Complications in Dengue Due To Low Platelet Count: मानसून खत्म होते ही वेक्टर जनित बीमारियों का खतरा भी तेजी से बढ़ने लगता है। अक्टूबर और नवंबर के महीने में डेंगू बुखार का प्रकोप पूरे देश में शुरू हो जाता है। डेंगू बुखार होने पर मरीज का प्लेटलेट काउंट कम होने लगता है, जिसकी वजह से मरीज को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आमतौर पर डेंगू संक्रमण होने के चौथे दिन से प्लेटलेट्स घटने शुरू हो जाते हैं। कुछ लोगों में डेंगू संक्रमण सातवें दिन प्लेटलेट्स पर अटैक करता है। डेंगू संक्रमण रक्त कोशिकाओं और ब्लड में मौजूद प्लेटलेट्स की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। इसकी वजह से शरीर में प्लेटलेट कम होने लगते हैं। डेंगू बुखार में प्लेटलेट घटने के कारण मरीज की स्थिति और गंभीर हो जाती है। सामान्य व्यक्ति के शरीर में प्लेट काउंट लगभग 1.5 लाख होना चाहिए। डेंगू में प्लेटलेट काउंट 40 हजार से कम होना चिंताजनक माना जाता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं डेंगू में प्लेटलेट काउंट कम होने पर क्या परेशानियां होती हैं और डेंगू में प्लेटलेट कम होना कितना खतरनाक है?
डेंगू में प्लेटलेट काउंट कम होने के नुकसान- Health Complications in Dengue Due To Low Platelet Count
शरीर में प्लेटलेट काउंट कम होने से आपको कई लक्षण दिखाई देते हैं। लेकिन बाबू ईश्वर शरण हॉस्पिटल के सीनियर फिजिशियन डॉ समीर कहते हैं कि डेंगू बुखार में प्लेटकाउंट कम होना मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है। अगर डेंगू के मरीज का प्लेटलेट काउंट कम होकर 50 हजार के आसपास हो गया है, तो इसे दवा और अच्छी डाइट से ठीक किया जा सकता है। लेकिन अगर डेंगू बुखार में प्लेटलेट काउंट घटकर 10 हजार के आसपास आ जाता है, तो मरीज की दिक्कतें बढ़ सकती हैं और कुछ लोगों में यह स्थिति जानलेवा हो सकती है।
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डेंगू में प्लेटलेट काउंट तेजी से कम होने के प्रमुख खतरे इस तरह से हैं-
1. मांसपेशियों और जोड़ों में गंभीर दर्द और ऐंठन की समस्या डेंगू बुखार में प्लेटलेट काउंट कम होने पर आम है। इसकी वजह से आपको थकान और चलने-फिरने में परेशानी भी हो सकती है।
2. डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट काउंट तेजी से कम होने पर खून की उल्टी आने का खतरा रहता है। इसके अलावा मरीज को जरा सी चोट लगने पर भी गंभीर ब्लीडिंग होती है।
3. डेंगू बुखार में मरीज का प्लेटलेट काउंट कम होने पर स्किन से जुड़ी परेशानियां होती हैं। इसकी वजह से स्किन पर लाल, नीले और बैंगनी रंग के निशान दिखाई देने लगते हैं।
4. महिलाओं में डेंगू की वजह से प्लेटलेट काउंट कम होने पर पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती है और परेशानियां बढ़ जाती हैं।
5. डेंगू में प्लेटलेट कम होने पर मरीज को पाचन तंत्र से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। इसकी वजह से मल के रंग में भी बदलाव देखने को मिलता है।
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डेंगू बुखार में जिन मरीजों का प्लेटलेट काउंट 40 हजार से आसपास आ जाता है, उन्हें डेंगू शॉक सिंड्रोम का खतरा रहता है। ऐसे मरीज के ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव, हीमोग्लोबिन कम होना, ब्लीडिंग और पेट से जुड़ी परेशानियां और सांस फूलने जैसी समस्याएं होती है। इन समस्याओं को नजरअंदाज करने से मरीज की जान भी जा सकती है। इसके बाद अगर मरीज को डेंगू बुखार से ठीक होने के बाद दोबार डेंगू संक्रमण हो जाता है, तो यह और ज्यादा गंभीर हो जाता है।
डेंगू में प्लेटलेट्स कब चढ़ाना चाहिए?
आमतौर पर डॉक्टर ऐसे मरीज जिनका प्लेटलेट काउंट 40 से 50 हजार हो जाता हैं, उन्हें कुछ दवाएं और खानपान में सुधार की सलाह देते हैं। जिन मरीजों का प्लेटलेट काउंट घटकर 40 हजार से कम हो जाता है, उनकी जांच के बाद डॉक्टर प्लेटलेट बाहर से चढ़ाने की सलाह देते हैं। डेंगू बुखार में प्लेटलेट काउंट कम होने पर मरीज को बिना एक्सपर्ट डॉक्टर की सलाह के बाहर से प्लेटलेट नहीं चढ़वाना चाहिए।
(Image Courtesy: Freepik.com)
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