जब भी बांझपन को लेकर बातचीत होती है तो अक्सर पुरुषों में बांझपन का विषय चर्चा का विषय नहीं बना पाता है। हाल ही में हुए एक नए शोध में सामने आया है कि बाजार में बिकने वाले कई तरीके के उत्पाद पुरुषों में बांझपन की समस्या से निपटने में कारगर नहीं हैं।
जिंक और फोलिक एसिड का प्रयोग व्यर्थ
मेडिकल जर्नल जेएएमए में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि पुरुषों में बांझपन के उपचार के लिए बनाए जाने वाले उत्पादों में लंबे समय से जिंक और फोलिक एसिड का प्रयोग होता आ रहा है लेकिन ये दोनों तत्व स्पर्म क्वालिटी और काउंट को बेहतर बनाने में कारगर नहीं हैं।
6 महीने के अध्ययन में हुआ खुलासा
शोधकर्ताओं ने पुरुषों का एक समूह बनाया, जिन्होंने करीब 6 महीने तक जिंक और फोलिक एसिड वाले सप्लीमेंट लिए। शोधकर्ताओं ने यह पता लगाने की कोशिश की क्या इन दोनों तत्वों को लेने से स्पर्म की क्वालिटी और काउंट बेहतर होते हैं या नहीं।
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2380 पुरुषों से प्राप्त किया गया डेटा
छह महीने के इस शोध में 2,380 पुरुषों की जांच की गई, जिन्होंने पार्टनर के गर्भवती होने में आ रही परेशानियों के बाद बांझपन के उपचार की मांग की थी। अध्ययन के मुताबिक, समूह के आधे पुरुषों ने जिंक और फोलिक एसिड वाला सप्लीमेंट लिया जबकि बाकी के आधे पुरुषों ने प्लेसेबो का सेवन किया।
35 फीसदी पुरुष बने पिता
अध्ययन के मुताबिक, हालांकि 35 फीसदी लोग ट्रायल की अवधि के दौरान पिता बनने में सफल रहे लेकिन जब उनके स्पर्म की जांच की गई तो पाया गया कि उनके स्पर्म में ट्रायल के छह महीने बाद और छह महीने पहले के बीच कोई ज्यादा अंतर नहीं है।
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स्पर्म क्वालिटी नहीं होती बेहतर
अध्ययन में कहा गया, ''अध्ययन के निष्कर्ष दंपत्तियों में बांझपन के उपचार के नतीजों और स्पर्म काउंट को बेहतर बनाने के लिए पुरुषों में फोलिक एसिड और जिंक सप्लीमेंट के प्रयोग का समर्थन नहीं करते हैं।'' अध्ययन के मुताबिक, ये रिपोर्ट स्पर्म क्वालिटी पर फोलिक एसिड और जिंक के प्रभावों की जांच के लिए एक व्यापक ट्रायल की लंबे अरसे से चली आ रही जरूरत को हल करती है।
सप्लीमेंट पैसे की बर्बादी
अध्ययन के मुताबिक, कई सप्लीमेंट निराधार स्वास्थ्य लाभ का दावा करते हैं जबकि न्यूट्रिशिनिस्ट और डॉक्टर उन्हें पैसे की बर्बादी बताते हैं।
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