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म्यूकोसाइटिस के कितने प्रकार होते हैं? क्या ठीक होने के बाद दोबारा हो सकती है ये समस्या

कैंसर के इलाज में मुख्य रूप से कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी का उपयोग किया जाता है। इस दौरान आपको म्यूकोसाइटिस हो सकता है, यह कैंसर के इलाज से होना वाला साइड इफेक्ट है। आगे जानते हैं इस बारे में विस्तार से
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म्यूकोसाइटिस के कितने प्रकार होते हैं? क्या ठीक होने के बाद दोबारा हो सकती है ये समस्या

कैंसर के गंभीर बीमारी है, जो शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है। इस स्थिति का सही समय पर पता लगाकर उसका इलाज शुरु किया जा सकता है। कैंसर के इलाज में मुख्य रूप से कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। इलाज की यह प्रक्रिया शरीर के कुछ हिस्सों पर दुष्प्रभाव दिखा सकती है। इसमें म्यूकोसाइटिस को भी शामिल किया जाता है। म्यूकोसाइटिस में व्यक्ति के मुंह और आंतों के मार्ग को कवर करने वाली म्यूकस मेम्ब्रेन में सूजन आ जाती है। दरअसल, कीमोथेरेपी (Chemotherapy) और रेडियोथेरेपी के प्रभाव के कारण यह होता है। हालांकि यह स्थिति कुछ समय बाद ठीक हो जाती है, लेकिन इसमें व्यक्ति को बहुत दर्द का सामना करना पड़ता है। म्यूकोसाइटिस के कारण व्यक्ति को मुंह, गला और कई बार आंतों में छाले बनने की समस्या होती है। साथ ही, कुछ लोगों को पानी पीने और बात करने तक में परेशानी होती है। इस लेख में नारायणा अस्पताल के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट एंड क्लिनिकल लीड डॉ. देबाशीष चौधरी से जानते हैं कि म्यूकोसाइटिस के कितने प्रकार होते हैं (Types Of Mucositis) और क्या यह समस्या ठीक होने के बाद दोबारा हो सकती है? 

म्यूकोसाइटिस के प्रकार - Types Of Mucositis In Hindi 

म्यूकोसाइटिस शरीर के अलग-अलग हिस्सों को प्रभावित कर सकता है, आगे इसके दो मुख्य प्रकारों के बारे में जानते हैं। 

ओरल म्यूकोसाइटिस (मुंह का म्यूकोसाइटिस- Oral mucositis)

ओरल म्यूकोसाइटि में मुंह के अंदर की म्यूकस मेम्ब्रेन सूजन हो जाती है। कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के कारण यह समस्या होती है, खासकर जब कैंसर का इलाज सिर और गर्दन के क्षेत्र में किया जा रहा हो। इस दौरान व्यक्ति के मुंह में छाले, लालिमा, सूजन, दर्द होता है। इसमें व्यक्ति को खाने-पीने में भी परेशानी होती है। 

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गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल म्यूकोसाइटिस (आंतों का म्यूकोसाइटिस- Gastrointestinal mucositis)

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल म्यूकोसाइटिस में आंतों की म्यूकस मेम्ब्रेन में सूजन होती है। यह स्थिति पाचन तंत्र के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है, जिसमें पेट, छोटी आंत और बड़ी आंत शामिल हैं। इसमें पोषक तत्वों का अवशोषण प्रभावित हो सकता है। इसमें व्यक्ति को दस्त, उल्टी, पेट दर्द, और भूख न लगना आदि के लक्षण महसूस हो सकते हैं। 

म्यूकोसाइटिस के कुछ सामान्य लक्षण क्या होते हैं? - Symptoms Of Mucositis In Hindi 

  • मुंह के अंदर सफेद या पीले रंग के छाले होना, जो बेहद दर्दनाक हो सकते हैं।
  • प्रभावित क्षेत्र में सूजन और लालिमा होना।
  • छाले के कारण बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • म्यूकोसाइटिस की वजह से भोजन निगलने में कठिनाई हो सकती है।
  • गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल म्यूकोसाइटिस में दस्त और पेट में ऐंठन होती है।

क्या इलाज के बाद म्यूकोसाइटिस दोबारा हो सकते हैं? - Can Mucositis Occurs Again After Treatment In Hindi 

म्यूकोसाइटिस का इलाज किया जा सकता है, लेकिन इसके उपचार के बाद इनके दोबारा होने की संभावना बनी रहती है। खासकर उन लोगों में जो कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी से गुजर रहे होते हैं। अगर कैंसर का इलाज लंबे समय तक चलता है, तो म्यूकोसाइटिस दोबारा से हो सकते हैं, क्योंकि म्यूकस मेम्ब्रेन की कोशिकाएं बार-बार डैमेज होती हैं। अगर म्यूकोसाइटिस इंफेक्शन या किसी अन्य बीमारी के कारण होता है, तो इसके दोबारा होने की संभावना कम होती है। 

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म्यूकोसाइटिस एक गंभीर स्थिति हो सकती है, लेकिन सही इलाज और सावधानियों से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। कैंसर के उपचार के दौरान व्यक्ति को कई तरह की सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। म्यूकोसाइटिस या अन्य समस्या होने पर आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 

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