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क्या लंबे समय तक नींद की गोली खाने से एंग्जायटी अटैक का खतरा बढ़ता है? जानें डॉक्टर से

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में अनिद्रा (Insomnia) एक आम समस्या बन गई है। जिसके कारण कई बार लोग नींद की दवाएं भी लेते हैं। यहां जानिए, क्या लंबे समय तक नींद की गोली खाने से एंग्जायटी अटैक का खतरा बढ़ता है?
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क्या लंबे समय तक नींद की गोली खाने से एंग्जायटी अटैक का खतरा बढ़ता है? जानें डॉक्टर से


आजकल की तेज रफ्तार जिंदगी, वर्किंग कल्चर और बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल के कारण नींद न आने की समस्या आम हो गई है। लगातार तनाव, देर रात तक स्क्रीन टाइम, अनियमित खानपान और काम का दबाव लोगों की नींद पर गहरा असर डालते हैं। ऐसे में, कई लोग अच्छी नींद पाने के लिए नींद की गोलियों (Sleeping Pills) का सहारा लेने लगते हैं। नींद की गोलियां अस्थायी रूप से राहत तो देती हैं, लेकिन नींद की गोलियों का नियमित रूप से सेवन करने से मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस लेख में पीजीआई रोहतक में अपनी सेवाएं दे रहे डॉक्टर विनय सांगवान (Dr Vinay Sangwan, Medical officer) से जानिए, क्या लंबे समय तक नींद की गोली खाने से एंग्जायटी अटैक का खतरा बढ़ता है?

क्या नींद की गोलियां एंग्जायटी का कारण बन सकती हैं? - Can Sleeping Pills Cause Anxiety Attacks

नींद की गोलियां मुख्य रूप से दिमाग को शांत करके नींद लाने में मदद करती हैं। हालांकि, लंबे समय तक इन दवाओं का उपयोग शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, जिनमें एंग्जायटी भी एक प्रमुख समस्या है। जब कोई व्यक्ति नियमित रूप से नींद की गोलियां लेना शुरू करता है, तो शरीर इन पर निर्भर हो जाता है। यदि अचानक इनका सेवन बंद कर दिया जाए, तो विदड्रॉअल सिम्पटम्स (Withdrawal Symptoms) होने लगते हैं, जिनमें एंग्जायटी, पैनिक अटैक, घबराहट, तेज दिल की धड़कन और बेचैनी शामिल हैं। नींद की गोलियां अस्थायी रूप से नींद लाने में मदद करती हैं, लेकिन ये प्राकृतिक स्लीप साइकल को बाधित कर सकती हैं। इससे व्यक्ति को गहरी नींद (Deep Sleep) नहीं मिलती, जिससे अगले दिन थकान, चिड़चिड़ापन और एंग्जायटी की संभावना बढ़ जाती है।

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1. रिबाउंड एंग्जायटी - Rebound Anxiety

कई मामलों में, जब कोई व्यक्ति नींद की गोलियां लेना बंद कर देता है, तो उसे रिबाउंड एंग्जायटी का सामना करना पड़ता है। इसका मतलब यह है कि जिस चिंता को कम करने के लिए दवा ली गई थी, वह पहले से भी अधिक गंभीर रूप में वापस आ सकती है।

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2. मस्तिष्क पर प्रभाव

नींद की गोलियां मस्तिष्क में मौजूद सेरोटोनिन और डोपामिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर को भी प्रभावित कर सकती हैं। ये दोनों न्यूरोट्रांसमीटर मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। यदि इनका स्तर असामान्य रूप से प्रभावित होता है, तो व्यक्ति को डिप्रेशन और एंग्जायटी महसूस हो सकती है।

can sleeping pills cause anxiety attacks

किसी भी दवा को अचानक बंद करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। योग, ध्यान, प्राणायाम और हर्बल टी जैसे प्राकृतिक उपाय नींद में सुधार कर सकते हैं। इसके अलावा रोजाना कम से कम 30 मिनट की हल्की एक्सरसाइज, जैसे वॉकिंग या स्ट्रेचिंग, नींद में सुधार और एंग्जायटी को कम करने में मदद कर सकती है।

निष्कर्ष

नींद की गोलियां अनिद्रा के लिए एक समाधान लग सकती हैं, लेकिन इनका लंबे समय तक उपयोग एंग्जायटी अटैक और मानसिक अस्थिरता का कारण बन सकता है। ये गोलियां मस्तिष्क की रासायनिक संरचना, स्लीप साइकल और न्यूरोट्रांसमीटर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं, जिससे चिंता और घबराहट की संभावना बढ़ जाती है। यदि आपको नींद की समस्या है, तो सबसे पहले प्राकृतिक उपाय अपनाने की कोशिश करें और डॉक्टर से सही परामर्श लें। अच्छी नींद के लिए दवाओं पर निर्भर होने के बजाय हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना ज्यादा सुरक्षित और प्रभावी तरीका है।

All Images Credit- Freepik

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