसे प्रश्न पूछकर चिंतन को प्रोत्साहित करें।
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इसके अलावा बच्चे को घर पर विनम्रता और धैर्य का उदाहरण देना भी जरूरी है। साथियों से तुलना करने से बचें और इसके बजाय बच्चे को यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करने के लिए मार्गदर्शन करें। समस्या-समाधान, स्वयंसेवा या दूसरों की मदद करने के अवसर प्रदान करें, जिससे जिम्मेदारी और दृष्टिकोण की शिक्षा मिलती है। समय के साथ, निरंतर मार्गदर्शन और सकारात्मक प्रोत्साहन से, एक अति-आत्मविश्वासी बच्चा आत्मविश्वास और सम्मान, धैर्य और भावनात्मक बुद्धिमत्ता के बीच संतुलन बनाना सीख सकता है, जो आजीवन सफलता के लिए महत्वपूर्ण कौशल हैं।
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FAQ
बच्चों को आज्ञाकारी बनाने के लिए क्या करना चाहिए?
बच्चों को आज्ञाकारी बनाने के लिए आपको उन्हें खुद रोल मॉडल बनकर दिखाना होगा। इसके अलावा सीमाएं तय करें और बच्चे को कुछ भी एस्ट्रा न दें। उन्हें बात मानना, चीजों को समझना और बांटने की सीख दें।बच्चों को बुद्धिमान बनाने के क्या उपाय हैं?
बच्चों को बुद्धिमान बनाने के लिए उन्हें पढ़ाई-लिखाई के अलावा एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में शामिल करें। इसके अलावा उन्हें खेल-कूद के अलावा सुडोकू, क्रॉसवर्ड, रूबिक क्यूब और जिगसॉ पहेलियां सॉल्व करने के लिए कह सकते हैं।कौन से खेल मस्तिष्क के कार्य में सुधार करते हैं?
आपको अपने बच्चे को खेलने के लिए प्रेरित करना चाहिए जिससे उनकी मानसिक और शारीरिक गतिविधियों में बदलाव आने के साथ उनका दिमाग तेज होता है।
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Oct 15, 2025 14:27 IST
Modified By : Pallavi KumariOct 15, 2025 14:27 IST
Published By : Pallavi Kumari