बढ़ते प्रदूषण के दौरान कैसे बढ़ता है निमोनिया का खतरा? जानें किन लोगों को होती है ज्यादा सावधानी की जरूरत

बढ़ते प्रदूषण के कारण आम संक्रमण के अलावा निमोनिया का खतरा भी दोगुना बढ़ जाता है, जाने किन लोगों को ज्यादा करना चाहिए बचाव।
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बढ़ते प्रदूषण के दौरान कैसे बढ़ता है निमोनिया का खतरा? जानें किन लोगों को होती है ज्यादा सावधानी की जरूरत

बढ़ते प्रदूषण (Pollution) के कारण हमे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण हम सांस लेने में परेशानी, आंखों में जलन, कफ, खांसी और जुकाम जैसे सामान्य लक्षण नजर आते हैं। इसके अलावा कई लोगों को गंभीर बीमारियों का भी खतरा होता है जैसे फेफड़ों से जुड़ी समस्या या फिर अस्थमा। लेकिन क्या आप जानते हैं बढ़ते प्रदूषण से आपको निमोनिया (Pneumonia) का भी खतरा रहता है जो आपके लिए एक गंभीर समस्या है। प्रदूषण से जुड़ी निमोनिया की तरह ही कई बीमारियों के बारे में जानने के लिए Onlymhealth.com इस महीने के पहले हफ्ते एक अभियान चला रहा है। 2 नवंबर से शुरू इस अभियान में हम आपको ये बताने की कोशिश करेंगे कि बढ़ते प्रदूषण के कारण आपको किन बीमारियों का खतरा हो सकता है। जिससे आप अपना बचाव अच्छी तरह से कर सकें और खुद को स्वस्थ रखें।

pollution

प्रदूषण के कारण आपके फेफड़ों में कई तरह के संक्रमण होते हैं उन्हीं में से एक निमोनिया भी हो सकता है। निमोनिया के दौरान आपके फेफड़ों में सूजन और कार्य में बाधा होती है। आज हम इस लेख में ये जानने की कोशिश करेंगे कि कैसे प्रदूषण के कारण आपको निमोनिया का  खतरा होता है और इससे कैसे बचाव किया जाए। 

प्रदूषण और प्रदूषण के कारण होने वाले निमोनिया (Pneumonia) से मौत के आंकड़े को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दिखाया। साल 2016 में डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट से पता चला कि इनडोर पॉल्यूशन और आउटडोर पॉल्यूशन के कारण भारत में 1 लाख बच्चों की मौत हो गई थी। इसमें निमोनिया को मृत्यु का एक बड़ा संक्रमण देखा गया था। आपको बता दें कि निमोनिया के कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं जिसमें सबसे बड़ा ये है कि ये स्थिति आपके या बच्चे के इम्यून सिस्टम को पूरी तरह से कमजोर बनाने पर काम कर रहा होता है। 

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कैसे बढ़ता है प्रदूषण के दौरान निमोनिया का खतरा? 

निमोनिया (Pneumonia) एक फेफड़ों से जुड़ा संक्रमण है जिसका समय पर इलाज न मिलने पर ये गंभीर हो सकता है। ये स्थिति आप बदलते मौसम के दौरान ज्यादा महसूस कर सकते हैं। वहीं, अगर हम ठंड के साथ बढ़ते प्रदूषण (Pollution) की स्थिति को देखें तो इस दौरान हवा शुष्क हो जाती है जिस कारण आपकी श्वांस नली में भी शुष्कपन आने लगता है, जिसके कारण आपकी फेफड़ों की कार्यों में बाधा आती है। हवा में रुखापन और शुष्क होने पर ये अपने साथ कई वायरस और संक्रमण को हमारे शरीर में लेकर पहुंचते हैं। ऐसे ही निमोनिया की तरह ब्रोंकाइटिस का भी खतरा होता है। इसलिए सर्दियों के दौरान ये जरूरी हो जाता है कि आप फेफड़ों को स्वस्थ रखें और बाहर जाने से खुद को कम से कम करें। 

सर्दियों में किन लोगों को होता है निमोनिया का खतरा?

सर्दियों में आमतौर पर प्रदूषण (Pollution) बढ़ने लगता है जिससे खुद का बचाव करना हर किसी के लिए जरूरी होता है, लेकिन निमोनिया जैसे खतरनाक स्थिति का खतरा कुछ लोगों को ज्यादा होता है। ये ज्यादातर उन लोगों के लिए खतरनाक होता है जिन लोगों को पहले से ही फेफड़ों से जुड़े संक्रमण हो या फिर वो लोग जो अस्थमा से पीड़ित हों। इस दौरान उनके फेफड़ों की परत पूरी तरह से काम करने में कामयाब नहीं होती जिस कारण संक्रमण आसानी से उनकी श्वांस नली पर हमला कर देते हैं और आपको निमोनिया (Pneumonia) जैसी गंभीर स्थिति का शिकार बना देते हैं। 

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बचाव 

  • बढ़ते प्रदूषण (Pollution) के दौरान मास्क हमेशा पहने रहें।
  • बार-बार गर्म पानी पिएं।
  • बच्चों और बुजुर्ग को बहुत ज्यादा बाहर जाने से रोकें।
  • कफ, जुकाम और खांसी होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 
  • रोजाना एक्सरसाइज करें, इससे आपके फेफड़े लंबे समय तक सक्रिय रह सकते हैं। 
  • अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने पर जोर दें। 

ठंड शुरू होने के साथ धीरे-धीरे प्रदूषण भी बढ़ने लगता है जिस कारण आप कई गंभीर स्थितियों का शिकार हो सकते हैं, ऐसे ही आपको इस दौरान निमोनिया का खतरा भी बढ़ने लगता है। जिसका आपको तुरंत इलाज कराना बहुत जरूरी होता है। इसलिए आप इसके लक्षण दिखने के साथ ही डॉक्टर से संपर्क करें। 

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