उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों में कमजोरी और स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है। खासकर 60 साल की उम्र के बाद से हड्डियों का कमजोर होना, इम्यूनिटी कमजोर होना और दिमाग से जुड़ी बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है। अल्जाइमर डिजीज भी उन्हीं बीमारियों में से एक है, जो आमतौर पर बुजुर्गों में याददाश्त कमजोर होने या जाने से जुड़ी एक बीमारी के रूप में जाना जाता है। हालांकि, याददाश्त कमजोर होना इस बीमारी का एक बड़ा लक्षण है। अल्जाइमर के कारण समय के साथ आपकी याददाश्त कमजोर होने लगती है, सोचने-सीखने और समझने की क्षमता भी इस बीमारी के कारण प्रभावित होती है। लेकिन, क्या आपको पता है कि आपके चलने के तरीके पर भी अल्जाइमर रोग का असर हो सकता है। आइए गुरुग्राम के नारायणा अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट और डायरेक्टर डॉ. मीना गुप्ता (Dr. Meena Gupta, Senior Consultant and Director, Neurologist, Narayana Gurugram) से जानते हैं कि क्या अल्जाइमर आपके चलने-फिरने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है?
अल्जाइमर चलने पर कैसे असर डालता है?
डॉ. मीना गुप्ता बताती हैं कि, "अल्जाइमर एक न्यूरोडीजेनेरेटिव डिजीज है, यानी यह धीरे-धीरे दिमाग के सेल्स को नुकसान पहुंचाता है। इसलिए, जब यह बीमारी शरीर के उन हिस्सों को प्रभावित करती है, जो संतुलन और गतिविधि को कंट्रोल करते हैं, तो मरीज के चलने पर असर पड़ता है। जैसे-
- संतुलन और तालमेल की कमी: अल्जाइमर के कारण रिफ्लेक्स कमजोर हो जाते हैं, जिससे व्यक्ति अस्थिर हो जाता है और उसके गिरने की संभावना बढ़ जाती है।
- चाल में बदलाव: अल्जाइमर में पीड़ित की चाल धीमी और घसीटने जैसी हो जाती है। वह छोटे-छोटे कदम बढ़ाने लगता है, पैर घसीटते हैं और हाथों का स्वाभाविक झूलना कम हो जाता है। पीड़ितों का अचानक मुड़ना या रुकना काफी मुश्किल हो सकता है।
- दिशा समझने में मुश्किल: इस समस्या के कारण मरीज यह भूल सकता है कि उसे कहां जाना है या चलना कैसे शुरू करना है। यह समस्या उनके रोज जाने आने के स्थानों पर भी हो सकती है।
- मांसपेशियों में जकड़न और कमजोरी: अल्जाइमर के कारण शारीरिक गतिविधियां कम होने से मांसपेशियां कमजोर और अकड़न वाली हो जाती हैं, जिस कारण कभी-कभी मरीज अचानक चलते-चलते फ्रीज हो जाता है और थोड़ी देर बाद ही आगे बढ़ पाता है।
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क्या अल्जाइमर से बचाव संभव है?
डॉ. मीना गुप्ता के अनुसार, "अल्जाइमर एक प्रगतिशील बीमारी है और आज के समय में इसका कोई इलाज नहीं है। लेकिन, डॉक्टर्स का मानना है कि लगभग 45 से 50% मामलों को ज्यादा बढ़ने से रोका जा सकता है या कम किया जा सकता है, अगर लाइफस्टाइल में सही बदलाव किया जाएं। जैसे -
- हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं, जिसमें फलों और सब्जियों से भरपूर संतुलित आहार लें। हल्की शारीरिक गतिविधियां करें, जिसमें हल्के एक्सरसाइज, योग या स्ट्रेचिंग शामिल हो। हाई ब्लड प्रेशर, दिल से जुड़ी बीमारी, डायबिटीज और थायराइज जैसी बीमारियों को कंट्रोल करें।
- मानसिक रूप से खुद को एक्टिव रखने की कोशिश करें, नई चीजें या भाषाएं सीखें, क्रिएटिव कामों में खुद का दिमाग लगाएं और ऐसे खेल खेले जो आपके दिमाग को चुनौती दें।
- सामाजिक रूप से दूसरे लोगों से जुड़ने की कोशिश करें। परिवार और दोस्तों के साथ अपने रिश्ते को मजबूत बनाएं और सामाजिक गतिविधियों में एक्टिव रहने की कोशिश करें।
- खुद को हेल्दी वातावरण में रखने की कोशिश करें, गंदगी वाले स्थानों से खुद को दूर रखें और ऐसी जगह पर रहे जहां सूरज की पर्याप्त रोशनी आए और आपके गिरने का जोखिम कम हो।
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निष्कर्ष
अल्जाइमर न सिर्फ दिमाग से जुड़ी बीमारी है, जो आपके याददाश्त को कमजोर बनाता है। बल्कि ये आपके चलने और सोचने के तरीको को भी प्रभावित करता है। अल्जाइमर से पीड़ित व्यक्ति का संतुलन बिगड़ना, छोटे कदम चलना, रास्ता भूलना और मांसपेशियों में जकड़ना होना आम समस्या है। इसलिए, खुद को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से एक्टिव रखने की कोशिश करें, जो आपकी सेहत में थोड़ा सुधार करने या हालात को ज्यादा गंभीर होने से रोक सकता है।
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FAQ
अल्जाइमर रोग कैसे होता है?
अल्जाइमर डिजीज दिमाग के नर्व सेल्स के धीरे-धीरे खत्म होने के कारण होता है, जिसकी वजह से याददाश्त कमजोर औऱ सोचने की क्षमता में कमी हो सकती है। यह बीमारी दिमाग में प्रोटीन के असामान्य जमाव, दिमाग में सूजन या किसी जेनेटिक कारण से हो सकती है।भूलने की बीमारी किसकी कमी से होती है?
भूलने की बीमारी होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिसमें विटामिन बी1 की कमी, एक बड़ा कारण है, जो अक्सर ज्यादा शराब के सेवन के कारण होती है। इसके अलावा, सिर में चोट लगना, अल्जाइमर, दिमाग से जुड़ा इंफेक्शन, नींद की कमी और तनाव जैसे कारणों से हो सकती है।भूलने की बीमारी कब गंभीर होती है?
भूलने की बीमारी तब गंभीर हो जाती है, जब व्यक्ति के दिमाग में नई यादें बनाने की क्षमता खत्म हो जाती है, उसके लिए रोजमर्रा के काम करना मुश्किल हो जाता है या जान पहचान वाली जगहों पर भटकने या खोने लगते हैं।
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Current Version
Sep 20, 2025 10:45 IST
Published By : Katyayani Tiwari