-1761809671069.webp)
Lifestyle Changes For Alzheimer's Disease: अल्जाइमर एक तरह का ब्रेन डिस्ऑर्डर है। यह धीरे-धीरे याददाश्त को कमजोर कर देता है, सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित हो जाती है और डिमेंशिया का यह मुख्य कारणों में से एक है। असल में ब्रेन में हुए कॉम्प्लेक्स बदलावों के कारण अल्जाइमर जैसी गंभीर समस्या हो जाती है। आमतौर पर देखने में यही आता है कि बुजुर्गों को ही अल्जाइमर जैसी बीमारी होती है। लेकिन, कम उम्र के युवाओं को भी प्रभावित कर सकती है। इसलिए, यह जानना बहुत जरूरी है कि क्या शुरुआती स्टेज के अल्जाइमर को लाइफस्टाइल में बदलाव से ठीक किया जा सकता है? आइए, जानते हैं इस बारे में क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और सुकून साइकोथैरेपी सेंटर की फाउंडर दीपाली बेदी विस्तार से।
क्या लाइफस्टाइल में बदलाव से अर्ली स्टेज अल्जाइमर ठीक हो सकता है?
-1761809776332.jpg)
फिशर सेंटर फॉर अल्जाइमर रिसर्च फाउंडेशन में प्रकाशित एक रिपोर्ट से पता चलता है कि अल्जाइमर एक ऐसी बीमारी है, जो धीमी गति से प्रोग्रेस करती है। ऐसे में यह जा सकता है कि अगर व्यक्ति सही डाइट और लाइफस्टाइल फॉलो करता है, तो इसकी वजह से अर्ली स्टेज अल्जाइमर की की गति को धीमा किया जा सकता है। हां, इसे रोका नहीं जा सकता है।’ रिपोर्ट से यह बात भी साबित होती है कि सही डाइट, एक्सरसाइज और हेल्दी लाइफस्टाइल की मदद से अल्जाइमर के मरीजों की सीखने, सोचने की क्षमता का क्षरण भी धीमे होता है। यहां तक कि उनकी कॉग्निटिव स्किल्स में भी सुधार नजर आता है।
इसे भी पढ़ें: अल्जाइमर से बचाव के लिए अपने बड़े-बूढ़ों की लाइफस्टाइल में शामिल करें ये 8 बदलाव, एक्सपर्ट से जानें कारण
शुरुआती स्टेज के अल्जाइमर को मैनेज करने के लिए क्या करें?
डाइट में करें बदलावः अगर किसी को शुरुआती स्टेज का अल्जाइमर है, तो उन्हें जरा भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए। उन्हें अपनी डाइट में ऐसी चीजें शामिल करनी चाहिए, जिससे उनकी याददाश्त पर अच्छा असर पड़ता है। ऐसे लोगों को प्लांट बेस्ट फूड का सेवन अधिक करना चाहिए और सैचुरेटेड फैट कम करना चाहिए। इसके अलावा, इन्हें फल और सब्जियों को भी अपनी डाइट में ज्यादा से ज्यादा शामिल करना चाहिए। ओमेगा-3 फैटी एसिड और मल्टीविटामिन शुरुआती स्टेज अल्जाइमर के मरीजों के लिए काफी लाभकारी है।
करें एक्सरसाइजः विशेषज्ञों का कहना है कि अल्जाइमर जैसी समस्या से पीड़ित लोगों को नियमित रूप से एक्सरसाइज करनी चाहिए। एक्सरसाइज में भी मॉडरेट एरोबिक या वॉक काफी लाभकारी हो सकती है। यही नहीं, अल्जाइमर के शुरुआती स्टेज में मरीज स्ट्रेंथ ट्रेनिंग भी कर सकते हैं। इस तरह की वर्कआउट का उनकी लाइफ पर बहुत अच्छा असर पड़ता है। इससे याददाश्त भी दुरुस्त रहती है।
स्ट्रेस करें मैनेजः यह सिर्फ अल्जाइमर के मरीजों के लिए ही नहीं, बल्कि हर व्यक्ति के लिए आवश्यक है कि वे स्ट्रेस को मैनेज करें। जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक तनाव या चिंता में रहता है, तो इसका नेगेटिव असर ओवर ऑल हेल्थ पर पड़ता है। खासकर, अल्जाइमर के मरीजों की बात करें, तो तनाव की वजह से उनकी याददाश्त तेजी से कमजोर होने लगती है और उनकी कॉग्निटि स्किल्प पर भी बुरा असर पड़ सकता है। तनवा को मैनेज करने के लिए अल्जाइमर के मरीज नियमित रूप से ब्रीदिंग, मेडिटेशन और योग कर सकते हैं।
इसे भी पढ़ें: युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है ब्रेन स्ट्रोक, सही समय पर इस तरह करें बचाव
निष्कर्ष
अल्जाइमर एक गंभीर समस्या है। इसलिए, अगर किसी को इसका पता चलता है, तो उन्हें इसे लेकर लापरवाह नहीं करनी चाहिए। खासकर, अल्जाइमर के शुरुआती स्टेज में होने पर मरीजों को अपनी केयर ज्यादा करनी चाहिए। जीवनशैली में जरूरी बदलाव करने चाहिए और डाइट भी हेल्दी लेनी चाहिए। इसके अलावा, डॉक्टर से सपंर्क करने में जरा भी देरी नहीं करनी चाहिए।
All Image Credit: Freepik
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version
Oct 30, 2025 13:11 IST
Published By : Meera Tagore