सुखासन योग करने से क्या फायदे मिलते हैं और इसे कैसे किया जाता है? एक्सपर्ट से जानें इस योगासन के बारे में

सुखासन सभी आसनों का आधार है। इसमें आप आलती-मारकर बैठते हैं फिर कोई भी आसन शुरू करते हैं। इस को करने से मन शांत होता है।
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सुखासन योग करने से क्या फायदे मिलते हैं और इसे कैसे किया जाता है? एक्सपर्ट से जानें इस योगासन के बारे में


किसी भी आसन को शुरू करने का आधार है सुखासन। सुखासन दो शब्दों से मिलकर बना है सुख और आसन। सुख का अर्थ है आराम से और आसन का मतलब है कि उस स्थिति में बैठे रहना। इसका अर्थ हुआ सुख पूर्वक एक स्थिति में बने रहना। सुखासन के फायदे, करने का सही तरीका और सावधानियां आदि के बारे में इनोसेंस योगा की योग एक्सपर्ट भोली परिहार ने बताया। भोली का कहना है कि प्राचीन समय में हमारे ऋषि-मुनि प्राणायाम या आसन करने से पहले सुखासन का ही प्रयोग करते थे। उनसे ही यह परंपरा आज चली आ रही है। 

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सुखासन योग के फायदे

योग एक्सपर्ट भोली परिहार ने सुखासन के निम्न फायदे बताए हैं-

मन को शांति

सुखासन में लंबे समय तक बैठने से धीरे-धीरे आपके विचार कम होने लगते हैं और विचार कम होने से आपका मन शांत होता है और यदि आपका मन शांत है तो आपका दिमाग शांत होगा जिसके कारण आप रिलैक्स महसूस करेंगे। यह आसन दिमाग को अतिरिक्त शांति देने वाला आसन है। यदि आप बहु थकान महसूस कर रहे हैं तो यह आसन आपको आराम देगा।

डिप्रेशन और चिंता करे दूर

सुखासन करने से डिप्रेशन और चिंता भी दूर होती है। जैसे कि हम जानते हैं कि डिप्रेशन में हमारे दिमाग में लगातार विचार चल रहे होते हैं, यह रोग मनोकाय रोग कहलाते हैं। डिप्रेशन से हमारे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव महसूस होने लगते हैं। जैसे थकान महसूस होना, सांस फूलना, आलसी महसूस करना, किसी भी काम में मन न लगना व विचारों की उथल-पुथल रहती है। सुखासन इन सभी परेशानियों को दूर करने में बहुत लाभकारी है। क्योंकि सुखासन में हम अपने शरीर को बिना हिलाए डुलाए एक स्थिति में बैठते हैं। साथ ही साथ हमारे दोनों हाथ ज्ञान मुद्रा में होते हैं, हमारे विचारों को कंट्रोल करने में मदद करता है। 

जिन लोगों को डिप्रेशन या एंग्जाइटी होती है, उन लोगों के शरीर में हमेशा हलचल रहती है जैसे पैर को हिलाना या बार-बार उठना-बैठना। बेचैनी महसूस करना। सुखासन में हम लंबे समय तक बैठते हैं, इससे हमारे शरीर पर कंट्रोल मिलता है। यदि हमारा शरीर शांत होता है धीरे-धीरे इसका प्रभाव हमारे दिमाग पर पड़ता है। शरीर शांत होने से धीरे-धीरे हमारा दिमाग भी शांत होने लगता है। धीरे-धीरे सभी विचार कम होने लगते हैं। और हमारा दिमाग शांत होने लगता है। इस तरह सुखासन डिप्रेशन और एग्जाइटी के लक्षण कम होने लगते हैं। जिन लोगों को डिप्रेशन है वे लोग आंखें खोलकर सुखासन करें। 

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छाती चौड़ी करता है

सुखासन का नियमित तौर पर अभ्यास करने से हमारी चेस्ट चौड़ी होती है। साथ ही साथ हमारे कॉलर बोन को भी चौ़ड़ा करता है। इस आसन को करने से आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी हो जाती है। साथ ही साथ कमर की छोटी मोटी परेशानियां ठीक होने लगती हैं। जैसे कमर में अकड़न, कमर में दर्द, थकान और आलसपन दूर करता है।

घुटनों और टखनों के लिए फायदेमंद

सुखासन करने से हमारे घुटनों व टखनों को अच्छा खिंचाव मिलता है, जिसकी वजह से मोच आने जैसी समस्याएं नहीं होतीं। जो लोग कठिन आसन नहीं कर पाते हैं, या ज्यादा देर तक नहीं बैठ पाते हैं, वे इस आसन का प्रयोग कर सकते हैं। क्योंकि यह एक ध्यानात्कम आसन भी है। यह आसन हमारे शरीर को बिना किसी प्रकार का तनाव दिए मानसिक व शारीरिक संतुलन प्रदान करता है। 

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सुखासन करने से पहले ध्यान रखें ये बातें

  • सुखासन में सीधे न बैठते हुए पहले सुक्ष्म योग क्रियाएं (Micro exercises) कर लें। जैसे अपने सीधे पैर को सीधा रखते हुए उल्टे पैर को अपने राइट जांघ के ऊपर रख दें। 
  • एड़ी बाहर की तरफ रहेगी व अपने सीधे हाथ से सहारा देते हुए अपने एंकल को 10 बार क्लॉक वाइज और 10 बार एंटी-क्लॉक वाइज घुमा लें। इससे यदि आप ज्यादा समय तक सुखासन में बैठेंगे तो इससे आप ज्यादा समय तक सुखासन में बैठ पाएंगे।
  • जिन लोगों की बॉडी बहुत ज्यादा सख्त होती है या वे बहुत ज्यादा मोटे हैं, तो सुखासन में बैठने से पहले दंडासन में बैठें। व धीरे से अपने सीधे पैर को लेफ्ट पैर के जांघ पर रख दें। 
  • अपने सीधे हाथ का प्रयोग करते हुए अपने घुटने को ऊपर उठाते हुए अपनी छाती से लगा लें और धीरे अपने हाथ का सहारा देते हुए उसे नीचे प्रेस करें। 
  • इसे 15-15 बार दोनों पैरों से कर लें। इससे आपके टखने, हिप्स और एंकल खुल जाएंगे। जिससे आप ज्यादा लंबे समय तक सुखासन में बैठकर आसन लगा पाएंगे। 
  • अगर आपने अभी-अभी योग को करना शुरू किया है तो अपना योग अभ्यास सुखासन से ही शुरू करें। 

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सुखासन करने का सही तरीका

  • अपने दोनों पैरों को सामने की ओर खोलते हुए दंडासन में बैठ जाएं।
  • इसके बाद एक-एक करके अपने घुटनों को मोड़ते हुए आलती-पालती मार लें। 
  • ध्यान रहे आपके दोनों पैरों के बीच व आपके शरीर के बीज में सरल दूरी रहे। 
  • आपकी कमर बिल्कुल सीधी रहे। धाती तनी हुई व कंधे रिलैक्स रहेंगे। 
  • साथ ही साथ आपकी गर्दन बिल्कुल सीधी रहेगी। 
  • गर्दन को दाएं या बाएं न हिलाते हुए बीच में रखते हुए अपनी आंखों को एक जगह टिका लें। 
  • अपनी आंखों को बंद करते हुए हाथों की स्थिति की ओर जाएं। इसमें आपके दोनों हाथ ज्ञान मुद्रा में रहेंगे। 
  • कोहनियां हल्की सी मुड़ी हुई रहेंगी। 
  • छाती हल्की सी फुली रहेगी। 
  • रीढ़ की हड्डी में किसी प्रकार का तनाव नहीं होगा। साथ ही साथ अपने वजन को किसी भी एक हिप की तरफ शिफ्ट न करें। 
  • आपकी पूरी बॉडी का वजन बीच में होगा। 
  • 15-20 लंबी गहरी सांसें लें और इस आसन में बैठें। 
  • आप इस आसन में 1 मिनट से लेकर ढाई घंटे तक बैठ सकते हैं। पर ध्यान रखें कि जब आप दोबारा सुखासन को करें तो पैरों की स्थिति को बदल लें। 

सुखासन योग की सावधानियां

  • जिन लोगों को कमर में ज्यादा दर्द रहता है या जिनके एल 4, एल5 में दिक्कत है वे इस आसन को किसी के निर्देशन में या ज्यादा देर तक न करें। 
  • जिन लोगों की बॉडी बहुत ज्यादा सख्त है, वे शुरू में 20-30 सैकेंड में ही यह आसन करें। 

सुखासन सभी आसनों का आधार है। इसमें आप आलती-मारकर बैठते हैं फिर कोई भी आसन शुरू करते हैं। इस को करने से मन शांत होता है।

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