Can Brain Rot Affect Your Mental Health: आजकल ‘ब्रेन रोट’ शब्द काफी ज्यादा ट्रेंड में बना हुआ है। लेकिन क्या आप जानते हैं यह शब्द कहां से आया है? दरअसल, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी हर साल एक ‘वर्ड ऑफ दा ईयर’ का ऐलान करता है। इस साल ब्रेन रोट शब्द को ‘वर्ड ऑफ दा ईयर’ यानी दुनियाभर में सालभर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला शब्द घोषित किया गया है। ब्रेन रोट का मतलब है कोई कंटेंट लगाातार देखने के कारण ब्रेन सुस्त या कमजोर पड़ जाना। इसे मेंटल हेल्थ से जोड़कर देखा जा सकता है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने इस शब्द को परिभाषित करते हुए बताया है ब्रेन रोट का मतलब है ऑनलाइन कंटेंट ज्यादा देखने से व्यक्ति की मानसिक और बौद्धिक स्थिति का बिगड़ जाना। खासकर अगर वो कंटेंट उसे सोचने पर मजबूर नहीं कर रहा है या कोई फालतू चीज है। अगर बात युवा पीढ़ी की करें, तो उन पर सबसे ज्यादा ब्रेन रोट का असर देखा जा सकता है। क्या आप जानते हैं ब्रेन रोट युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान करता है? इस समस्या को विस्तार से जानने के लिए हमने बात की दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के मनोचिकित्सक विभाग की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. आरती आनंद से।
पहले समझें ब्रेन रोट क्या है?
ब्रेन रोट एक ऐसी स्थिति है जो लंबे समय तक किसी कंटेंट को देखने के कारण बनती है। लगातार खराब कंटेंट देखने के कारण दिमाग के सुस्त पड़ जाने की स्थिति को ब्रेन रोट कहा जाता है। अगर इसे आसान भाषा में समझा जाए, तो लगाातर खराब कंटेंट देखने से दिमाग का सुस्त हो जाना ही ब्रेन रोट है। लगातार रील्स देखने की आदत को भी ब्रेन रोट कहा जा सकता है। युवाओं खासकर जैन जी जनरेशन और अल्फा जनरेशन पर इसका असर सबसे ज्यादा देखने को मिलता है।
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युवाओं की मानसिक स्थिति को कैसे प्रभावित कर रहा है ब्रेन रोट- How Brain Rot Affects Mental Health of Youngsters
स्लीप पैटर्न खराब होता है
ऑनलाइन कंटेंट देखने की आदत युवाओं के स्लीप पैटर्न को नुकसान कर रही है। बच्चे रात में कई घंटों तक सोशल मीडिया को स्क्रॉल करते रहते हैं। इसके कारण उनकी नींद पूरी नहीं होती है और दिमाग सुस्त पड़ सकता है। लंबे समय में यह नींद से जुड़ी समस्याओं की वजह भी बन सकता है।
फोकस करने की पॉवर कम होती है
सोशल मीडिया स्क्रॉल करने की आदत लत बन सकती है। इसके कारण लोग कई घंटे रील्स और शॉर्ट्स स्क्रॉल करने में बिता देते हैं। ऐसे में यह दिमाग को धीमा करने की वजह बन सकता है। इस आदत के कारण युवाओं को अपने गोल्स और डेली एक्टिविटीज पर फोकस करने में परेशानी हो सकती है।
क्रिएटिव थिंकिंग कम होती है
जब आप सही कंटेंट देखते हैं तो इससे आपकी क्रिएटिव थिंकिंग की पॉवर बढ़ती है। लेकिन सोशल मीडिया स्क्रॉल करने की आदत क्रिएटिव थिंकिंग को कमजोर कर सकती है। इसके कारण कोई नया आईडिया या क्रिएटिव सोचने की पॉवर कम होती है।
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मेंटल हेल्थ इशुज हो सकते हैं
सोशल मीडिया दिखावे की दुनिया को दर्शाती है। अधिकतर लोग खुद को दूसरों से बेहतर दिखाने की कोशिश में लगे होते हैं। अगर ऐसे कंटेंट को बार-बार देखा जाएगा, तो इससे दिमाग पर बुरा असर पड़ सकता है। इसके कारण एंग्जायटी, स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी स्थितियां बन सकती हैं।
ब्रेन रोट से कैसे बच सकते हैं?
- ऑनलाइन कंटेंट देखना सिर्फ एक आदत है। इन टिप्स को फॉलो करके आप ब्रेन रोट से बच सकते हैं-
- पहले से निर्धारित करके रखें कि आपको सोशल मीडिया कितनी देर और किस प्लेटफॉर्म पर बिताना है। इससे आप ब्रेन रोट होने से बच सकते हैं।
- ऐसा कंटेंट न देखें जिनके कारण आपके माइंड में निगेटिव ख्याल आते हैं। ऐसे सोशल मीडिया अकांउट को अनफॉलो कर दें। क्योंकि लंबे समय तक खराब कंटेंट देखने से दिमाग पर बुरा असर पड़ सकता है।
- अपना ज्यादा से ज्यादा समय ऑफ लाइन एक्टिविटीज को दें। क्योंकि इससे आप ऑनलाइन ज्यादा समय बिताने से बच सकेंगे।