इन 5 स्थितियों में पड़ सकती है बच्चेदानी निकलवाने की जरूरत, डॉक्टर से जानें क्यों होता है जरूरी?

अगर किसी महिला के गर्भाशय में कोई समस्या होती है, तो उसे कंसीव करने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। कुछ मामलों में तो गर्भाशय को निकलवाने की जरूरत पड़ जाती है।
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इन 5 स्थितियों में पड़ सकती है बच्चेदानी निकलवाने की जरूरत, डॉक्टर से जानें क्यों होता है जरूरी?


बच्चेदानी को निकलवाने की जरूरत कब पड़ती है? बच्चेदानी या गर्भाशय, महिलाओं के शरीर का एक अहम हिस्सा होता है। यह महिला प्रजनन प्रणाली का एक अहम अंग है। यह मांसपेशियों से बना एक अंग है, जो आकार में छोटा होता है। जब एक महिला गर्भवती होती है, तो उसका भ्रूण गर्भाशय में ही बढ़ता है। आपको बता दें कि कंसीव करने के लिए भी गर्भाशय का स्वस्थ होना बहुत जरूरी होता है। अगर किसी महिला के गर्भाशय में कोई समस्या होती है, तो उसे कंसीव करने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। कुछ मामलों में तो गर्भाशय को निकलवाने की जरूरत पड़ जाती है। आइए, जानते हैं बच्चेदानी को निकलवाने की जरूरत कब पड़ती है। 

बच्चेदानी निकलवाने की जरूरत कब पड़ती है?

1. एंडोमेट्रियोसिस

एंडोमेट्रियोसिस, महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है। कई महिलाओं को इस समस्या का सामना करना पड़ता है। एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें एंडोमेट्रियल टिश्यू की ग्रोथ ज्यादा होने लगती है और यह गर्भाशय से बाहर निकल जाती है। इसकी वजह से महिलाओं को तेज दर्द, इनफर्टिलिटी और रक्तस्त्राव जैसी समस्याओं से परेशान होना लगता है। एंडोमेट्रियोसिस की स्थिति में लैपरोस्कोपिक सर्जरी की सलाह दी जाती है। जब इससे राहत नहीं मिलती है, तो इस स्थिति में बच्चेदानी को निकलवाने की जरूरत पड़ती है। 

2. गर्भाशय का कैंसर

महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर ही नहीं, गर्भाशय के कैंसर का जोखिम भी बना रहता है। गर्भाशय के कैंसर की स्थिति में डॉक्टर बच्चेदानी निकलवाने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा, गर्भग्रीवा, डिंबग्रंथि या एंडोमेट्रियम के कैंसर जैसी स्थितियों में भी बच्चेदानी को निकलवाने की जरूरत पड़ सकती है। इस दौरान कीमोथेरेपी और रेडिएशनथेरेपी भी करवाई जाती है। 

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3. गर्भाशय फाइब्रॉइड 

गर्भाशय फाइब्रॉइड, महिलाओं में होने वाली एक समस्या है। इसकी वजह से महिलाओं को तेज दर्द और अत्यधिक रक्तस्त्राव जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ता है। आपको बता दें कि गर्भाशय फाइब्रॉइड बिनाइन ट्यूमर्स होते हैं। जब दवाइयां फाइब्रॉइड्स को हटाने में असरदार नहीं होती है, तो इस स्थिति में बच्चेदानी निकलवाने की जरूरत पड़ती है। गर्भाशय फाइब्रॉइड की स्थिति में डॉक्टर हिस्टेरेक्टॉमी का सहारा ले सकते हैं। 

4. गर्भाशय का बढ़ना

कुछ महिलाओं को गर्भाशय के आकार बढ़ने की समस्या होती है। जब इस स्थिति को दवाइयों के माध्यम से ठीक करने में सफलता नहीं मिलती है, तो इस स्थिति में बच्चेदानी को निकलवाया जाता है। 

5. यूटराइन प्रोलैप्स

यूरटाइन प्रोलैप्स की स्थिति में महिलाओं को बच्चेदानी निकलवाने की जरूरत पड़ सकती है। यह समस्या तब होती है, जब पेल्विक मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और इसकी वजह से गर्भाशय खिसककर योनि नलिका में पहुंच जाता है। इसकी वजह से पेल्विक एरिया पर दबाव पड़ता है और पेशाब करने में दिक्कत हो सकती है। ऐसे में बच्चेदानी को निकलवाना ही एक मात्रा विकल्प बचता है।

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बच्चेदानी की सर्जरी के बाद बरतें ये सावधानियां

  • बच्चेदानी की सर्जरी के बाद पूरी तरह से आराम करने की सलाह दी जाती है।
  • बच्चेदानी निकलवाने के बाद 4-6 सप्ताह तक कोई भी भारी सामान नहीं उठाना चाहिए। 
  • इसके बाद यौन संबंधों से बचना चाहिए।
  • बच्चेदानी निकलवाने के बाद तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। 

इन समस्याओं में बच्चेदानी की सर्जरी की सलाह दी जा सकती है। हालांकि, आपको सर्जरी के बाद पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। 

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