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Golden Hour For Stroke: स्ट्रोक के बाद पहले 4 घंटे ही क्यों होते हैं सबसे जरूरी? जानें डॉक्टर से

स्ट्रोक के बाद पहले 4 घंटे को ‘Golden Hour’ कहा जाता है क्योंकि इस समय में इलाज मिलने पर दिमाग को स्थायी नुकसान से बचाया जा सकता है।
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Golden Hour For Stroke: स्ट्रोक के बाद पहले 4 घंटे ही क्यों होते हैं सबसे जरूरी? जानें डॉक्टर से


स्ट्रोक एक इमरजेंसी स्थिति है। किसी व्यक्ति को स्ट्रोक होने पर अगर सही समय पर मदद न दी जाए, तो उसकी जान जा सकती है। ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि स्ट्रोक के बाद के पहले 4 घंटों को ‘गोल्डन ऑवर’ कहा जाता है, यानी वो वक्त जब अगर इलाज मिल जाए, तो दिमाग को स्थायी नुकसान से बचाया जा सकता है। दिक्कत यह है कि भारत में बहुत से लोग लक्षण पहचानने या तुरंत अस्पताल पहुंचने में देर कर देते हैं। यही देरी कई बार जानलेवा साबित होती है।

भारत में क्यों बढ़ रही है स्ट्रोक की चिंता?

विश्व स्ट्रोक संगठन (World Stroke Organization) के अनुसार, हर साल दुनिया भर में करीब 1.2 करोड़ (12.2 million) लोगों को स्ट्रोक होता है, जिनमें से लगभग 65 लाख (6.5 million) लोगों की मौत हो जाती है।

देश में स्ट्रोक को लेकर बढ़ती चिंता पर लुधियाना के आरजी हॉस्पिटल में मेडिकल डायरेक्टर और हेड ऑफ न्यूरोलॉजी, डॉ. राजिंदर के. बंसल का कहना है, “भारत में हर साल 15 लाख से ज्यादा लोग स्ट्रोक से प्रभावित होते हैं, यानी हर मिनट 3 लोगों को स्ट्रोक होता है। अब 60% से ज्यादा मामले 70 साल से कम उम्र के लोगों में दिख रहे हैं। अच्छी बात यह है कि 90% स्ट्रोक रोके जा सकते हैं, क्योंकि स्ट्रोक का खतरा बढ़ाने वाले कारक कंट्रोल किए जा सकते हैं, जैसे- हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, गलत खानपान और निष्क्रिय जीवनशैली। अगर लोग शुरुआती लक्षण पहचानें और समय पर इलाज लें, तो मौत और विकलांगता का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है।”

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क्यों महत्वपूर्ण होते हैं स्ट्रोक के बाद के पहले 4 घंटे?

कैलाश हॉस्पिटल, नोएडा के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ अनिरुद्ध आर. देशमुख कहते हैं, “स्ट्रोक अब सिर्फ बुजुर्गों की नहीं, युवाओं की भी बीमारी बन चुकी है। जब मस्तिष्क तक खून की सप्लाई रुकती है, तो हर मिनट के साथ लाखों दिमागी कोशिकाएं मरती हैं। अगर इलाज पहले 4.5 घंटे के अंदर मिल जाए, तो मस्तिष्क को स्थायी नुकसान से बचाया जा सकता है।”

डॉ. देशमुख बताते हैं कि स्ट्रोक के लक्षणों को हल्के में लेना सबसे बड़ी गलती है। चेहरे का झुकना, हाथ या पैर में सुन्नपन, बोलने में दिक्कत, धुंधला दिखना या तेज सिरदर्द आदि इसके शुरुआती संकेत हो सकते हैं।

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लखनऊ के रीजेंसी हेल्थ के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुमित वर्मा का कहना है कि 80% स्ट्रोक रोके जा सकते हैं। उन्होंने बताया, “स्ट्रोक से बचाव का सबसे बड़ा तरीका है अपनी रोजमर्रा की आदतों को सुधारना। बैलेंस्ड डाइट, ब्लड प्रेशर और शुगर को कंट्रोल में रखना, धूम्रपान और तनाव से दूरी जैसी छोटी-छोटी बातें मिलकर खतरा 80% तक घटा सकती हैं।” वह कहते हैं कि लोग सोचते हैं स्ट्रोक अचानक होता है, लेकिन सच यह है कि ये सालों से बनती बुरी आदतों का नतीजा होता है।

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Golden Hour में क्या करना चाहिए?

अगर किसी को स्ट्रोक के लक्षण दिखें, तो सबसे पहले FAST टेस्ट याद रखें

  • F – Face: चेहरा टेढ़ा या झुका दिख रहा है क्या?
  • A – Arm: एक हाथ उठाने पर नीचे गिर रहा है क्या?
  • S – Speech: बोलने या समझने में दिक्कत है क्या?
  • T – Time: अगर हां, तो वक्त बर्बाद न करें, तुरंत अस्पताल जाएं।

पहले 4 घंटे में इलाज मिलने पर ब्लॉकेज हटाकर ब्रेन डैमेज को काफी हद तक रोका जा सकता है। खुद से दवा न दें, न घर पर इंतजार करें।

भारत में देरी की सबसे बड़ी वजह?

अक्सर मरीज या उनके परिवार को यह नहीं पता होता कि यह स्ट्रोक है। लोग पहले घरेलू उपाय आजमाते हैं या थकान मानकर इंतजार करते हैं। कई बार यह भी होता है कि पास में ऐसा अस्पताल नहीं होता, जहां स्ट्रोक का तुरंत इलाज हो सके या एम्बुलेंस देर से पहुंचती है। ऐसे में गोल्डन ऑवर निकल जाता है और दिमाग को स्थायी नुकसान हो जाता है।

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कैसे बचा जा सकता है स्ट्रोक से?

  • साल में एक बार ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जांच जरूर कराएं।
  • संतुलित खाना खाएं, एक्सरसाइज करें और स्ट्रेस को कंट्रोल में रखें।
  • धूम्रपान और अल्कोहल से दूरी बनाएं।
  • पर्याप्त नींद लें, क्योंकि नींद की कमी भी ब्लड प्रेशर को बढ़ाती है।

याद रखें स्ट्रोक को रोकने या उसका असर कम करने में समय ही सबसे बड़ा इलाज है। लक्षण पहचानने में जितनी देर करेंगे, मस्तिष्क उतना ही नुकसान झेलेगा। इसलिए स्ट्रोक होने पर शुरुआती 4 घंटों का महत्व बहुत ज्यादा होता है।

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  • Oct 29, 2025 18:43 IST

    Modified By : Anurag Gupta
  • Oct 29, 2025 18:43 IST

    Published By : Anurag Gupta

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