what is the effect of social media on mental health In Hindi: आज की तारीख में शायद ही कोई ऐसा शख्स हो, जिसका सोशल मीडिया पर अकाउंट न हो। हर कोई सोशल मीडिया पर अपना ज्यादा से ज्यादा समय बिताता है। हद तो यह है कि छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सोशल मीडिया पर मौजूद हैं और अपने खाली समय में इस पर स्क्रॉलिंग करते रहते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया को इग्नोर नहीं किया जा सकता है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि आप सारा दिन इसी पर बिताएं। क्योंकि इसका मेंटल हेल्थ पर बहुत बुरा असर पड़ता है। सवाल है कि आखिर सोशल मीडिया हमारी मेंटल हेल्थ के लिए इतना बुरा क्यों है? इस पर अधिक समय बिताने से हमारे ब्रेन पर किस तरह का असर पड़ता है? आइए, जानते हैं वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक एवं मानसिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता डॉ. अरविंद ओत्ता से।
सोशल मीडिया का ब्रेन पर असर
सोशल मीडिया इंटरनेट की वजह दुनिया है, जो वर्चुअल वर्ल्ड बनकर उभर रहा है। आज हर व्यक्ति चाहे, वह कामकाजी हो या गैर कामकाजी, अपने खाली समय में इस पर समय बिताना पसंद करता है। ताज्जुब की बात यह है कि ज्यादातर लोग इस पर अपना समय बर्बाद करते हैं। लेकिन, उन्हें यह अंदाजा नहीं है कि आखिर सोशल मीडिया का ब्रेन पर किस तरह का असर पड़ता है? विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया कई तरह से ब्रेन को प्रभावित करता है। जैसे सोशल मीडिया पर अपनी पसंदीदा वीडियो स्क्रॉल करने के कारण डोपामाइन रिलीज होता है। यह एक तरह प्लेजर हार्मोन है, जो कि अंदर से खुशी का अहसास कराता है। वहीं, साथ ही लोगों के मन में तुलनात्मक माहौल भी तैयार करता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हर व्यक्ति सोशल मीडिया पर देख रहे इंफ्लूएंसर या कंटेंट क्रिएटर की जिदंगी से अपनी लाइफ की तुलना करने लगता है। इसकी वजह से ब्रेन पर नेगेटिव असर पड़ता है, जो व्यक्ति को सेल्फ डाउट और कम आत्मविश्वास की ओर धकेलता है।
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सोशल मीडिया का मेंटल हेल्थ पर कैसा प्रभाव पड़ता है?
अगर कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर निश्चित समय बिताता है और उसे एंटरटेनमेंट के उद्देश्य से देखता है, तो इसका मेंटल हेल्थ पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा। वहीं, अगर कोई व्यक्ति पूरा दिन इस पर बिताता है और पूरा दिन किसी तरह की प्रोडक्टिव काम में समय नहीं लगाता है, तो इसका नेगेटिव असर देखने को मिल सकता है। जैसे-
डिप्रेशनः जो लोग अपना पूरा दिन सोशल मीडिया पर समय बिताते हुए गुजार देते हैं, वे अक्सर खुद को डिप्रेशन में पाते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि वे जीवन में कुछ हासिल नहीं कर पा रहे हैं, वहीं उन्हें छोड़ पूरी दुनिया सफल हो रही है।
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एंग्जाइटीः सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताने के कारण एंग्जाइटी ट्रिगर होने लगती है। ऐसा इसलिए भी होता है, क्योंकि सोशल मीडिया के कारण व्यक्ति अपना ज्यादातर समय एक ही जगह पर बैठे-बैठे गुजार देता है और वीडियोज के जरिए अपनी लाइफ की तुलना करने लगता है। इससे एंग्जाइटी यानी चिंता का स्तर बढ़ने लगता है।
अकेलापनः सोशल मीडिया लोगों में अकेलेपन को बढ़ाने का एक बड़ा कारण बन गया है। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है? असल में व्यक्ति सोश्ल मीडिया के कारण किसी से अपनी दिल की बात साझा नहीं करना चाहता है। उन्हें लगता है कि लोग उन्हें जज करेंगे और उनकी मौजूदा स्थिति का मजाक बनाएंगे। इस तरह की सिचुएशन के कारण हर व्यक्ति अपनी परेशानी को अकेले ही सुलझा रहा होता है। नतीजतन, व्यक्ति अकेलेपन का शिकार हो रहा है।
नींद पूरी न होनाः लोगों को इस बात का अहसास ही नहीं होता है कि एक ही जगह पर बैठे-बैठे कितने घंटे मोबाइल पर यानी सोशल मीडिया पर बिताते हैं। कुछ लोग ऐसे हैं, जो रात को सोने से पहले अपना सोशल मीडिया अकाउंट खोलते हैं और पूरी रात उसी पर अपना समय बिता देते हैं। ऐसा करने से उनकी नींद पूरी नहीं होती है और अगले दिन थकान, लो एनर्जी और कमजोरी महसूस करते हैं। ऐसा किया जाना बिल्कुल सही नहीं है।