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दिल्ली-एनसीआर में दिनों-दिन एक्यूआई (AQI) खराब होता जा रहा है और प्रदूषण का स्तर भी बिगड़ रहा है। तमाम विशेषज्ञ बार-बार यह कह रहे हैं कि वायु प्रदूषण में जितना संभव हो, घर के अंदर रहें। ऐसा इसलिए, क्योंकि हवा में (PM2.5 और PM10) दूषित पार्टिकल्स हैं। जब ये सांस नली द्वारा हमारे शरीर में घुसते हैं, तो इसका नकारात्मक प्रभाव हमारे एयरवेज यानी सांस की नली पर ही नहीं, बल्कि ओवर ऑल हेल्थ पर पड़ता है। खासकर, हार्ट के मरीजों के लिए यह स्थिति बिल्कुल सही नहीं है। ऐसे में एक सवाल जरूर मन में उठता है कि क्या वायु प्रदूषण का असर हड्डियों पर भी पड़ता है? अगर हां, तो कैसे? इस बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने नई दिल्ली स्थित श्री एक्शन बालाजी हॉस्पिटल में Director Robotic Joint Replacement, Sports Injury and Orthopedic और दिल्ली के द्वारका स्थित Orthopedic and Spine Clinic के फाउंडर डॉ. अखिलेश राठी से बात की।
क्या वायु प्रदूषण हड्डियों पर नकारात्मसर डालता है?
sciencedirect में प्रकाशित एक लेख से इस बात की पुष्टि होती है कि वायु प्रदूषण हमारी हड्डियों पर नेगेटिव असर डालता है। इसकी वजह से शरीर में इंफ्लेमेशन यानी सूजन बढ़ जाती है और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस में बढ़ोतरी होती है। यही नहीं, वायु प्रदूषण की वजह से शरीर में विटामिन-डी का प्रोडक्श्न कम होता। नतीजतन, बोन मिनरल डेंसिटी में कमी आने लगती है, जिसकी वजह से हड्डियों से जुड़ी कई तरह की समस्याएं ट्रिगर हो जाती हैं। यहां तक कि ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियों के फ्रेक्चर होने का जोखिम भी बढ़ जाता है।
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वायु प्रदूषण हड्डियों को कैसे प्रभावित करता है?
सूजन में बढ़ोतरीः डॉ. अखिलेश राठी कहते हैं, "वायु प्रदूषण बढ़ने का मतलब है कि हवा में कई ऐसे पल्यूटेंट का मौजूद होना, जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ये एयर पल्यूटेंट सिस्टमिक इंफ्लेमेशन (सिस्टमिक इंफ्लेमेशन एक स्ट्रेसर जैसे इंफेक्शन, ट्रॉमा या पुरानी बीमारी के प्रति शरीर की इंफ्लेमेटरी प्रतिक्रिया है) को ट्रिगर करते हैं और फ्री रेडिकल जनरेट करते हैं। ऐसे में बोन टिश्यूज और सेल्स भी डैमेज होते हैं।"
विटामिन-डी की कमीः एयर पल्यूशन की वजह से ग्राउंड लेवल ओजोन का स्तर बढ़ जाता है, जो कि सूर्य की रोशनी ब्लॉक करता है। जाहिर है, जब सूरज नजर नहीं आता है, तो ऐसे में हमारा शरीर विटामिन-डी प्रोड्यूस नहीं कर सकता है। ध्यान रखें कि विटामिन-डी हमारी हड्डियों के विकास के लिए बहुत जरूरी पोषक तत्व है।
एंडोक्राइन में रुकावटः एयर पल्यूशन में कई ऐसे एयर पल्यूटेंट भी होते हैं, जो कि बोन सेल्स के रिसेप्टर में बंध जाते हैं। ऐसे में न सिर्फ हड्डियों की कार्यप्रणाली बाधित होती है, बल्कि बोन मेटाबॉलिज्म पर भी नेगेटिव असर पड़ता है। बोन मेटाबॉलिज्म वह प्रोसेस है, जिसमें पुरानी बोन टिश्यूज ब्रेकडाउन होकर नए बोन टिश्यूज उसे रिप्लेस करते हैं। एयर पल्यूटेंट के कारण यह प्रक्रिया भी बाधित होती है।
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वायुपद्रूषण का हड्डियों पर नेगेटिव असर
- अगर कोई लगातार एयर पल्यूशन में रहता है और एयर पल्यूटेंट के संपर्क में आता है, तो ऐसे में उनकी बोन मिनरल डेंसिटी के स्तर में कमी आ जाती है।
- एसबीआई की एक रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि वायु प्रदूषण की वजह से ऑस्टियोपोरोसिस का रिस्क बढ़ जाता है।
- ध्यान रखें कि जब बोन मिनरल डेंसिटी के स्तर में गिरावट आती है, तो ऐसे में फ्रेक्चर के जोखिम में भी इजाफ होता है।
निष्कर्ष
बढ़ते वायु प्रदूषण में हर व्यक्ति को अपनी सेफ्टी का पूरा ध्यान रखना चाहिए। इसका बोन हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ता है। वायु प्रदूषण की वजह से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, बोन मिनरल डेंसिटी में गिरावट आती है, जो कि हड्डियों से जुड़ी बीमारियों का कारण बन सकता है। इसलिए, विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि जिन इलाकों में अधिक वायु प्रदूषण है, वहां लोग घर से बाहर कम निकलें। अगर घर से बाहर जाना है, तो मास्क जरूर पहनें और छोटे बच्चों तथा प्रेग्नेंट महिलाओं को घर में ही रहने की सलाह दें।
All Image Credit: Freepik
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- Oct 31, 2025 13:29 IST Modified By : Meera Tagore
- Oct 31, 2025 13:29 IST Published By : Meera Tagore