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कोर्टिसोल हार्मोन स्लीप साइकिल पर कैसे असर डालता है? जानें एक्सपर्ट से

कोर्टिसोल हार्मोन इंबैलेंस होने से स्लीप साइकिल डिस्टर्ब हो सकती है। जानें कोर्टिसोल हार्मोन स्लीप साइकिल से कैसे कनेक्ट है।
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कोर्टिसोल हार्मोन स्लीप साइकिल पर कैसे असर डालता है? जानें एक्सपर्ट से


How Cortisol Affect Sleep Cycle: हमारी हार्मोनल हेल्थ ओवरऑल हेल्थ से सीधी तौर पर जुड़ी है। इसलिए हार्मोन्स इंबैलेंस होने पर हमें कई समस्याएं एक साथ होना शुरू हो जाती हैं। उदाहरण के लिए पीसीओडी या पीसीओएस हार्मोन्स इंबैलेंस से जुड़ी समस्याएं हैं। इनमें स्किन हेल्थ और रिप्रोडक्टिव हेल्थ के साथ डाइजेशन और मेंटल हेल्थ पर भी असर पड़ता है। इसी तरह कोर्टिसोल हार्मोन भी हमारी ओवरऑल हेल्थ से जुड़ा होता है। ज्यादा तनाव लेने या इमोशंस मैनेज न कर पाने के कारण कोर्टिसोल इंबैलेंस हो सकता है। इसके कारण कई स्वास्थ्य समस्याएं एक साथ हो सकती हैं। इतना ही नहीं, कोर्टिसोल हार्मोन इंबैलेंस होने के कारण नींद से जुड़ी समस्याएं होने का खतरा भी हो सकता है। यह हार्मोन हमारी स्लीप साइकिल को भी प्रभावित करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कोर्टिसोल हार्मोन हमारी स्लीप साइकिल से किस तरह कनेक्टेड होता है? इस बारे में जानने के लिए हमने गुरुग्राम स्थित मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल के डायबिटीज और ओबेसिटी और मेटाबोलिक डिसऑर्डर डिपार्टमेंट के क्लिनिकल डायरेक्टर और हेड डॉ पारस अग्रवाल से बात की।

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कोर्टिसोल हार्मोन से स्लीप साइकिल पर क्या असर पड़ता है? How does cortisol affect sleep Cycle

स्लीप साइकिल रेगुलेट करता है

कोर्टिसोल को स्ट्रेस हार्मोन भी कहा जाता है। यह हार्मोन बॉडी के सोने और उठने की नेचुरल साइकिल को रेगुलेट करता है। कोर्टिसोल हार्मोन नैचुरली बॉडी के सर्काडियन रिदम के मुताबिक काम करता है। जो सुबह के दौरान सबसे ज्यादा एक्टिव होता है और रात होने के साथ कम होना शुरू हो जाता है।

इमोशंस कंट्रोल करता है

लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्याएं जैसे क्रॉनिक स्ट्रेस, एंग्जायटी और खराब आदतों के कारण सर्काडियन रिदम डिस्टर्ब हो सकता है। इसके कारण नींद आने में परेशानी हो सकती है। इन समस्याओं के कारण कोर्टिसोल लेवल बढ़ सकता है और शरीर में बैचेनी रहती है। इस कारण ठीक से नींद नहीं आती है और स्लीप साइकिल डिस्टर्ब हो सकती है।

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नींद में परेशानी आ सकती है

कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ने के कारण रात को सोने में परेशानी हो सकती है। इसके कारण स्लीप क्वालिटी खराब हो सकती है। रात भर नींद न आना या कम नींद आने जैसी समस्याओं से भी जूझना पड़ सकता है।

मेलाटोनिन कम होता है

कोर्टिसोल बढ़ने के कारण मेलाटोनिन हार्मोन का प्रोडक्शन भी कम हो सकता है। यह हार्मोन स्लीप साइकिल के लिए जरूरी होता है। हार्मोन्स में इस तरह के इंबैलेंस के कारण इनसोमनिया, दिनभर थकावट या मेटाबॉलिक डिसऑर्डर का रिस्क बढ़ सकता है।

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स्लीप साइकिल को हेल्दी रखने के लिए अपनाएं ये टिप्स

  • अच्छी नींद के लिए स्क्रीन टाइम और कैफीन इनटेक कंट्रोल रखें। क्योंकि ये चीजें कोर्टिसोल इंबैलेंस होने की वजह भी बन सकती हैं।
  • इर्रेगुलर स्लीप शेड्यूल भी कोर्टिसोल के इंबैलेंस होने की वजह बन सकता है। इसलिए अपने स्लीप शेड्यूल को मैनेज करके रखें।
  • सोने से करीब एक घंटे पहले स्क्रीन से दूरी बना लें। क्योंकि इससे निकलने वाली ब्लू रेज स्लीप साइकिल डिस्टर्ब कर सकती है।
  • स्ट्रेस कम करने और माइंड को रिलैक्स करने के लिए रिलैक्सेशन टेक्निक अपनाएं। इसके अलावा डाइट और लाइफस्टाइल को हेल्दी रखने से भी स्लीप साइकिल हेल्दी रहेगी।

लेख में हमने जाना कोर्टिसोल हार्मोन स्लीप साइकिल से किस तरह जुड़ा होता है। साथ ही किन टिप्स के जरिए कोर्टिसोल और स्लीप साइकिल को मैनेज किया जा सकता है।

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