दिल्ली सहित उत्तर भारत में हर वर्ष सर्दी के मौसम में वायु गुणवत्ता (Air quality) काफी खराब स्तर तक गिर जाती है। पिछले दो हफ्तों से यहां ऐसा ही हो रहा है। इस प्रदूषण से लड़ने के लिए केंद्र और राज्य सरकार लगातार अभियान चला रही हैं। पर जरूरी है कि इस प्रदूषण को कम करने के लिए हम और आप व्यक्तिगत रूप से कोशिश करें और बाकी लोगों को जागरूक बनाएं। Onlymyhealth ने भी ऐसी ही एक पहल की है। आज से हमने एक जागरूकता अभियान 'My Right To Breathe' की शुरुआत की है, जिसके तहत हम लोगों को बताएंगे कि ये बढ़ता प्रदूषण किस हद तक, आपको नुकसान पहुंचा सकता है।
'My Right To Breathe' अभियान के तरह, आज हम आपको वायु प्रदूषण का आपके मानसिक स्वास्थ पर होने वाले असर से वाकिफ करवाएंगे। दरअसल, हम में से कई लोगों को लगता है कि वायु प्रदूषण का नुकसान सिर्फ हमारे शरीर को ही होता है। जबकि, इसका एक व्यापक असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य ( Air Pollution Effects on Mental Health)पर भी होता है, जिसे हम अक्सर नजर अंदाज कर देते हैं। इसी विषय को गहराई से समझने के लिए हमने डॉ. नवीन किशोर से भी बात की, जो कि मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, गुड़गांव में ब्रोंकोलॉजी के प्रमुख और वरिष्ठ सलाहकार हैं।
डॉ. नवीन किशोर बताते हैं कि आमतौर पर हम सभी को लगता है वायु प्रदूषण का असर सिर्फ हमारे फेफड़ों और सांस लेने की प्रक्रिया पर ही होता है। जबकि वायु प्रदूषण का असर हमारे शरीर में काफी व्यापक तौर पर होता है। ये न सिर्फ हमारी आंखों में जलन पैदा करता है, स्किन को नुकसान पहुंचाता है बल्कि हमारी नींद और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है। ऐसा इसलिए कि शरीर का हर अंग एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। अगर आप सही से सांस नहीं ले पाएंगे, तो मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी होगी, जिससे आपके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान होगा। वो कैसे, आइए अब विस्तार समझते हैं।
वायु प्रदूषण हमारी नींद को कैसे प्रभावित करता है (air pollution can affect your sleep)?
अगर प्रदूषण ज्यादा हो तो यह हमारी नींद की गुणवत्ता को खराब करता है। रात में सोन के दौरान अगर कमरे में प्रदूषण का लेवल ज्यादा है, तो हमें सांस लेने में परेशानी होती है। इस वजह शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने के कारण हमारा मस्तिष्क सक्रिय हो जाता है और ऑक्सीजन की कमी पूरी करने के लिए हमें जगा देता है। ऐसे में हम बार-बार गहरी सांस भरने की कोशिश करते हैं, जिसके कारण बार-बार हमारी नींद टूटती है। इस प्रकार प्रदूषण और नींद सीधे तौर पर एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
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वायु प्रदूषण हमारे मूड को कैसे प्रभावित करता है?
दरअसल, प्रदूषण के कारण मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऑक्सीजन की यह कमी हमारे मूड को प्रभावित करता है, जिसके साथ हम तनाव और अवसाद महसूस करने लगते हैं। प्रदूषण के कारण नींद भी पूरी नहीं हो पाती है, जिसकी वजह से हमें पूरे दिन नींद आती है। वहीं इसके कारण हमारे शरीर में होर्मोनल डिसबैलेंस भी बना रहता है, जिससे अक्सर मूड स्विंग्स होते हैं।
चिड़चिड़ेपन का कारण एयर पॉल्यूशन
डॉ. नवीन किशोर की मानें, तो नींद पूरी न हो पाना अवसाद और चिड़चिड़ेपन का एक बहुत बड़ा कारण है। हमारा मस्तिष्क सक्रिय नहीं रह पाता है, जिसके कारण नींद, थकान और आलस बहुत ज्यादा आता है। ये सभी चीजें हमारे मूड को प्रभावित करती हैं और हम धीरे-धीरे चिड़चिड़े होने लगते हैं।
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बचाव के लिए क्या करें?
एयर पॉल्यूशन के इस असर को कम करने को लेकर डॉ. नवीन कहते हैं कि हालांकि, ये परेशानी इतनी बड़ी है कि कोई भी उपाय काफी नहीं। असल में इसके लिए पूरे विश्व के हर इंसान को मिल कर काम करना होगा, तभी हम इस परेशानी से निजात पा सकते हैं। पर फिलहाल, इस परेशानी से निपटने के लिए हमें कुछ चीजों का ध्यान रखना होगा। जैसे कि
- -जहां तक संभव हो कमरे को बंद रखें।
- - घर को प्रदूषित हवा से दूर रखने के लिए उचित वेंटिलेशन का इंतजाम करें।
- - किचन में एग्जॉस्ट फैन जरूर लगाएं।
- -गाड़ी के अलावा घर और ऑफिस में भी एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
इन चीजों के अलावा सबसे जरूरी बात ये है कि बाहर प्रदूषण ज्यादा है, तो ज्यादा से ज्यादा वक्त घर में ही बिताएं। अगर बाहर जाना जरूरी है, तो मुंह को गीले कपड़े से कवर करें, मास्क लगाएं और आंखों पर चश्मा लगा कर ही बाहर जाएं। साथ ही घर में अगरबत्ती, धूप और ऐसी चीजें, जिनसे प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है, वो न जलाएं। इस तरह आपको रात में बेहतर नींद आएगी और मूड स्विंग्स भी कंट्रोल हो जाएगा।
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