Facts About Genitourinary Syndrome of Menopause in Hindi: उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। हार्मोनल बदलाव के कारण महिलाओं के पीरियड्स अनियमित होने लगते हैं और धीरे-धीरे बंद हो जाते हैं। 45 की उम्र के बाद महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव होता है, जिसका कारण मेनोपॉज है। मेनोपॉज (Menopause) के दौरान महिलाओं के पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं, जिसका असर महिलाओं के संपूर्ण स्वास्थ्य पर पड़ता है। जैसे-जैसे महिलाएं उम्रदराज होती हैं, खासकर मेनोपॉज के दौरान, उसके शरीर में कई बदलाव देखने को मिलते हैं। लेकिन, महिलाएं अक्सर जेनिटोयूरिनरी सिंड्रोम ऑफ मेनोपॉज की समस्या को नजरअंदाज कर देती हैं, जो उनके सेहत पर बुरा प्रभाव डालता है। यह समस्या न केवल शारीरिक समस्याओं को बढ़ावा देती है, बल्कि महिलाओं के आत्म-सम्मान और लाइफ क्वालिटी को भी प्रभावित कर सकती है। इसलिए, महिलाओं के बीच इस जेनिटोयूरिनरी सिंड्रोम (Genitourinary Syndrome Of Menopause) को लेकर जागरुकता फैलाना और इसके बारे में खुलकर बात करना जरूरी है। ऐसे में आइए फरीदाबाद के यथार्थ अस्पताल के ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनेकोलॉजी की सीनियर कंसल्टेंट और हेड ऑफ द डिपार्टमेंट डॉ. चंचल गुप्ता से जानते हैं मेनोपॉज में जेनिटोयूरिनरी सिंड्रोम से जुड़े फैक्ट्स के बारे में।
मेनोपॉज में जेनिटोयूरिनरी सिंड्रोम क्या है? - What is Genitourinary Syndrome Of Menopause in Hindi?
जेनिटोयूरिनरी सिंड्रोम ऑफ मेनोपॉज, एक ऐसी स्थिति है, जिसमें महिलाओं की योनि और मूत्र मार्ग में बदलाव आते हैं। इस समस्या के कारण महिलाओं के योनि में सूखापन और जलन, बार-बार यूटीआई होना, पेशाब पर कंट्रोल न होना और सेक्स करते समय बहुत दर्द होने की समस्या बढ़ जाती है। अक्सर मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन में कमी के कारण ये समस्या होती है।
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मेनोपॉज में जेनिटोयूरिनरी सिंड्रोम से जुड़े फैक्ट्स - Facts About Genitourinary Syndrome of Menopause in Hindi
- जेनिटोयूरिनरी सिंड्रोम के कारण महिलाओं में योनि और यूरिन पास करने के रास्ते दोनों प्रभावित होते हैं, जिसके कारण योनि में सूखापन, जलन, बार-बार यूटीआई होना और असुविधा महसूस होती है।
- इस सिंड्रोम का मुख्य कारण मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन के लेवल में कमी आना है, जिसके कारण योनि के टिशू पतले हो जाते हैं, ड्राईनेस होता है और योनि के टिशू की लोच में कमी हो जाती है।
- मेनोपॉज के दौरान होने वाला हॉट फ्लैश की समस्या समय के साथ कम हो जाती है, जबकि जेनिटोयूरिनरी सिंड्रोम का इलाज न किया जाए तो इसकी स्थिति और ज्यादा खराब हो जाते हैं।
- जेनिटोयूरिनरी सिंड्रोम सर्जरी, कैंसर ट्रीटमेंट या हार्मोनल डिसऑर्डर के कारण समय से पहले मेनोपॉज से गुजर रही महिलाओं के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है।
- जेनिटोयूरिनरी सिंड्रोम महिलाओं के रोजाना की गतिविधियों के दौरान असुविधा, सेक्स के दौरान दर्द (डिस्पेरुनिया) और बार-बार यूरिन से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है, जो शारीरिक और इमोशनल दोनों स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
- जेनिटोयूरिनरी सिंड्रोम का इलाज संभव है और इसके लिए लिए जरूरी है कि आप अपनी योनि को मॉइस्चराइज करें, कम खुराक वाली योनि एस्ट्रोजन और लेजर थेरेपी जैसे विकल्प चुनें, जो इसके लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं।
- कई महिलाएं जेनिटोयूरिनरी सिंड्रोम को कलंक समझती हैं और इसे लेकर जागरूकता की कमी के कारण इसके लक्षणों पर खुलकर बात करने से कतराती हैं। लेकिन, इस समस्या के सही इलाज के लिए जरूरी है कि महिलाएं अपने डॉक्टर से खुलकर बात करें।
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निष्कर्ष
अगर आप भी मेनोपॉज में जेनिटोयूरिनरी सिंड्रोम की समस्या से पीड़ित हैं तो इसे अनदेखा न करें और तुरंत अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें, क्योंकि इस समस्या को नजरअंदाज करने पर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
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