कुछ लोगों को यात्रा के दौरान दस्त जैसी शिकायत रहती है, जिससे लगातार जूझना उन्हें इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) का शिकार बना सकता है। इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम एक प्रकार से आंतों का रोग है, जिसमें पेट दर्द, बेचैनी व मल त्याग में परेशानी आती है। यह आंतों को खराब नहीं करता लेकिन खराब होने के संकेत देने लगता है। हाल ही में कुछ शोधों ने शोधकर्ताओं को ऐसा क्यों होता है इसे जानने का एक बेहतर तरीका दिया है साथ ही इसके नए उपचार की ओर नया कदम भी तलाशने का रास्ता सुझाया है।
वैज्ञानिक आश्वस्त नहीं
वैज्ञानिक हालांकि अभी इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि ये कैसा होता है लेकिन कुछ शोधकर्ताओं को लगता है कि संक्रमण आंतों के तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाकर आईबीएस में योगदान देता है।
रोग के नए तरीके तलाशने पर जोर
जर्नल सेल में प्रकाशित अध्ययन में करीब से ये देखने की कोशिश की गई कि क्यों आंत में मौजूद न्यूरोन मरते हैं और कैंसे इम्यून सिस्टम सामान्य रूप से उन्हें सुरक्षित रखता है। रॉकीफेलार यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने आईबीएस की जांच के लिए चूहों पर अध्ययन किया। आईबीएस आंत्र मार्ग में होने वाली क्रॉनिक सूजन है। शोधकर्तओं ने इस रोग के उपचार में नए तरीके तलाशने के लिए ये अध्ययन किया है।
इसे भी पढ़ेंः पुरुषों में बांझपन (इनफर्टिलिटी) दूर करने वाले ये दो सप्लीमेंट हैं पैसे की बर्बादी, इनका सेवन है बेअसर
लंबे वक्त तक सूजन पहुंचा सकती है नुकसान
शोधकर्ताओं के मुताबिक, हमारा इम्यून सिस्टम एक स्वस्थ आंत में खतरे पर प्रतिक्रिया और नुकसान से बचने के लिए तरीके के बीच एक सावधानी भरा तालमेल बिठाता है। अमेरिका की रॉकीफेलार यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर और अध्ययन के मुख्य लेखक डेनियल मुसाडिया ने कहा, ''सूजन आंत को संक्रमण से दूर रखने में भले ही मदद करती हो लेकिन ज्यादा सूजन लंबे वक्त के लिए नुकसान पहुंचा सकती है।''
शोधकर्ताओं ने ऐसे किया अध्ययन
तंत्रिका तंत्र (nervous system) पर संक्रमण के प्रभाव को समझने के लिए शोधकर्ताओं की टीम ने वीकएंड पर चूहों को सैल्मोनेला नाम का बैक्टीरिया दिया, जिसके कारण फूड प्वाइजनिंग होती है। चूहों को ये बैक्टीरिया देने के बाद उन्होंने आंतों के भीतर न्यूरोन का विश्लेषण किया।
इसे भी पढ़ेंः एस्पिरिन में कैंसर, अल्जाइमर, पार्किंसन और अर्थराइटिस को रोकने की क्षमता, शोधकर्ताओं ने रिसर्च में किया खुलासा
ये दो जीन जिम्मेदार
अध्ययन के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने पाया कि संक्रमण न्यूरोन की दीर्घकालिक कमी को प्रेरित करता है। यह एक ऐसा प्रभाव है, जो इस तथ्य को बल देता है कि ये कोशिकाएं दो जीन एनएलआरपी6 और कैस्पैस 11 को जिम्मेदार ठहराती हैं। ये दोनों ही एक विशेष प्रकार के इंफ्लेमेटरी रिसपॉन्स में योगदान देते हैं। ये प्रतिक्रिया कोशिकाओं को एक समय पर नष्ट होने के लिए प्रेरित करती हैं।
(सोर्सः आईएएनएस)
Read more articles on Health News in Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version