जीभ में दरार (फिशर्ड टंग) होने का क्या कारण है? डॉक्टर से जानें इसके लक्षण और बचाव के तरीके

जीभ में दरार किसी भी उम्र में हो सकती है। कुछ लोगों में यह बचपन से होती है। तो कुछ में उम्र बढ़ने पर या क्रोनिक डिजीज होने पर होती है। 
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जीभ में दरार (फिशर्ड टंग) होने का क्या कारण है? डॉक्टर से जानें इसके लक्षण और बचाव के तरीके


आमतौर पर जीभ की ऊपरी सतह सपाट होती है, लेकिन जब जीभ पर दरारें पड़ने लगती हैं, तब जीभ की ऊपरी सतह बीच में से फटने लगती है। जीभ के फटने को फिशर्ड टंग कहा जाता है। कई बार जीभ पर सफेद रंग के चकत्ते पड़ जाते हैं। कोलंबिया एशिया अस्पताल में जनरल फिजियन डॉ. मंजीता नाथ दास का कहना है कि जीभ में दरार होने पर आमतौर पर दर्द नहीं होता है, लेकिन अगर कुछ खाने-पीने पर दर्द हो रहा है या जीभ पर सेंसेशन हो रही है तो डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए। 

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जीभ में दरार किसी भी उम्र में हो सकती है। कुछ लोगों में यह परेशानी से बचपन से होती है। तो कुछ में उम्र बढ़ने पर या क्रोनिक डिजीज होने पर होती है। आंकड़े बताते हैं कि 40 की उम्र के बाद 40 फीसद लोगों में यह परेशानी होती है। यह परेशानी शरीर में विटामिन की कमी या इन्फेक्शन की वजह से हो सकती है। जीभ में दरारें क्यों पड़ती हैं, इसके कारण, लक्षण और उपचार के बारे में डॉ. मंजीता ने विस्तार से बताया।

जीभ में दरार के लक्षण

  • जीभ के ऊपरी हिस्से  में सफेद रंग के चक्कते पड़ना।
  • जीभ की ऊपरी सतह पर दरारें पड़ना
  • बिना वजह जीभ में दर्द होना
  • जीभ में जलन होना
  • कुछ भी खाने पर जीभ पर सेंसेशन होना

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जीभ में दरार के कारण

डॉ. मंजीता का कहना है कि जीभ में दरार पड़ने के स्पष्ट कारण बता पाना मुश्किल है। विशेषज्ञों का मानना है कि फिशर्ड टंग की परेशानी मेल्कोर्सन-रोसेंथल सिंड्रोम, काउडन सिंड्रोम और डाउन सिंड्रोम से जुड़ी होती है। कुछ विशेष स्थितियों में जीभ में दरार पड़ने के निम्न कारण होते हैं।

विटामिन की कमी

आमतौर पर फिशर्ड टंग की परेशानी शरीर में विटामिन की कमी की वजह से होती है। शरीर में विटामिन बी कॉम्पलेक्स, बी6, बी1, बी12 की कमी की वजह से जीभ फटती है। इसके अलावा आयरन जैसे विटामिन लेना भी जरूरी है। डॉ. मंजीता का कहना है कि उम्र के साथ-साथ कई अन्य कारण हो सकते हैं, इस परेशानी के। आनुवांशिक स्थितियां भी फिशर्ड टंग से जुड़ी होती हैं।

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गंभीर बीमारी

डॉ. मंजीता का कहना है कि जिन लोगों को बचपन से फिशर्ड टंग की परेशानी है और जीभ में कोई दर्द नहीं है। तो उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि उन्हें अभी तक जीभ की उपरी सतह फटने से कोई परेशानी नहीं हुई है। लेकिन ऐसे लोग जो किडनी रोग, अनियंत्रित डायबिटीज, कीमोथेरेपी आदि के पेशेंट हैं, उनमें जीभ फटने की समस्या हो सकती है।

डॉ. मंजीता ने बताया कि अनियंत्रित मधुमेह होने पर पेशेंट को ओरल दवाएं दी जाती हैं, जिस वजह से मुंह में बैक्टीरिया ग्रोथ करता है और जीभ में दरारें पड़ जाती हैं। इस कारण जीभ फटने का एक कारण अनियंत्रित डायबिटीज भी है।

आइसीयू में भर्ती मरीज को

लंबे समय से अगर कोई मरीज आईसीयू में भर्ती है, उसको जो दवाएं दी जाती हैं, उसकी वजह से भी जीभ में दरार पड़ने की समस्या हो सकती है। डॉ. मंजीता का कहना है कि फेशियल पैरालिसिस जैसे बेल्स पाल्सी में भी जीभ में दरारें पड़ जाती हैं। हालांकि यह जरूरी नहीं है सभी को पेल्स पाल्सी में जीभ में दरार पड़ें। लेकिन फिशर्ड टंग का एक कारण गंभीर बीमारी हो सकती है। यह परेशानी बढ़ती उम्र में होती है।

वायरल बीमारी

किसी तरह की वायरल बीमारी में भी फिशर्ड टंग की परेशानी होती है। डॉ. मंजीता का कहना है कि कोविड से ठीक होने वाले मरीजों में भी जीभ से जुड़ी परेशानियां देखी जा रही हैं। 

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लंबा बुखार

कुछ मरीज जिन्हें लंबे समय से बुखार है, उनमें फिशर्ड टंग की परेशानी दिखती है। दरअसल लंबे समय बुखार होने की वजह से कई तरह की दवाएं दी जाती हैं, यह दवाएं मुंह में कई तरह के बैक्टीरिया को पैदा करती हैं। जिस कारण फिशर्ड टंग हो जाती है। या फिर जीभ पर सफेद चकत्ते का कारण बनते हैं। लंबे समय बुखार रहने की वजह से जीभ की ठीक से सफाई नहीं होने से प्लाक जमने लग जाता है और वह दरार के रूप में उभरने लगता है।

बढ़ती उम्र

अमेरिका की लगभग 5 फीसद आबादी को फिशर्ड टंग की परेशानी है। जीभ की उपरी सतह पर दरारें पड़ जाती हैं। बढ़ती उम्र के साथ बीमारियां बढ़ती हैं, जिस कारण फिशर्ड टंग भी उन परेशानियों का हिस्सा हो सकती है। 40 की उम्र के बाद करीब 40 फीसद लोगों में यह परेशानी होने लगती है।

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तंबाकू उत्पादों का सेवन

वे लोग जो तंबाकू के उत्पाद जैसे पान मसाला, सिगरेट, गुटखा आदि का सेवन करते हैं, उनमें भी फिशर्ड टंग की परेशानी होती है। लंबे समय तकर तंबाकू खाने से जीभ की ऊपरी सतह सॉफ्ट नहीं रहती है। जिससे दरार पड़ने लग  जाती है। ऐसे लोग कुछ भी खाते हैं, मुंह में जलन होती है। उनके होठ, गाल, जीभ, तालु आदि में चुभन भी महसूस होती है। तंबाकू की लत छोड़ने से बचाव  हो सकता है।

ओवर ओरल हाइजीन

जो लोग ज्यादा हाइजीन का ध्यान देते हैं, टंग क्लीनर से रगड़कर देर तक जीभ साफ करते हैं। माउथ वॉश का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।  जिससे जीभ पर माइक्रो इंजरीज होने लगती हैं। ये माइक्रो इंजरीज गहरा जाती हैं, जीभ पर गहरी दरारें पड़ जाती हैं।

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क्या है बचाव

डॉ. मंजीता का कहना है कि अगर आपको कारण मालूम हैं, तो उसका इलाज भी आसान हो सकता है। डॉ. मंजीता कहती हैं कि जब कोई मरीज हमारे पास आते है तो हम जीभ की जांच करके उसको मल्टीविटामिन आदि देते हैं। अगर उनसे भी परेशानी ठीक नहीं होती है, तब आगे जांचें करते हैं। आमतौर पर इसके इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है। जब तक मरीज को कोई दिक्कत न हो।

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डॉ. मंजीता का कहना है कि फिशर्ड टंग की परेशानी से बचने के लिए जरूरी है कि ओरल हाइजीन का ध्यान रखा जाए। इसके लिए उन्होंने कहा कि जीभ को बहुत रगड़कर साफ नहीं करना चाहिए। जीभ को साफ करने का सही तरीका इस्तेमाल करें। प्रोपर मैथेड से अगर जीभ साफ नहीं करेंगे तो जीभ पर दरारें आ जाती हैं। जीभ पर जब दरारें हो जो टंग क्लीनर का प्रयोग न करें। माउथवॉश को डायल्युट करके प्रयोग करें। 

जीभ में दर्द होने पर वैसलीन लगा लें। लंबे समय तक अगर परेशानी हो  रही है तो किसी अच्छे डेंटिस्ट को दिखाएं। साल में दो बार डेंटिस्ट के पास जाना चाहिए ताकि दांत और मुंह से जुड़ी परेशानियों के बारे में मालूम चलता रहे और समय पर इलाज कराया जा सके।

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फिशर्ड टंग के कारणों का स्पष्ट मालूम नहीं है, लेकिन साल में दो बार डॉक्टर के पास जाना जरूरी है। जीभ की ठीक से सफाई नहीं होने की वजह से उस फिशर्ड पर प्लाक जमने लगता है। इसमें बैक्टीरिया पैदा हो सकता है, जिस वजह से मुंह में अन्य दिक्कतें हो सकती है। इसलिए ऐसी स्थिति होने पर डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

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