आज के डिजिटल युग में मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट और टीवी स्क्रीन हमारे जीवन का एक खास हिस्सा बन चुके हैं। हम सुबह उठते ही सबसे पहले मोबाइल स्क्रीन देखते हैं और रात को सोने से पहले तक उसी स्क्रीन से चिपके रहते हैं। काम, पढ़ाई, मनोरंजन और सामाजिक संबंध हर क्षेत्र में स्क्रीन का अत्यधिक इस्तेमाल बिना किसी सोच और समझ के हो रहा है। लेकिन क्या आपने सोचा है अत्यधिक स्क्रीनिंग के कारण न सिर्फ आपका शारीरिक स्वास्थ्य खराब रहा है, बल्कि ये स्क्रीनिंग आपके दिमाग को भी बीमार कर रही है। डिटिजल दौर में दिमाग के स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 22 जुलाई को वर्ल्ड ब्रेन डे मनाया जाता है। वर्ल्ड ब्रेन डे के खास मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं, लंबे समय तक स्क्रीनिंग बढ़ने के कारण होने वाली मानसिक बीमारियों के बारे में।
स्क्रीनिंग से जुड़ी मानसिक समस्याओं के आंकड़े
WHO के अनुसार, डिजिटल डिवाइसेज से जुड़ी चिंता और अनिद्रा अब महामारी के स्तर पर पहुंच रही है। WHO अध्ययन के अनुसार, जो किशोर दिन में 4 घंटे से अधिक स्क्रीन पर रहते हैं, उनमें डिप्रेशन के लक्षण 50% ज्यादा देखे गए। 75% से ज्यादा लोग सोने से पहले मोबाइल इस्तेमाल करते हैं, जिससे नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
इसे भी पढ़ेंः करियर के पीक पर इम्पोस्टर सिंड्रोम से परेशान थीं एक्ट्रेस सान्या मल्होत्रा, जानें क्या है ये बीमारी
1. तनाव -Stress
नोएडा के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. आरके बसंल का कहना कहना है कि लगातार स्क्रीन के संपर्क में रहना, खासकर जब आप ईमेल, वर्क मैसेजेस या सोशल मीडिया नोटिफिकेशन लगातार चेक कर रहे हों, तो यह आपके मस्तिष्क को लगातार एक्टिव बनाए रखता है। यह स्थिति अगर लंबे समय तक बनी रहती है, तो तनाव को जन्म दे सकती है। तनाव के कारण सिरदर्द, मांसपेशियों में खिंचाव और चिड़चिड़ेपन की परेशानी होती है।
2. अनिद्रा- Insomnia
स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट मेलाटोनिन हार्मोन के स्तर को प्रभावित करती है, जिससे नींद की गुणवत्ता बिगड़ती है। रात को मोबाइल पर स्क्रॉलिंग करने की आदत से नींद न आने की समस्या होना बहुत ही आम बात है।
3. डिप्रेशन- Depression
लंबे समय तक अकेले डिजिटल डिवाइसेज पर समय बिताना, सोशल मीडिया पर नेगेटिव रिपोर्ट्स और कमेंट देखने से दिमाग में एक नेगेटिव प्रोसेस बनता है। इससे डिप्रेशन जैसी घातक मानसिक बीमारी होती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा की गई रिसर्च बताती है कि जो लोग लंबे समय तक स्क्रीन पर रहते हैं, वो सामजिक तौर पर लोगों से संवाद नहीं करते हैं, जिससे डिप्रेशन से लक्षण तेजी से उभरते हैं।
इसे भी पढ़ेंः इंजेक्शन की सुई से लगता है डर? जानें नीडल फोबिया के लक्षण और कारण
4. आत्म-सम्मान में गिरावट- Low Self-Esteem
लोग सोशल मीडिया पर खुद को दूसरों से तुलना करने लगते हैं, जो आत्म-सम्मान को प्रभावित करता है। 'फिल्टर की गई' जिंदगी को असली समझना इस समस्या को और बढ़ा देता है। ऐसे लोग सामजिक तौर पर खुद को कनेक्ट नहीं करते हैं और उनके आत्म-सम्मान में कमी आती है।
5. डिजिटल एडिक्शन - Digital Addiction
मोबाइल, गेम्स, रील्स या नेटफ्लिक्स की लत, डिजिटल एडिक्शन का रूप ले लेती है। यह न केवल सामाजिक जीवन को प्रभावित करती है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालती है। डॉ. आरके बसंल कहते हैं कि डिजिटल एडिक्शन के कारण मानसिक तनाव होना बहुत ही आम बात है।
इसे भी पढ़ेंः 'दंगल गर्ल' सान्या मल्होत्रा पीती हैं माचा टी, जानें इसे पीने से सेहत को मिलने वाले फायदे
स्क्रीनिंग के मानसिक प्रभाव से बचाव के उपाय
डॉ. आरके बसंल कहते हैं कि स्क्रीनिंग के कारण मानसिक परेशानी न हो, इसके लिए रोजमर्रा की जीवनशैली में बदलाव जरूरी है। स्क्रीनिंग के प्रभाव को कम करने के लिए आप नीचे बताए गए उपायों को अपना सकते हैं।
- दिन में 2 घंटे से ज्यादा सोशल मीडिया पर बिताने की कोशिश न करें। अगर आप काम के कारण स्क्रीनिंग पर समय बिता रहे हैं, तो हर 30 मिनट में 5 मिनट का ब्रेक लें। इससे स्क्रीनिंग से दूरी बनेगी।
- हफ्ते में एक दिन बिना मोबाइल, टीवी और लैपटॉप के बिताएं। छुट्टियों में स्क्रीन-फ्री एक्टिविटीज जैसे ट्रैकिंग या किताब पढ़ने पर फोकस करें।
- रात को सोने से 1 घंटा पहले मोबाइल या टीवी का इस्तेमाल बिल्कुल न रखें। अपने बेडरूम में मोबाइल ले जाने से बिल्कुल बचें।
- रोजाना 15-20 मिनट ध्यान करें। डिजिटल इंटरैक्शन से अधिक मानवीय संवाद बढ़ाएं।
इसे भी पढ़ेंः क्या मां के मोबाइल का इस्तेमाल करने से बच्चे को कैंसर हो सकता है? बता रहे हैं डॉक्टर
निष्कर्ष
डिजिटल युग में स्क्रीन का उपयोग अनिवार्य है, लेकिन इसके अत्यधिक इस्तेमाल से मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। स्क्रीनिंग के कारण अगर आपको भी मानसिक समस्याएं हो रही हैं, तो इस विषय पर डॉक्टर से बात करें।
FAQ
ब्रेन हेल्थ को बेहतर बनाए रखने के लिए क्या करें?
ब्रेन यानि की दिमाग को बेहतर बनाने का सबसे आसान तरीका है रोजाना पर्याप्त नींद लें। नियमित व्यायाम करें, मोबाइल और स्क्रीन टाइम सीमित रखें और खाने में ओमेगा-3, विटामिन बी12 युक्त चीजों को शामिल करें।क्या स्क्रीनिंग बच्चों के मानसिक विकास पर असर डालती है?
हां, अत्यधिक स्क्रीन समय बच्चों के संज्ञानात्मक विकास, ध्यान और सामाजिक कौशल पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।क्या डिजिटल डिटॉक्स से मानसिक शांति मिलती है
हां, डिजिटल डिटॉक्स मस्तिष्क को आराम देता है, जिससे भावनात्मक स्थिरता और ध्यान बढ़ता है।