Effects of Social Media On Elderly: सोशल मीडिया के बढ़ते क्रेज के कारण आजकल ज्यादातर लोग सोशल साइट्स पर एक्टिव होते हैं। छोटे बच्चों से लेकर सीनियर जनरेशन तक अब हर कोई फेसबुक और इंस्टाग्राम इस्तेमाल करना अच्छे से जानता है। सोशल मीडिया के बढ़ते क्रेज का कारण इसे इस्तेमाल करने का तरीका ही है, बल्कि इस पर दिखाया जाने वाला कंटेंट भी है। हर दिन सोशल मीडिया पर कोई न कोई वीडियो या जानकारी वायरल होती रहती है, जो लोगों को इसे इस्तेमाल करने की वजह देती है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने जितना लोगों को ज्यादा स्मार्ट बनाया है, उतना ही बड़ा यह आज अफवाहों और फेक न्यूज का भंडार भी बन गया है। सोशल मीडिया पर कोई भी जानकारी मिनटों में वायरल तो हो जाती है, लेकिन इसका असर लोगों की मेंटल हेल्थ पर काफी समय तक रहता है। बात करें अगर सीनियर जनरेशन यानि बुजुर्गों कि, तो उन्हें सोशल मीडिया की पूरी तरह से जानकारी नहीं होती है। इसलिए सीनियर सिटीजन आसानी से अफवाहों पर भरोसा कर लेते हैं। लेकिन इससे उनकी मानसिक स्थिति पर बहुत गहरा प्रभाव देखने को मिलता है, जो उन्हें कई मुश्किलों में भी डाल सकता है। यह स्थिति कैसे बुजुर्गों के लिए नुकसानदायक हो सकती है, साथ ही इससे उन्हें कैसे बचाया जा सकता है। इस बारे में हम जानेंगे ओनलीमायहेल्थ की स्पेशल सीरीज ‘मेंटल हेल्थ मैटर्स’ में। जिसके लिए हमने बात कि गंगा राम अस्पताल (ओल्ड राजेन्द्र नगर) की एसोसिएट कंसल्टेंट रिहैबिलिटेशन साइकोलॉजिस्ट नीलम मिश्रा से।
जानें बुजुर्गों की मेंटल हेल्थ को कैसे प्रभावित करती हैं सोशल मीडिया की अफवाहें- How Rumors Affects The Mental Health of Elderly
सीनियर जनरेशन में कई लोगों को सोशल मीडिया और नई टेक्नोलॉजी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है। ऐसे में वो किसी भी जानकारी पर भरोसा कर लेते हैं, उदाहरण के लिए व्हाट्सएप पर आने वाले फॉरवर्ड मैसेज या फेसबुक पर कोई जानकारी देती वीडियो। अधिकतर लोग खबर की सच्चाई और सोर्स जाने बिना उस पर भरोसा कर लेते हैं। इस कारण वे अफवाह को ही सच मानकर बैठ जाते हैं और गलत चीजों को भी सही मानने लगते हैं।
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सोशल मीडिया की अफवाहों से बुजुर्गों को होने वाले खतरे- Dangers of Rumors on Mental Health of Elderly
फाइनेंशियल स्कैम का शिकार होना
सोशल मीडिया पर आए दिन ऐसे लिंक या खबरें आती रहती हैं, जो फाइनेंशियल स्कैम की वजह बनती हैं। लेकिन बिना जानकारी के किसी भी लिंक पर क्लिक करने से हम फाइनेंशियल स्कैम का शिकार भी हो सकते हैं। इसी तरह बुजुर्गों को फाइनेंशियल स्कैम की जानकारी नहीं होती है, जिस कारण वो इन स्कैमर्स का शिकार भी हो सकते हैं।
एंग्जायटी या स्ट्रेस बढ़ना
अफवाहों के कारण लोग किसी भी जानकारी को सच मानकर बैठ जाते हैं। साथ ही गलत खबर को सच मानकर ही बार-बार परेशान होने लगते हैं। ऐसे में कोई डर पैदा करने वाली अफवाह बुजुर्गों में एंग्जायटी या स्ट्रेस का कारण भी बन सकती है।
मन में डर की भावना बढ़ना
अफवाहें और गलत जानकारी बुजुर्गों के मन में डर की भावना भी पैदा कर सकती हैं। इसके कारण बुजुर्गों में अकेलापन, बैचेनी या घर से निकलने में डर लगने जैसी भावनाएं आने लगती हैं।
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गलत जानकारी फैलाना
अफवाहों को बिना सोर्स जाने बुजुर्ग भरोसा कर लेते हैं, जिस कारण वो गलत जानकारी को ही बिना सोचे-समझें फैलाने लगते हैं।
जानें बुजुर्गों को सोशल मीडिया की अफवाहों से कैसे बचाया जा सकता है- How To Stop Elderly To Believe On Fake Information
- अगर आपके घर में कोई बुजुर्ग भी सोशल मीडिया इस्तेमाल करता है, तो उनके मोबाइल में प्राइवेसी लॉक जरूर डालें।
- उन्हें फाइनेंशियल सिक्योरिटी और स्कैम की जानकारी दें, जिससे वो किसी भी फेक जानकारी पर भरोसा न करें।
- जानकारी दें कि कैसे सोर्स और खबर की सच्चाई का पता लगाया जा सकता है, जिससे उनके लिए अफवाहों को पहचानना आसान हो।
- सही और गलत खबर में फर्क समझना बताएं जिससे उनके लिए इन चीजों से डील करना आसान हो।
इस लेख में हमने जानकारी दी कि सोशल मीडिया की अफवाहें कैसे बुजुर्गों की मेंटल हेल्थ पर असर डालता है। लेकिन अगर उन्हें सतर्क रहना सिखाया जाए, तो इससे उन्हें सोशल मीडिया बढ़ते स्कैम से बचाया जा सकता है। अपनी सीनियर जनरेशन को सोशल मीडिया के बारे में शिक्षित करने से न सिर्फ अफवाहों को फैलने से रोका जा सकता है, बल्कि इससे सही जानकारी लोगों तक पहुंचाना भी आसान होगा। इस तरह के आर्टिकल्स हम हर मंगलवार आपसे साझा करते हैं, जिसमें मेंटल हेल्थ से जुड़ी कोई नई जानकारी आपके सामने पेश की जाती है। हमारी मेंटल हेल्थ सीरीज मेंटल हेल्थ मैटर्स के अन्य आर्टिकल्स आप ओनलीमायहेल्थ की वेबसाइट पर भी पढ़ सकते हैं।
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