Why Mucositis is Trending on Google Trends: 5 सितंबर के बाद से गूगल ट्रेंड्स पर म्यूकोसाइटिस का सर्च वॉल्यूम लगातार बढ़ता दिखा है। इन दिनों यह गूगल पर काफी ट्रेंड कर रहा है। 6 सितंबर की बात करें, तो म्यूकोसाइटिस का ट्रेंड पीक पर चला गया था। इसका मुख्य कारण है एक्ट्रेस हिना खान द्वारा सोशल मीडिया पर म्यूकोसाइटिस से पीड़ित होने की जानकारी देना।
आपको बता दें कि हिना खान स्टेज-3 ब्रेस्ट कैंसर का ट्रीटमेंट ले रही हैं। इसी ट्रीटमेंट के दौरान एक्ट्रेस में म्यूकोसाइटिस नामक बीमारी की पुष्टि (Hina Khan Mucositis after Cancer Treatment) हुई है। इसकी जानकारी एक्ट्रेस ने खुद इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर करके दी है। म्यूकोसाइटिस, कैंसर रोगियों में होने वाली एक आम समस्या है, जिसमें मुंह में छाले हो जाते हैं। यह समस्या कीमोथेरेपी, रेडिएशन या रेडियोथेरेपी जैसे कैंसर उपचारों का एक दुष्प्रभाव है। आइए, इस लेख में विस्तार से जानते हैं म्यूकोसाइटिस से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां-
म्यूकोसाइटिस क्या है?- What is Mucositis in Hindi
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट (FMRI), गुरुग्राम के कंसल्टेंट सर्जिकल ऑन्कोलॉजी डॉ. निरंजन नाइक बताते हैं, "म्यूकोसाइटिस किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। कैंसर के मरीजों में म्यूकोसाइटिस एक आम समस्या है। दरअसल, जब म्यूकोसा (मुंह के अंदर की लेयर) में सूजन आ जाती है, तो इसी स्थिति को म्यूकोसाइटिस कहा जाता है। यह कीमोथेरेपी, रेडिएशन जैसे कुछ कैंसर उपचारों का एक सामान्य दुष्प्रभाव है। इसके अलावा, लंबे समय तक बुखार रहने की वजह से भी म्यूकोसाइटिस हो सकता है।"
म्यूकोसाइटिस क्यों होता है?- Mucositis ke Karan
- कैंसर का इलाज
- संक्रामक रोग
- कमजोर प्रतिरोधक क्षमता
- कुछ दवाइयां
- खराब ओरल हेल्थ केयर
- पुरानी सूजन
कौन-सी दवाएं म्यूकोसाइटिस का कारण बनती हैं?
डॉ. निरंजन नाइक बताते हैं, “म्यूकोसाइटिस की समस्या कैंसर रोगियों में देखने को मिलती है। कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी की दवाएं म्यूकोसाइटिस का कारण बन सकती हैं। इसके अलावा, लंबे समय तक एंटीबायोटिक मेडिसिन लेने से भी म्यूकोसाइटिस की समस्या हो सकती है।”
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म्यूकोसाइटिस के लक्षण क्या हैं?- Mucositis ke Lakshan
- मुंह में छाले
- खाना चबाने और निगलने में परेशानी
- मुंह में दर्द
- मुंह में छोटे-छोटे लाल दाने
- डायरिया (दस्त)
- बार-बार मुंह सूखना
- मुंह में जख्म नजर आना
- मसूड़ों और मुंह में सूजन
- लार का गाढ़ा होना
- दानों में मवाद
- म्यूकोसाइटिस के ग्रेड 4 में ब्लीडिंग हो सकती है।
म्यूकोसाइटिस के कितने ग्रेड होते हैं?
डॉ. निरंजन नाइक के अनुसार म्यूकोसाइटिस के 4 ग्रेड होते हैं। यह समस्या हल्की या गंभीर हो सकती है। आपको बता दें कि ग्रेड 1 और 2 हल्के लक्षणों के साथ होते हैं। वहीं, ग्रेड 3 और 4 गंभीर होते हैं। गंभीर मामलों में खाना निगलने और बोलने में भी परेशानी हो सकती है।
- ग्रेड 1- म्यूकोसाइटिस के ग्रेड 1 में मुंह में छोटे-छोटे दाने निकलने शुरू होते हैं।
- ग्रेड 2- इस ग्रेड में दाने लाल होने लगते हैं। साथ ही, जख्म भी होने लगते हैं।
- ग्रेड 3- म्यूकोसाइटिस के ग्रेड 2 में मुंह में जख्म होने के साथ ही, सूजन भी हो सकती है। इस स्थिति में व्यक्ति को खाने में दिक्कत हो सकती है। हालांकि, लिक्विड डाइट आसानी से ली जा सकती है।
- ग्रेड 4- इस ग्रेड में मरीज को मुंह, गले और मसूड़ों में सूजन हो सकती है। इसकी वजह से खाना निगलने में परेशानी हो सकती है। इस ग्रेड में व्यक्ति को सॉलिड फूड खाने में काफी परेशानी हो सकती है।
म्यूकोसाइटिस के 5 चरण क्या हैं?
1. फ्री रेडिकल डैमेज
इस चरण में ऊतकों को नुकसान पहुंचने लगता है। लेकिन म्यूकोसा सामान्य ही दिखाई देता है।
2. प्राइमरी डैमेज रिस्पॉन्स
इसमें शरीर में कुछ केमिकल रिलीज होते हैं, जो म्यूकोसा को पतला कर सकते हैं। इस स्थिति में लक्षण दिखने शुरू हो सकते हैं।
3. एम्प्लिफिकेशन
इस चरण में मुंह और मसूड़ों में सूजन आ सकती है। वहीं, इससे ऊतकों को भी गंभीर नुकसान पहुंच सकता है।
4. अल्सरेशन
इस चरण में मुंह में बड़े घाव हो सकते हैं। ये अल्सर के रूप में दिखाई देने लगते हैं।
5. हीलिंग
इस चरण में जब उपचार शुरू हो जाता है या चल रहा होता है, तो ऊतक या टिशू रिपेयर होना शुरू हो जाते हैं।
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म्यूकोसाइटिस का इलाज क्या है?
कैंसर का इलाज, खत्म होने के बाद म्यूकोसाइटिस अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन, अगर म्यूकोसाइटिस की वजह से जलन आदि की समस्या हो रही है, तो कुछ उपाय आजमाए जा सकते हैं।
- मसूड़ों की सूजन कम करने के लिए डॉक्टर कुल्ला करने के लिए कोई माउथवॉश लिख सकते हैं।
- इसके अलावा, विटामिन-सी और जिंक सप्लीमेंट्स लेने से भी म्यूकोसाइटिस के इलाज में मदद मिल सकती है।
- विटामिन बी कॉम्पलेक्स म्यूकोसाइटिस के इलाज में असरदार हो सकता है।
- कुछ मामलों में डॉक्टर दर्द से राहत दिलाने के लिए पेनकिलर भी लिख सकते हैं।
क्या म्यूकोसाइटिस ठीक हो सकता है?
हां, म्यूकोसाइटिस ठीक हो सकता है। कैंसर का इलाज (कीमो या रेडिएशन) खत्म होने के कुछ हफ्ते बाद मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं। हालांकि, अगर कैंसर के इलाज के दौरान ही ओरल हेल्थ की सही देखभाल की जाए, तो यह समस्या (मुंह के छाले) जल्दी ठीक हो सकती है।
म्यूकोसाइटिस को ठीक होने में कितना समय लगता है?
डॉ. निरंजन नाइक बताते हैं, “म्यूकोसाइटिस को ठीक होने में 4-5 दिन लग सकते हैं। लेकिन, कुछ मामलों में म्यूकोसाइटिस को ठीक होने में 10-12 दिनों का समय लग सकता है। इतना ही नहीं, गंभीर मामलों में यह समस्या, कैंसर का इलाज खत्म होने के बाद ही ठीक होती है।”
क्या रेडिएशन से मुंह में छाले सकते हैं?
जी हां, रेडिएशन करवाने से भी मुंह में छाले हो सकते हैं। कैंसर के इलाज के दौरान कीमोथेरेपी लेने या रेडिएशन थेरेपी लेने से म्यूकोसाइटिस यानी मुंह में छाले हो सकते हैं।
कीमो से म्यूकोसाइटिस को कैसे रोकें?
दरअसल, कीमोथेरेपी या रेडिएशन लेने के दौरान कैंसर रोगियों में म्यूकोसाइटिस के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। ऐसे में कुछ टिप्स को फॉलो करके इससे बचाव किया जा सकता है।
- इसके लिए आप मल्टीविटामिन्स सप्लीमेंट्स जरूर लें।
- विटामिन-सी और विटामिन-बी कॉम्पलेक्स सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं।
- मुंह की सफाई जरूर करें।
- रात को सोने से पहले ब्रश जरूर करें।
- हाई प्रोटीन डाइट लेने से मदद मिल सकती है।
क्या म्यूकोसाइटिस बुखार का कारण बन सकता है?
डॉ. निरंजन बताते हैं, “म्यूकोसाइटिस सभी मामलों में बुखार का कारण नहीं बनता है। जब मसूड़ों या मुंह में सूजन हो जाती है, तो इसकी वजह से बुखार हो सकता है। इसके अलावा, म्यूकोसाइटिस की वजह से इंफेक्शन का जोखिम बढ़ जाता है। इंफेक्शन या संक्रमण होने पर भी बुखार हो सकता है।”
म्यूकोसाइटिस के दौरान क्या खाना चाहिए?
आरोग्य डाइट और न्यूट्रिशन क्लीनिक की डाइटिशियन डॉ. सुगीता मुटरेजा बताती हैं कि म्यूकोसाइटिस के दौरान आपको गर्म तासीर की चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए। इस समस्या से राहत पाने के लिए ठंडी तासीर की चीजें खाना फायदेमंद हो सकता है।
- गुलकंद
- गोंद कतीरा
- भीगे हुए मुनक्के
- दलिया
- देसी घी
- मिश्री
अगर आप डायबिटीज रोगी भी हैं, तो इस स्थिति में गुलकंद और मिश्री का अधिक मात्रा में सेवन करने से बचें।
म्यूकोसाइटिस होने पर क्या नहीं खाना-पीना चाहिए?
- ज्यादा मिर्च-मसालेदार भोजन
- एसिडिक फूड्स
- तला-भुना खाना
- हाई शुगर फूड्स
- धूम्रपान और एल्कोहल
- कार्बोनेडेट ड्रिंक्स
म्यूकोसाइटिस में क्या पी सकते हैं?
डॉ. सुगीता बताती हैं कि म्यूकोसाइटिस होने पर खाने के साथ ही, पीने का ध्यान रखना भी जरूरी होता है।
- धनिया का पानी
- सौंफ का पानी
- गुलकंद का पानी
- पुदीने का पानी
- दूध या दही
- खूब पानी पिएं
- प्रोबायोटिक ड्रिंक्स
- शहद
लेकिन, अगर आपको डायरिया यानी दस्त की समस्या है, तो इस स्थिति में दूध पीने से बचें।
म्यूकोसाइटिस के लक्षण महसूस होने पर आपको डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करना चाहिए। कैंसर का इलाज लेने वाले रोगियों में म्यूकोसाइटिस बेहद आम है। हालांकि, यह बुखार या कई अन्य कारणों की वजह से भी हो सकता है।