हाइपोथायराइडज्मि, पीसीओडी, तनाव, घुटने से कट-कट की आवाज आना, स्टेमिना की कमी से जूझती 102 किलोग्राम की महिला के लिए इससे बुरा क्या हो सकता है कि उसे अपने घर की एक सीढ़ी चढ़ना जिंदगी जीने का मुश्किल दौर लगने लगे। फिल्मों में तो बड़ी आसानी से लोगों को मोटा और पतला दिखा दिया जाता है लेकिन जब बात असल जिंदगी की आती है तो लोगों को खूब मेहनत और ढृढ प्रतिबद्धता दिखानी होती है। ऐसी ही एक महिला जिसका नाम मेघा है वह इन सब परेशानियों से जूझते हुए अपनी जिंदगी जी रही थीं लेकिन खुद को फिट बनाने की ललक ने उन्हें इन समस्याओं से पार पाने में मदद की। उनका कहना है कि न तो बीएमडब्लू और न ही ऑडी आपको उतनी खुशी दे सकती जितनी की आपको अपने पैरों पर चढ़कर मिलती है। अगर आप भी सोच रहे हैं कि उन्होंने कैसे इन चुनौतियों से पार पाया तो हम आपको उनकी कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं।
View this post on Instagram
मुझे पता है आपके पास रोजाना ऐसे हजारों ई-मेल आते होंगे। हालांकि इस तरह का कुछ लिखने का यह मेरा पहला प्रयास है। मैं कोई सामाजिक व्यक्ति नहीं हू और फिर भी मैं ये मेल लिख रही हूं।
मैं एक आईटी प्रोफेशनल हूं और अपने काम के सिलसिले में अलग-अलग देशों की यात्रा करती रहती हूं। पिछले तीन वर्षों से मैं लंदन में रह रही थी। वहां जो कुछ भी बढ़ा वो था मेरा वजन। जबकि मैं एक शुद्ध शाकाहारी और खुद खाना बनाती हूं लेकिन यह कुछ भी मेरे काम नहीं आ रहा था। मैं मेट्रो स्टेशन की एक सीढ़ी तक नहीं चढ़ सकती थी और जब भी इस तरह का प्रयास करती थी तो मेरी हड्डियों से कट-कट की आवाज आती थी और मेरे अंदर बिल्कुल भी स्टेमिना नहीं था। इसके अलावा हाइपोथायराइडज्मि, पीसीओडी, तनाव और 102 वजन सभी ने मिलकर मेरा जीना दुश्वार किया हुआ था।
इसे भी पढ़ेंः दिन में 7 घंटे सोकर घटाएं अपने पेट की चर्बी, वजन घटाने में भी मिलेगी मदद
अचानक एक दिन मैंने अपने यूट्यूब वीडियो पर एक चीज देखी, जो कि रुजुता दिवाकर की वीडियो थी। उस वक्त मेरी पहली प्रतिक्रिया थी कि यह महिला कम से कम कुछ तर्क वाली बात कहने का प्रयास कर रही है। जहां मैं पहले ही कई अलग-अलग तरह के वेलनेस केंद्रों पर अपनी किस्मत आजमाने का प्रयास कर चुकी थी तब मेरे मन में ख्याल आया कि क्यों न एक बार उनकी भी सलाह पर गौर किया जाए। उसके बाद मैंने गौर किया और अपने रूटीन में बदलाव लाई। उनकी सलाह मानते हुए मैंने कुछ इस तरह से अपनी जिंदगी में बदलाव किए।
- एक साल के भीतर वापस भारत लौट आई।
- सिर्फ और सिर्फ घर का खाना खाने की आदत डाली।
- अलग-अलग दिन पर वर्कआउट किया, जो कि सबसे ज्यादा मुश्किल रहा क्योंकि मैं शुरुआती चार महीनों के दौरान कुर्सी पर बैठने में दिक्कत महसूस कर रही थी। इतनी ही नहीं रातों में नींद न आना, बदन दर्द, शरीर का तापमान और तो और मांसपेशियों में ऐंठन की समस्या रहती थी।
- वर्कआउट के अलावा मैंने जुंबा और शाम में तैराकी की क्लासें लीं।
- शारीरिक गतिविधि के रूप में बागवानी शुरू की, शुरुआत में मैंने 5 पौधे लगाने का काम शुरू किया।
- अपने रूटीन पर ध्यान केंद्रित किया, जिसे मैं अलग-अलग काम करते हुए लगभग भूल जाया करती थी।
इसे भी पढ़ेंः रात के खाने में खाएं ये 4 चीजें, पेट की चर्बी और वजन दोनों होंगे कम
- इन सबके परिणाम, जो सामने आए वो चमत्कारी थे।
- नौ महीने में 10 किलो वजन कम किया, जो कि मेडिकल की स्थिति से बहुत बुरा नहीं था।
- घर का खाना मेरा दूसरा काम बन गया। मैं इसके बिना नहीं रह सकती। दाल और घी के लिए मेरी तड़प बढ़ गई। यह बहुत ही स्वादिष्ट है।
- 15 बार सूर्य नमस्कार के साथ एक घंटे की ट्रेनिंग (सप्ताह में 5 बार) और 8 से 10 किलोमीटर चलना मेरा रूटीन बन गया।
- 50 फीसदी तक घुटनों का दर्द दूर हो गया।
- 50 पौधे लगाने और हर सुबह आधा घंटा उनके साथ बिताती हूं, तितलियों को देखती हूं।
- अब मुझे तनाव नहीं रहता। मेरा रूटीन बहुत व्यस्त है लेकिन आखिरकार मेरे पास एक रूटीन है।
(Rujuta Diwakar की इंस्टाग्राम वॉल से)
Read More Articles on weight loss in hindi